कादर खान के यादगार डायलॉग, जिन्होंने अमिताभ बच्चन को 'एंग्रीयंग मैन' बनाया
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नई दिल्ली। लंबे समय से बीमार चल रहे मशहूर फिल्म अभिनेता और डायलॉग रायटर कादर खान का निधन हो गया है। वो 81 साल के थे। कनाडा के एक अस्पताल में 31 दिसंबर की शाम को उन्होंने आखिरी सांस ली। कई दिनों से वो वेंटिलेटर पर थे। कादर खान को अपने अभिनय के लिए ना सिर्फ भारत बल्कि दुनियाभर में जाना जाता है। अभिनय के अलावा डायलॉग लेखन में भी उनको कमाल की महारत हासिल थी। उन्होंने बहुत सी फिल्मों में डायलॉग लिखे। 70 के दशक में पर्दे पर अमिताभ बच्चन की 'एंग्रीयंग मैन' की छवि बनाने में कादर के डायलॉग की अहम भूमिका रही है। उनके कुछ यादगार डायलॉग-
अमिताभ बच्चन को 'एंग्रीयंग मैन' बनाने वाले कादर
कादर खान ने 'अमर अकबर एंथनी', 'मुकद्दर का सिकंदर', 'लावारिस' , 'कालिया', 'नसीब' , 'कूली' जैसी फिल्मों के लिए डायलॉग्स लिखे। एक दौर में अमिताभ बच्चन, कादर खान, मनमोहन देसाई और प्रकाश मेहरा की जोड़ी ने एक के बाद एक कई हिट फिल्में दी थीं।
विजय दीनानाथ चौहान
अमिताभ बच्चन का अग्निपथ में बोला गया मशहूर डायलॉग कादर खान ने ही लिखा था- नाम- विजय दीनानाथ चौहान, बाप का नाम दीनानाथ चौहान, मां का नाम सुहासिनी चौहान, गांव मांडवा, उम्र 36 साल 9 महीना 8 दिन और ये सोलहवां घंटा चालू है।
कहते हैं किसी आदमी की सीरत अगर जाननी हो तो उसकी सूरत नहीं उसके पैरों की तरफ देखना चाहिए, उसके कपड़ों को नहीं उसके जूतों की तरफ देख लेना चाहिए- फिल्म हम
बाजू पर 786 का है बिल्ला, 20 नंबर की बीड़ी पीता हूं नाम है इकबाल
1978 आई मुकद्दर का सिकंदर में फकीर बने कादर खान का डायलॉग- सुख तो बेवफा है आता है जाता है, दुख ही अपना साथी है, अपने साथ रहता है। दुख को अपना ले तब तकदीर तेरे कदमों में होगी और तू मुकद्दर का बादशाह होगा।
1983 में रिलीज हुई कुली में अमिताभ के लिए लिखा कादर खान का डायलॉग- बचपन से सर पर अल्लाह का हाथ और अल्लाहरख्खा है अपने साथ, बाजू पर 786 का है बिल्ला, 20 नंबर की बीड़ी पीता हूं, नाम है इकबाल।
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ना बंडल में बीड़ी है ना माचिस में तीली है
लानत है, ना पेट में दाना है ना लोटे में पानी है. ना बंडल में बीड़ी है ना माचिस में तीली है- बाप नंबरी बेटा दस नंबरी
सरकार अगर इस गांव के सर हैं, तो मैं उस का सींग हूं और जो हमारी बात नहीं मानता, मैं उसे सींग मारकर सींगापुर बना देता हूं- हिम्मतवाला
क्या गजब करते हो सेक्रेटरी साहब, क्यों मुहब्बत के शीशे को बुढ़ापे के पत्थर से तोड़ रहे हो- दूल्हे राजा
तेरे बाप ने 40 साल मुंबई पर हुकूमत की है
ऐसे तोहफे (बंदूकें) देने वाला दोस्त नहीं होता है, तेरे बाप ने 40 साल मुंबई पर हुकूमत की है इन खिलौनों के बल पर नहीं, अपने दम पर - फिल्म अंगार
तुम्हें बख्शीश कहां से दूं, मेरी गरीबी का तो ये हाल है कि किसी फकीर की अर्थी को कंधा दूं तो वो उसे अपनी इंसल्ट मान कर अर्थी से कूद जाता है- फिल्म बाप नंबरी बेटा दस नंबरी (1990)
काबुल में हुए थे पैदा
अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में पैदा हुए कादर खान तब बहुत छोटे थे, जब उनका परिवार मुंबई आ गया था। कादर खान का बचपन बेहद गरीबी में बीता। उन्होंने तमाम मुश्किलों से पार पाते हुए सिविल इंजीनियरिंग की। इसके बाद फिल्मों में ना सिर्फ एंट्री की बल्कि एक मुकाम भी हासिल किया।
500 से ज्यादा फिल्मों में किया काम
कादर खान ने 1973 में आई फिल्म दाग से बॉलीवुड में एंट्री की थी। इस फिल्म में राजेश खन्ना के साथ कादर खान दिखे थे। कादर खान ने इसके बाद मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने जहां करीब 300 फिल्मों में काम किया तो 250 से ज्यादा फिल्मों के लिए डायलॉग भी लिखे।
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