कठुआ बलात्कार मामला: जम्मू-कश्मीर में फिर गरमा रही है सियासत
जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू होने के बावजूद तमाम राजनीतिक दलों को कठुआ में हुए बलात्कार और हत्या के मामले में एक बार फिर सियासी रोटियां सेकने का म़ौका मिल गया है.
इस दफ़ा मामला मुख्य अभियुक्त का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील असीम साहनी की एडिशनल एडवोकेट जनरल (एएजी) के पद पर नियुक्ति से जुड़ा है.
जम्मू-कश्मीर प्रशासन के एक आदेश के अनुसार असीम साहनी को 15 और वकीलों के साथ 17 जुलाई को जम्मू और
जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू होने के बावजूद तमाम राजनीतिक दलों को कठुआ में हुए बलात्कार और हत्या के मामले में एक बार फिर सियासी रोटियां सेकने का म़ौका मिल गया है.
इस दफ़ा मामला मुख्य अभियुक्त का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील असीम साहनी की एडिशनल एडवोकेट जनरल (एएजी) के पद पर नियुक्ति से जुड़ा है.
जम्मू-कश्मीर प्रशासन के एक आदेश के अनुसार असीम साहनी को 15 और वकीलों के साथ 17 जुलाई को जम्मू और कश्मीर हाई कोर्ट के जम्मू विंग में एडिशनल एडवोकेट जनरल (एएजी) के रूप में नियुक्त किया गया था.
बीजेपी-पीडीपी की गठबंधन सरकार गिर जाने के बाद रियासत के कानून विभाग द्वारा सरकारी वकीलों की नयी टीम का गठन किया गया है.
उनकी इस नियुक्ति के ठीक एक दिन बाद पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने इस पर कड़ा एतराज़ जताते हुए इसे विडंबनापूर्ण फ़ैसला ठहराया.
वहीं विपक्षी पार्टी के नेता उमर अब्दुल्ला ने इस फैसले को 'चिंताजनक' बताया.
दूसरी तरफ़ बीजेपी ने साफ़ तौर पर कहा कि इस फ़ैसले को राजनीति से जोड़ कर नहीं देखा जाना चाहिए.
https://twitter.com/MehboobaMufti/status/1019524659740491776
राज्यपाल शासन पर सीधे निशाना साधते हुए महबूबा मुफ़्ती ने ट्विटर पर किए गए अपने एक ट्वीट में लिखा, "यह विडंबनापूर्ण है कि अंतरराष्ट्रीय न्याय दिवस मनाने के ठीक एक दिन बाद कठुआ बलात्कार और हत्या के भयानक मामले में डिफ़ेंस काउंसिल को एडिशनल एडवोकेट जनरल नियुक्त किया गया है."
राज्यपाल पर निशाना
महबूबा मुफ़्ती के निशाने पर प्रदेश के गवर्नर एनएन वोहरा थे. इसी वजह से महबूबा मुफ़्ती ने राज्यपाल को मामले में हस्तक्षेप करने की नसीहत दे डाली.
अपने एक अन्य ट्वीट पर महबूबा ने लिखा कि "कथित हत्यारों और बलात्कारियों की रक्षा करने वाले लोगों को पुरस्कृत करना घिनौना और न्याय की भावना का चौंकाने वाला उल्लंघन है. ऐसा कदम हमारे समाज में 'बलात्कार संस्कृति' को प्रोत्साहित करेगा. उम्मीद है कि राज्यपाल हस्तक्षेप करेंगे."
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असीम साहनी का पक्ष
असीम साहनी ने भी बिना देर किए अपना पक्ष रखते हुए कहा कि अगर तर्क यह है तो फिर किसी वकील को कसाब, दाऊद, सलमान ख़ान और संजय दत्त जैसे लोगों के केस नहीं लड़ने चाहिए.
उन्होंने अपनी सफ़ाई में कहा की हाईकोर्ट में व्यस्तता के चलते 2 जुलाई से वह रसाना मामले में पेश होने की लिए नहीं जा रहे थे.
