Karnataka Hijab Row : सुप्रीम कोर्ट का तीखा सवाल- क्या पोशाक के अधिकार में Right to Undress भी शामिल ?
कर्नाटक के शिक्षण संस्थानों में हिजाब पहनने को लेकर हुआ विवाद सुप्रीम कोर्ट में है। सुनवाई के दौरान बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, क्या पोशाक के अधिकार में कपड़े उतारने का अधिकार भी शामिल होगा ? karnataka hizab row sc
नई दिल्ली, 07 सितंबर : हिजाब विवाद पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि क्या पोशाक के अधिकार में कपड़े उतारने का अधिकार शामिल होगा ? बता दें कि कर्नाटक में हिजाब विवाद विगत जनवरी में कर्नाटक के उडुपी के सरकारी कॉलेज से शुरू हुआ था। धीरे-धीरे विवाद दूसरे जिलों में भी फैल गया। सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता ने शिक्षण संस्थानों में हिजाब पहनने के अधिकार के लिए बहस कर रहे एक वकील से पूछा, आप इसे अतार्किक अंत तक नहीं ले जा सकते। क्या पोशाक के अधिकार में कपड़े पहनने का अधिकार भी शामिल होगा ?
एक समुदाय के विशेष जोर पर SC का सवाल
जस्टिस गुप्ता के सवाल पर वकील देवदत्त कामत ने जवाब दिया, "स्कूल में कोई भी कपड़े नहीं उतार रहा है।" न्यायमूर्ति गुप्ता ने टिप्पणी की, "यहां समस्या यह है कि एक विशेष समुदाय एक हेडस्कार्फ़ (हिजाब) पर जोर दे रहा है जबकि अन्य सभी समुदाय ड्रेस कोड का पालन कर रहे हैं। अन्य के छात्र समुदाय यह नहीं कह रहे हैं कि हम यह और वह पहनना चाहते हैं।"
दूसरे धार्मिक प्रतीक शर्ट के भीतर
जस्टिस गुप्ता की टिप्पणी शीर्ष अदालत और वकील के बीच लंबे समय तक हुई जिरह का एक हिस्सा है। जब वकील कामत ने कहा कि कई छात्र रुद्राक्ष या क्रॉस को धार्मिक प्रतीक के रूप में पहनते हैं, तो न्यायाधीश ने जवाब दिया: "यह शर्ट के अंदर पहना जाता है। कोई भी शर्ट को उठाने और यह देखने वाला नहीं है कि किसी ने रुद्राक्ष पहना है या नहीं।"
हिजाब क्या और विवाद SC में क्यों
बता दें कि शीर्ष अदालत कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक बैच पर सुनवाई कर रही है। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में राज्य के शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध हटाने से इनकार कर दिया था। हिजाब को स्कार्फ की तरह भी देखा जाता है। इससे बालों, गर्दन और कभी-कभी एक महिला के कंधों तक का भाग कवर किया जाता है।
धार्मिक अधिकार हो सकता है, लेकिन...
न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने सोमवार को भी हिजाब विवाद पर सुनवाई की थी। इस मामले के केंद्र में एक महत्वपूर्ण मुद्दा यह भी रखा गया था कि आप जो भी अभ्यास करना चाहते हैं उसका अभ्यास करने का आपको धार्मिक अधिकार हो सकता है, लेकिन क्या आप अभ्यास करने के उस अधिकार को स्कूल में भी ले जा सकते हैं। ऐसे स्कूल में जहां पोशाक के हिस्से के रूप में यूनिफॉर्म तय किया गया है ? देश की सबसे बड़ी अदालत ने कहा था कि कोर्ट के समक्ष सबसे अहम सवाल यही होगा।
नीचे देखें SC की पीठ में शामिल जजों की तस्वीरें-
संविधान के मुताबिक भारत धर्मनिरपेक्ष : SC
इस सवाल पर कि क्या हिजाब पहनना संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत एक आवश्यक प्रथा है ? सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा, "इस मुद्दे को थोड़ा अलग तरीके से संशोधित (modulated) किया जा सकता है। यह आवश्यक हो सकता है, यह आवश्यक नहीं भी हो सकता है।" पीठ ने पिछली सुनवाई में कहा था, सुप्रीम कोर्ट पूछ रही है कि क्या आप किसी सरकारी संस्थान में अपनी धार्मिक प्रथा को आगे बढ़ाने पर जोर दे सकते हैं ? क्योंकि प्रस्तावना कहती है कि हमारा देश एक धर्मनिरपेक्ष देश है।
कॉलेज के प्रिंसिपल पर झूठ बोलने का आरोप
कर्नाटक का हिजाब विवाद 1 जनवरी को उडुपी के गवर्नमेंट पीयू कॉलेज में शुरू हुआ था। छह छात्राओं ने आरोप लगाया कि उन्हें हिजाब पहनकर कक्षाओं में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जा रही है। उन्होंने विरोध शुरू किया, जो जल्द ही एक राज्यव्यापी मुद्दा बन गया। भगवा दुपट्टा पहने हिंदू छात्रों ने जवाबी प्रदर्शन किया जो दूसरे राज्यों में भी फैला। इस विवाद पर पीयू कॉलेज के प्रिंसिपल ने कहा कि छात्र कैंपस में हिजाब पहनकर आते थे, लेकिन कक्षा में प्रवेश करने से पहले इसे हटा देते थे। छात्रों ने कहा कि प्रिंसिपल झूठ बोल रहे हैं।
हाईकोर्ट में मुस्लिम छात्राओं की दलीलें
विवाद गहराने के बाद मामला कर्नाटक हाईकोर्ट तक जा पहुंचा। पीयू कॉलेज के अलावा छात्रों को अन्य जगहों पर भी हिजाब के साथ प्रवेश करने से रोके जाने के बाद कर्नाटक उच्च न्यायालय में कई याचिकाएं दायर की गईं। इनमें मुस्लिम छात्रों ने संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 25 का हवाला दिया।
'प्रतिबंध उचित' : कर्नाटक सरकार ने किस नियम को रेफर किया
दुर्भाग्य से यह विवाद ऐसे समय में हुआ था जब देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे थे। विवाद बढ़ने पर कर्नाटक की भाजपा सरकार ने अपने 1983 के शिक्षा अधिनियम के तहत प्रतिबंध को उचित करार दिया। 5 फरवरी के एक आदेश में कर्नाटक सरकार ने कहा कि सरकार स्कूलों और कॉलेजों को "सार्वजनिक व्यवस्था के रखरखाव को सुनिश्चित करने के लिए" निर्देश जारी करने का अधिकार सुरक्षित रखती है।
हिजाब को संविधान से संरक्षण नहीं
हिजाब के संबंध में कर्नाटक सरकार के आदेश में कहा गया है कि कर्नाटक बोर्ड ऑफ प्री-यूनिवर्सिटी एजुकेशन के तहत आने वाले कॉलेजों में संस्थान द्वारा निर्धारित ड्रेस कोड का पालन किया जाना चाहिए। यदि ड्रेस कोड तय नहीं है, तो ऐसे कपड़े पहने जाने चाहिए जो "समानता, एकता और सार्वजनिक व्यवस्था के लिए खतरा न हों।" दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद कर्नाटक उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि हिजाब एक "आवश्यक धार्मिक प्रथा" नहीं है जिसे संविधान के तहत संरक्षित किया जा सके।