क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

कर्नाटक: भारी बहुमत के बाद भी दबाव में क्यों है सिद्दारमैया-डीके शिवकुमार सरकार? 5 बड़े कारण

कर्नाटक में कांग्रेस बड़ी जीत के साथ सत्ता में आई है। जितनी बड़ी जीत है, उतनी बड़ी चुनौतियां भी हैं और उसके चलते सिद्दारमैया और डीके शिवकुमार पर चौतरफा दबाव भी शुरू है।

Google Oneindia News

Karnataka Congress Govt

कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार बने एक हफ्ते हो चुके हैं और पार्टी को भारी जीत मिले हुए दो हफ्ते गुजर चुके हैं। लेकिन, फिर भी मुख्यमंत्री सिद्दारमैया और उनके डिप्टी डीके शिवकुमार की सरकार काफी दबाव में नजर आ रही है। इस दबाव के पीछे सिर्फ पार्टी के 5 लोक-लुभावन चुनावी गारंटियां ही नहीं है; और भी अहम मुद्दे चुनौती बनकर खड़े हो गए हैं।

Karnataka Congress

पहला: कैबिनेट का विस्तार और विभागों का बंटवारा
चर्चा है कि काफी मंथन के बाद कांग्रेस आलाकमान से राज्य में 20-24 और लोगों को मंत्री बनाने की हरी झंडी मिली है। मुख्यमंत्री सिद्दारमैया की दिल्ली में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्षों सोनिया गांधी और राहुल गांधी से मुलाकात भी हुई है, जिसके बाद ही यह रास्ता निकल पाया है।

20 मई को सीएम और डिप्टी सीएम के अलावा 8 एमएलए ने मंत्री पद का शपथ लिया था, लेकिन सब अभी तक बिना विभाग के मंत्री बने हुए हैं। कांग्रेस आलाकमान से लेकर सिद्दारमैया और डीके शिवकुमार के सामने अगली चुनौती ये है कि जाति, धर्म और क्षेत्र के आधार पर किसको कितना प्रतिनिधित्व दिया जा?

Karnataka Congress

कर्नाटक में वोट बैंक के लिहाज से लिंगायत समुदाय सबसे महत्वपूर्ण है। इसका बड़ा तबका इसबार भाजपा की जगह कांग्रेस के लिए दांव खेल चुका है। उसने मुख्यमंत्री पद पर भी दावेदारी ठोकी थी। लेकिन, सीएम पद नहीं मिला तो इस समुदाय की ओर से मंत्रियों की संख्या में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने का दबाव रह सकता है। इसी तरह से वोक्कालिगा और दलितों की अपनी-अपनी दावेदारी है

कांग्रेस के लिए चुनौती बढ़ने की वजह अगले साल होने वाला लोकसभा चुनाव भी है। प्रदेश में लोकसभा की 28 सीटें हैं और ऐसे में पार्टी के लिए किसी भी समुदाय को अभी मायूस कर देना भारी पड़ सकता है। इसलिए, दबाव सिर्फ मंत्री बनाने तक नहीं, मालदार पोर्टफोलियो को लेकर भी रहने वाला है।

Karnataka Congress

दूसरा- पांच गारंटी पर अमल करके दिखाना
कर्नाटक में ही नहीं यहां से बाहर भी कांग्रेस की साख बरकरार रहे, इसके लिए न सिर्फ पांच गारंटियों को लागू करने का राज्य सरकार पर दबाव है, बल्कि जल्द से जल्द लागू करने की चुनौती बढ़ गई है। कर्नाटक स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन फेडरेशन ने पहले ही मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखकर महिलाओं के लिए मुफ्त किराए का वादा पूरा करने के लिए कह रखा है।

उधर बीजेपी भी सिद्दारमैया सरकार पर प्रेशर बढ़ाने में जुट चुकी है। मैसुरू से भाजपा सांसद प्रताप सिम्हा ने राज्य सरकार से कहा है कि मई के अंत तक पांचों गारंटी लागू करे या फिर विरोध का सामना करने के लिए तैयार हो जाए। उन्होंने लोगों से कह दिया है कि 200 यूनिट से कम बिजली बिल हो तो उसका भुगतान करना बंद करे दें।