साहनी ने पूछा कि "क्या आरोपी का केस लड़ने वाला वकील भी आरोपी हो जाता है? वकील प्रोफ़ेशनल होते हैं और किसी को मना नहीं कर सकते हैं."
बीबीसी हिंदी ने जब उनसे सीधे बात करनी चाही तो उन्होंने यह कहकर बात करने से इनकार कर दिया कि उन्होंने "सरकारी वकील की हैसियत से काम संभाल लिया है" इसलिए किसी भी मामले में टिप्पणी नहीं करेंगे.
अपना कार्यभार संभालने से पहले साहनी ने पठानकोट की अदालत से अपना वकालतनामा भी वापस ले लिया है.
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हालांकि अपनी नई जिम्मेदारी संभालने से पहले असीम साहनी ने महबूबा मुफ्ती के ट्वीट के जवाब में ट्विटर पर लिखा, "मैं वकील हूं या आरोपी? मेरे साथ अच्छे से रहिए, एक दिन मैं आपका वकील भी हो सकता हूं."
https://twitter.com/OmarAbdullah/status/1019540326480932864
राज्य के सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ट्विटर पर लिखा, "यह फैसला चिंताजनक है और ऐसा है जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती."
उन्होंने लिखा की अगर पीड़िता की वकील को इस फ़ैसले से कोई फर्क नहीं पड़ता तो हमे उन्हें पीड़िता को इन्साफ दिलाने का काम करने देना चाहिए.
वहीं पीड़िता की वकील दीपिका सिंह राजावत ने बीबीसी हिंदी से कहा, "हमें इस फ़ैसले पर ध्यान नहीं देना चाहिए. हमे अपने रास्ते से भटकने की भी ज़रूरत नहीं है."
उन्होंने कहा कि असीम साहनी एक वकील हैं और अगर कोई उनसे अपना केस लड़ने को कहता है तो यह उनकी ज़िम्मेदारी बनती है कि वो उसे इसांफ़ दिलाएं.
दीपिका सिंह राजावत ने कहा उन्हें "इस फ़ैसले में किसी प्रकार का राजनीतिक हस्तक्षेप नज़र नहीं आता" और इस में कुछ भी ग़लत नहीं है.
उन्होंने कहा कि कठुआ बलात्कार का केस पहले से पठानकोट की अदालत में लड़ा जा रहा और असीम साहनी जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट में एडिशनल एडवोकेट जनरल बने हैं. वो पठानकोट कोर्ट में इस मामले में भला कैसे हस्तक्षेप कर सकते हैं?
जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट के एक वरिष्ठ वकील शेख़ शकील अहमद ने बीबीसी हिंदी से कहा कि इस मामले में हो रही सियासत के बारे में वो कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते.
हालांकि असीम साहनी के मामले पर उन्होंने कहा, "रियासत में राज्यपाल शासन लागू होने के बाद एडवोकेट जनरल डीसी रैना ने अपनी टीम का गठन किया है जिसमें असीम साहनी को भी एडिशनल एडवोकेट जनरल के पद पर नियुक्त किया गया है."
उन्होंने कहा, ''सरकार हमेशा चाहती है की युवा और ऊर्जावान वकील लंबे समय से लंबित मामलों में सरकार की मज़बूती से पैरवी करें और लोगों को इंसाफ़ दिलाएं. यह फ़ैसला इसी सिलसिले में लिया गया है और इसमें कुछ गलत नहीं है.
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वहीं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रविंदर रैना का कहना है कि इस फ़ैसले को राजनीति से जोड़ कर नहीं देखा जाना चाहिए.
उन्होंने कहा, "असीम साहनी एक अच्छे वकील हैं और पूरी मेहनत और लगन से कम करते हैं.''
रैना ने कहा कि गवर्नर को यह अधिकार है कि वो किसे कौन सी ज़िम्मेदारी सौंपे.