कर्नाटक में पूर्ण बहुमत के करीब पहुंची कांग्रेस, सिद्धारमैया सीएम के लिए पहली पसंद
नई दिल्ली। कर्नाटक के सियासी रण दिलचस्प हो गया है। कांग्रेस और बीजेपी दोनों दलों के दिग्गज ताबड़तोड़ रैली कर रहे हैं। 12 मई को राज्य की जनता उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला ईवीएम में कैद कर देगी। इसी बीच वोटिंग से पहले एबीपी न्यूज़ कर्नाटक का फाइनल ओपिनियन पोल किया है। जिसके मुताबिक कर्नाटक चुनाव में लिंगायत समुदाय बीजेपी के साथ है। सर्वे के मुताबिक कांग्रेस के साथ 18 % लिंगायत हैं तो बीजेपी के साथ 61% और जेडीएस+ के साथ 11% प्रतिशत हैं। कर्नाटक में किसी पार्टी को बहुमत मिलता नहीं दिख रहा है, कांग्रेस को सबसे ज्यादा सीटें लेकिन बहुमत से दूर दिख रही है
किस पार्टी को मिल सकती हैं कितनी सीटें?
सर्वे के मुताबिक कर्नाटक चुनाव की सीटों की बात करें तो कांग्रेस को 97 सीटें ,बीजेपी को 84 सीटें, जेडीएस को 37 सीटें वहीं अन्य को 4 सीटें मिल सकती है। कर्नाटक चुनाव में गांव के 32% बीजेपी के साथ 39% वोटर कांग्रेस के साथ 23% वोटर जेडीएस के साथ हैं।
'जनता ने बीजेपी को ज्यादा भ्रष्ट माना'
कर्नाटक में कांग्रेस से ज्यादा लोगों ने बीजेपी को भ्रष्ट माना है हालांकि पीएम मोदी का काम 23 फीसदी लोगों ने बहुत अच्छा बताया है। कर्नाटक चुनाव के ओपिनियन पोल में विकास के लिए लोगों ने कांग्रेस को बीजेपी से बेहतर माना है। कर्नाटक की जनता ने सर्वे में बीजेपी को 44% कांग्रेस को 41% जेडीएस को 4% भ्रष्ट माना है। कर्नाटक में सीएम के तौर पर पहली पसंद सिद्धारमैया हैं। कर्नाटक चुनाव में वोट शेयर में बीजेपी से आगे निकलती दिख रही है कांग्रेस, कांग्रेस का वोट शेयर बीजेपी से 5 फीसदी ज्यादा हो सकता है। ये सर्वे 27 अप्रैल से 3 मई के बीच किया गया है। 56 विधानसभा सीटों की 224 बूथों पर जाकर 4929 लोगों की राय ली गई है।
2013 में कांग्रेस ने बनाई थी बहुमत की सरकार
कर्नाटक में इस समय कांग्रेस की सरकार है और सिद्धारमैया प्रदेश के सीएम हैं। 224 विधानसभा सीटों पर बहुमत के लिए 113 सीटों की जरूरत है। 2013 में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने 122 सीटों पर जीत हासिल करते हुए बहुमत हासिल किया था। कांग्रेस ने जहां एक बार फिर से सिद्धारमैया को सीएम के चेहरे के तौर पर पेश किया है तो वहीं भाजपा बीएस येदुरप्पा को चेहरा बनाकर चुनाव लड़ रही है। प्रदेश में मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस में माना जा रहा है लेकिन जनता दल (सेक्युलर) और बसपा गठबंधन प्रदेश में बड़ी ताकत बन सकते हैं और ये गठबंधन मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश में है।