कारगिल: देश में पहला मामला, क्वारंटाइन की गई महिला ने दिया बच्चे को जन्म
नई दिल्ली- कारगिल में नियंत्रण रेखा के पास शायद देश का पहला ऐसा मामला सामने आया है, जब किसी महिला ने क्वारंटाइन के दौरान बच्चे को जन्म दिया है। जानकारी के मुताबिक मां और बच्चा पूरी तरह स्वस्थ हैं। नवजात का पूरा परिवार इस वक्त क्वारंटाइन में है, क्योंकि बच्चे का चाचा कोरोना संक्रमित पाया गया था। महिला और उसके पति की तकलीफ सिर्फ एक ही है कि इस खुशी के मौके पर वे एक-दूसरे से मिल भी नहीं पाए हैं। लेकिन, डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों ने उनकी जिस तरह से देखभाल की है उससे वह बहुत ही ज्यादा खुश हैं। इन सबका क्वारंटाइन भी पूरा होने वाला है और उम्मीद है कि जल्द ही पूरा परिवार एकसाथ अपने घर पर होगा।
क्वारंटाइन के दौरान बच्चे का जन्म
कारगिल में नियंत्रण रेखा के पास क्वारंटाइन में रखी गई 30 साल की एक महिला ने बेटे को जन्म दिया है। उस महिला के परिवार के एक सदस्य को कोरोना पॉजिटिव पाया गया था, जिसके चलते ये गर्भवती महिला को क्वारंटाइन सेंटर भेजना पड़ा। लेकिन, आइसोलेशन में रहते हुए ही उसने कारगिल के सरकारी जिला अस्पताल में बच्चे को जन्म दिया है। हालांकि, बेटे के जन्म के बावजूद परिवार वाले अभी तक जश्न नहीं मना पाए हैं, क्योंकि उस महिला के पति समेत बाकी परिवार वाले अभी भी क्वारंटाइन में हैं। इसके कारण नवजात का पिता भी अभी तक अपने बच्चे को नहीं देख पाया है। शायद जाहरा बानो देश की पहली ऐसी महिला हैं, जो क्वारंटाइन में रहते हुए मां बनी है। इस मामले में एक अनोखा संयोग ये भी है कि जिस गाइनोकोलॉजिस्ट ने प्रसव कराया है, उसका नाम भी नवजात की मां से मिलता-जुलता ही जोहरा बानो है। उन्होंने बताया कि नवजात का वजन 3.5 किलो है और उसे टीके भी लगा दिए गए हैं।
अस्पताल कर्मचारियों में खुशी की लहर
जाहरा को 30 मार्च को प्रसव की तारीख बताई गई थी। लेकिन, क्वारंटाइन रहते हुए उसे 28 तारीख को ही दर्द शुरू हो गया तो उसे कुरबाथांग के क्वारंटाइन सेंटर से एंबुलेंस के जरिए अस्पताल ले जाना पड़ा। कारगिल जिला अस्पताल के मेडिकल सुप्रिटेंडेंट डॉक्टर काचू सिकंदर अली खान ने बताया कि, 'हमने मां को ओपीडी में शिफ्ट कर दिया और इस बात का पूरा ख्याल रखा गया कि वह किसी दूसरे मरीज के संपर्क में न आने पाए।' डॉक्टर खान के मुताबिक बच्चे की जन्म को लेकर हॉस्पिटल के स्टाफ में बहुत ज्यादा खुशी है। उन्होंने जाहरा के पास प्रसव के दौरान मौजूद रही अस्पताल की सफाई कर्मचारी फातिमा का उदाहरण देते हुए कहा कि 'इस संकट के वक्त में हमारी कर्मचारियों ने गर्भवती महिला को बहुत ज्यादा इमोशनल सपोर्ट दिया, क्योंकि वह अकेली थी।'
पिता को बेटे को देखने का इंतजार
जाहरा का कोरोना वायरस टेस्ट दो बार निगेटिव आ चुका है। लेकिन, उस महिला के पास अस्पताल के जो भी कर्मचारी जा रहे हैं वह अपनी हिफाजत का पूरा ख्याल रख रहे हैं और काफी हद तक अतिरिक्त सुरक्षा बरत रहे हैं। मंगलवार को उसका 14 दिन का क्वारंटाइन पूरा हो चुका है और डॉक्टर पहले ही कह चुके हैं कि यह मियाद पूरा होते ही उसे डिस्चार्ज कर दिया जाएगा। उधर कुरबाथांग के क्वारंटाइन सेंटर में मौजूद नवजात के पिता को भी बेटे के जन्म पर खुशी का ठिकाना नहीं है, लेकिन साथ ही साथ वह चिंतित भी हो रहे हैं। विलायत अली ने कहा, 'यह मेरा तीसरा बच्चा है और मेरी इच्छा थी कि काश मैं उनके पास रह पाता।' उन्होंने ये भी कहा कि 'मैं बहुत आभारी हूं कि डॉक्टरों ने हमारा बहुत ज्यादा ख्याल रखा। मेरे भाई के पॉजिटिव पाए जाने के बाद हमें सनकू (कारगिल से 45 किलोमीटर दूर कस्बा) से क्वारंटाइन सेंटर लागाया गया था। सड़कों पर बहुत ज्यादा बर्फ होने के चलते यात्रा के लिए यह बहुत ही दुर्गम इलाका है, लेकिन हमें खुशी है कि एंबुलेंस मिलने की वजह से डॉक्टरों की देखरेख में हम यहां पहुंच सके।'
कारगिल में 353 लोग हैं क्वारंटाइन
कारगिल के डीसी बसीर खान के मुताबिक जिले में अब तक 353 लोग क्वारंटाइन किए गए हैं। बता दें कि कोरोना वायरस के प्रकोप को रोकने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग का बखूबी पालन कर के लद्दाख ने पूरे देश के लिए एक बहुत ही बेहतर मिसाल पेश किया है। शुरू में अचानक से कोविड-19 के मामले सामने आने के बाद से पिछले 11-12 दिनों से वहां किसी नए मामले की सूचना फिलहाल नहीं है। बता दें कि वहां 13 पॉजिटिव केस सामने आए थे, जिनमें से 11 लेह जिले और 2 कारगिल जिले के थे। आखिर बार 21 मार्च को इस क्षेत्र से 3 पॉजिटिव मामले सामने आए थे। 13 में से भी 10 लोग स्थिर बताए जा रहे हैं और बाकी तीन के टेस्ट अब निरेटिव आ चुके हैं।
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