जज लोया केस के मुख्य याचिकाकर्ता बोले- 4 जजों ने जिस मुद्दे को उठाया उसे गंभीरता से सुना जाए
नई दिल्ली। जस्टिस लोया की मौत की जांच कराने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका डालने वाले तहसीन पूनावाला ने शनिवार को कहा कि उन्हें न्यायपालिक पर पूरा भरोसा है। सुप्रीम कोर्ट के 4 जजों ने जिस मुद्दे को उठाया है उस मुद्दे पर न्यायपालिका को गंभीरता से विचार करना चाहिए। बता दें कि तहसीन पूनावाला इस केस में मुख्य याचिकाकर्ता होने के साथ ही कांग्रेस पार्टी के नेता भी हैं।
तहसीन पूनावाला ने ये कहा
तहसीन पूनावाला ने कहा, 'मैं जस्टिस लोया केस में मुख्य याचिकाकर्ता हूं। मैं यह साफ कर देना चाहता हूं कि मैं न्याय के लिए सुप्रीम कोर्ट के पास गया हूं। मुझे न्यायव्यवस्था पर पूरा भरोसा है। सुप्रीम कोर्ट के 4 जजों ने जिस मुद्दे को उठाया है उस पर गंभीरता से विचार होना चाहिए। लोकतंत्र में हर संस्था को आत्मनिरीक्षण और विकसित करने की जरूरत है।'
केस की सुनवाई टली
इस जस्टिस लोया की मौत की जांच के संबंध में सुप्रीम कोर्ट में दाखिल जनहित याचिका पर सोमवार को होने वाली सुनवाई को टाल दिया गया है। मिली जानकारी के मुताबिक इस मामले की सुनवाई जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस एम शांतानगौड़ार की बेंच को करनी थी लेकिन सोमवार को जस्टिस एम शांतानगौड़ार छुट्टी पर रहेंगे जिसके चलते इस मामले में सुनवाई टाल टी गई है।
ये है जस्टिस लोया का पूरा मामला
बता दें की सोहराबुद्दीन मामले की सुनवाई कर रहे सीबीआई जज लोया की दिसंबर 2004 में मृत्यु हुई थी। उनकी मौत उस वक्त हुई थी जब वह अपने सहयोगी की बेटी की शादी में शिरकत करने जा रहे थे। यह मामला बीते साल दोबारा सुर्खियों में तब आया जब कारावां मैगजीन ने जस्टिस लोया के घर वालों से एक रिपोर्ट छापी जिसमें उनकी संदिग्ध परिस्थिति में मृत्यु की बात की गई। इसके बाद से ही जस्टिस लोया की मौत की जांच कराने की मांग उठ रही है।
सुप्रीम कोर्ट के 4 जजों ने भी इस मामले को उठाया
शुक्रवार को जब सुप्रीम कोर्ट के 4 वरिष्ठ जजों ने देश के सामने ऐतिहासिक प्रेस कांफ्रेस की तो उसमें भी जस्टिस लोया की मौत की मामला छाया रहा। इस बात की पुष्टि जस्टिस रंजन गोगोई ने की जब प्रेस कांफ्रेस के दौरान उनसे पूछा गया क्या यह असंतुष्टि जस्टिस लोया को लेकर है, तो उन्होंने इसके जवाब में कहा हां। इस मुद्दे को स्वीकार करने के साथ ही यह साफ हो गया कि जस्टिस लोया के मुद्दे पर भी जजों के भीतर असंतुष्टि है।