JNU छात्र संघ ने कैंपस में CRPF की तैनाती का किया दावा, प्रशासन का इनकार
नई दिल्ली- सोमवार को दिल्ली के जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय छात्र संघ और विश्वविद्यालय प्रशासन में एक नया विवाद छिड़ गया। जेएनयूएसयू ने दावा किया है कि छात्रों को जेल में डालने के लिए कैंपस में सीआरपीएफ की तैनाती की गई है, जबकि यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। विश्वविद्यालय प्रशासन के मुताबिक किसी भी आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए सिर्फ गेट से बाहर उनकी तैनाती की गई है।
जेएनयूएसयू के वाइस प्रेसिडेंट साकेत मून ने सीआरपीएफ के जवानों की तस्वीरों के साथ एक संदेश साझा किया है जिसमें कहा गया है, 'जेएनयू एडमिन ने कैंपस में सीआरपीएफ बुलाई है। शर्मनाक। जेएनयू के वीसी 8,500 छात्रों को जेल में डालना चाहते हैं।' खबरों के मुताबिक जब इस दावे पर प्रतिक्रिया जानने के लिए जब जेएनयू के रजिस्ट्रार प्रमोद कुमार को कॉल किया गया तो कॉल नहीं उठा। हालांकि, जेएनयू प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने जोर देकर कहा है कि कैंपस में सीआरपीएफ का कोई जवान नहीं है, सिर्फ इसके गेट के बाहर उनकी तैनाती की गई है, ताकि यूनिवर्सिटी किसी भी आपात स्थिति के लिए तैयार रहे। जेएनयू के अधिकारी के मुताबिक, 'यूनिवर्सिटी में सीआरपीएफ या पुलिस की कोई तैनाती नहीं है। कोई भी आकर देख सकता है। इस तरह का दावा और कुछ नहीं सिर्फ छात्रों को गुमराह करने की कोशिश है।'
इससे पहले जेएनयूएसयू ने होस्टल की फीस बढ़ाए जाने के खिलाफ सात दिनों की हड़ताल के बाद सोमवार को प्रशासनिक कार्यालय तक मार्च निकालने का प्रस्तावित कार्यक्रम अचानक वापस ले लिया और वसंत कुंज थाने जाकर जेएनयू वीसी एम जगदीश कुमार की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराने का फैसला किया। छात्र संघ के इस फैसले की विपक्षी छात्र संगठन एबीवीपी ने आलोचना की है, जो पहले फीस बढ़ोतरी के खिलाफ प्रदर्शन में उसका समर्थन कर रही थी। सोमवार को जारी एक बयान में एबीवीपी ने कहा है, 'जेएनयूएसयू ने साबित कर दिया है कि उसके पास आगे की कोई कार्य योजना नहीं है। उन्होंने छात्रों के एक सामान्य आंदोलन को हल्का करके भटका दिया है। पुलिस स्टेशन जाकर जेएनयूएसयू सिर्फ छात्र एकता को तोड़ रहा है।'
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