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जजों को अब निजी विदेश यात्रा के लिए राजनीतिक इजाजत की जरूरत नहीं

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नई दिल्ली, 07 अप्रैल। दिल्ली हाई कोर्ट ने उस नियम को खत्म कर दिया है जिसके तहत सुप्रीम कोर्ट के जजों को भारत से बाहर जाने के लिए राजनीतिक इजाजत लेनी पड़ती थी। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के जजों को व्यक्तिगत यात्रा के लिए विदेश जाने से पहले राजनीतिक इजाजत लेनी पड़ती थी। कोर्ट ने कहा कि इसमे उच्च पदों के लिए लोग शामिल है, लिहाजा यह अनुचित है। कोर्ट ने 1 अप्रैल को आदेश जारी करते हुए 31 जुलाई 2021 में विदेश मंत्रालय की ओर से जारी ऑफिस मोमेरेंडम को रद्द कर दिया है। जिसके तहत सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों को व्यक्तिगत यात्रा के लिए विदेश जाने से पहले राजनीतिक इजाजत लेनी पड़ती थी।

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जस्टिस राजीव शंखधर और जसमीत सिंह ने 1 अपैल को अपने फैसले में यइ नियम को रद्द कर दिया है। कोर्ट में याचिकाकर्ता अमन वचार ने याचिका दायर की थी। जिसमे कहा गया था कि व्यक्तिगत विदेश यात्रा के लिए इजाजत लेने से ना सिर्फ जजों का निजता का अधिकार खथ्म होता बल्कि इससे इतने शीर्ष पद की महत्ता कम होती है। कोर्ट ने अपने 7 पन्नों के आदेश में कहा है कि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को इस बात की चिंता है कि अगर जज विदेश यात्रा पर हों तो उन्हें किसी भी तरह की समस्या होने पर मदद मुहैया कराई जा सके। लेकिन यह जानकारी अपील करके विदेश मंत्रालय के पासपोर्ट और वीजा डिवीजन से हासिल की जा सकती है। इससे पहले मई 2012 में भी कोर्ट ने इस तरह की शर्तों को खत्म करने के लिए कहा था।

English summary
Judges are not needed to provide details of their private foreign trips
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