Karnataka CM

तीसरा- परफॉर्म करके दिखाना
सिद्दारमैया सरकार के पास एक साल से भी कम का वक्त है। उन्हें लोकसभा चुनावों से पहले चुनावी वादों को पूरा करने के साथ ही परफॉर्म करके दिखाना होगा। क्योंकि, कर्नाटक में कांग्रेस की जीत को देश भर में विपक्षी दल इस तरह से पेश कर रहे हैं कि यह बदलाव की शुरुआत है।

Recommended Video

DK Shivakumar ने बड़े तैश में क्या वादा कर डाला ? | Karnataka Assembly Session | वनइंडिया हिंदी

वैस, राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी ने जो कुछ कहा है, वह कांग्रेस नेतृत्व का तनाव और बढ़ा सकता है। राज्य की 224 सीटों में से कांग्रेस ने 135 जीती हैं। लेकिन, कुमारस्वामी ने कहा है कि कर्नाटक की कांग्रेस सरकार का भविष्य 2024 के लोकसभा चुनाव के नतीजों पर निर्भर है।

उनके मुताबिक, 'मैं नहीं जानता कि अगला चुनाव (विधानसभा) पांच साल बाद होगा, क्या हो सकता है, मैं नहीं जानता, देखते जाइए। इस सरकार का भविष्य आने वाले लोकसभा चुनावों पर निर्भर है, मैं जानता हूं। मैं कोई भी बात छिपाकर नहीं बोल रहा हूं और न ही किसी तरह की ज्योतिषीय भविष्यवाणी कर रहा हूं।'

Karnataka Congress

चौथा- आपसी विरोधाभास और मतभेद से निपटना
कांग्रेस पार्टी मंत्रियों का नाम तक तय नहीं कर पाई और पार्टी में विवादित मुद्दों को लेकर मंत्रियों के बीच विरोदाभास और मतभेद उभरने शुरू हो गए। पहले पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे प्रियांक ने बजंरग दल और आरएसएस पर पाबंदी लगाने की धमकी दे डाली तो दूसरी तरफ वरिष्ठ मंत्री जी परमेश्वरा ने उनकी बातों का खंडन करके शुरुआत में ही सरकार में तालमेल की खामियों को उजागर कर दिया।

Karnataka Congress

इसे भी पढ़ें- Karnataka Cabinet expansion: 24 और मंत्री सीएम सिद्धारमैया की टीम में शामिल होंगे, शपथ 27 मई को: रिपोर्ट्सइसे भी पढ़ें- Karnataka Cabinet expansion: 24 और मंत्री सीएम सिद्धारमैया की टीम में शामिल होंगे, शपथ 27 मई को: रिपोर्ट्स

पांचवां- रोटेशनल सीएम का मुद्दा
कर्नाटक में चुनाव नतीजे आने और सरकार बनने में एक हफ्ते लग गए। इसकी वजह ये रही कि डीके शिवकुमार इसबार अभी नहीं तो कभी नहीं वाले मूड में थे। आखिरकार उन्हें डिप्टी सीएम और प्रदेश अध्यक्ष का पद देकर मना लेने की बातें सामने आईं। चर्चा शुरू हुई की अंदर-अंदर 30-30 महीने वाली डील हुई है। लेकिन, सिद्दारमैया खेमे के मंत्री एमबी पाटिल ने इस फॉर्मूले का खंडन करके डीकेएस कैंप और उनके वोक्कालिगा वोट बैंक को मायूस किया है।

डीके के भाई और सांसद डीके सुरेश सार्वजनिक तौर पर इस मसले पर अपनी नाखुशी जता चुके हैं। ऐसे में भले ही शिवकुमार खुलकर कुछ नहीं बोल रहे हों, उनके समर्थकों का दबाव उन्हें परेशान करेगा और सरकार भी उसके दबाव में आने से बच जाएगी कहना मुश्किल है।

Comments
English summary
The Siddaramaiah-DK Shivakumar government of the Congress has been under pressure since its inception. The most important issue is the guarantee. It is a big challenge to make everyone happy
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X