जम्मू-कश्मीर के बाद कर्नाटक का भी होगा अपने राज्य का अलग झंडा, बस केंद्र की अनुमति का इंतजार
बेंगलुरू। कर्नाटक में लंबे समय से राज्य के लिए अलग झंडे की मांग उठती आई है। अब राज्य की सिद्धारमैया सरकार ने सूबे के लिए एक झंडे की सहमति दे दी है। अब इसे केंद्र सरकार के पास भेजा जाएगा। केंद्र की तरफ से अनुमति मिलने के बाद इसे कर्नाटक राज्य का आधिकारिक झंडा मान लिया जाएगा। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की मौजूदगी में नए झंडे को मीडिया के सामने रखा गया। 9 सदस्यीय समिति ने झंडे में ऊपर पीली बीच में सफेद और नीचे लाल रंग की पट्टी की सिफारिश की थी। बीच में सफेद पट्टी पर राज्य का आधिकारिक चिन्ह है।
यदि राज्य के लिए अलग झंडे की कवायद को अमलीजामा पहना दिया जाता है तो कर्नाटक संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत विशेष दर्जा प्राप्त जम्मू-कश्मीर के बाद देश का दूसरा ऐसा राज्य बन जाएगा, जिसका आधिकारिक तौर पर अलग झंडा होगा। जानकार बता रहे हैं कि आने वाले कर्नाटक विधानसभा चुनाव को देखते हुए झंडे को सियासी तौर पर भी इस्तेमाल किया जाएगा। कर्नाटक के स्थापना दिवस के अवसर पर हर साल एक नवंबर को राज्य के कोने-कोने में अभी जो झंडा फहराया जाता है, वह मोटे तौर पर लाल एवं पीले रंग का 'कन्नड़ झंडा' है। इस झंडे का डिजाइन 1960 के दशक में वीरा सेनानी एम ए रामामूर्ति ने तैयार किया था।
भाजपा के शासन में उठी थी अलग झंडे की मांग
पिछले साल कर्नाटक में राज्य के लिए झंडे के मुद्दे को जोरशोर से उठाया गया था। सबसे दिलचस्प बात यह है कि पहली बार राज्य में झंडे की मांग 2008-09 में उठी थी। उस समय राज्य में बीजेपी की सरकार थी। उस वक्त कर्नाटक हाईकोर्ट में राज्य के झंडे के लिए याचिका डाली गई थी। तब की बीजेपी सरकार ने कोर्ट को बताया था कि राज्य का अलग झंडा होना देश की एकता और अखंडता के खिलाफ है। बीजेपी आज भी झंडे को लेकर अपने इस रुख पर कायम है।