झारखंड: 'उसने पेट्रोल छिड़क कर मेरी बेटी को मार डाला, उसे फांसी दो'
दुमका में अधिकतर दुकानें रविवार से ही बंद हैं. प्रदर्शनकारी इस मामले के मुख्य अभियुक्त को फांसी की सज़ा दिलाने की मांग कर रहे हैं. सोशल मीडिया पर भी 'जस्टिस फ़ॉर अंकिता' कैंपेन चलाया जा रहा है.
"वह (शाहरुख़) पिछले कुछ दिनों से मेरी बेटी अंकिता को परेशान करता था. 10-12 दिन पहले उसने अंकिता की किसी सहेली से उसका फ़ोन नंबर ले लिया और उसे बार-बार फ़ोन कर तंग करने लगा. मेरी बेटी ने ये बातें मुझसे बतायी, तो मैंने पहले तो इग्नोर कर दिया. लेकिन, 22 अगस्त की शाम उसने अंकिता को फ़ोन कर कहा कि अगर वो उससे नहीं मिलेगी, तो उसे जान से मार देगा."
"अंकिता ने मुझसे ये बात भी बतायी. तब तक रात हो चुकी थी. मैंने सोचा कि सुबह होने पर शाहरुख़ और उसके घर के लोगों से इस मुद्दे पर बातचीत करेंगे. इसी बीच 23 अगस्त की अल सुबह उसने खिड़की के बगल में सोयी मेरी बेटी पर पेट्रोल छिड़क कर जलती माचिस की तीली फेंक दी. इसमें अंकिता बुरी तरह झुलस गई और अंततः हम उसकी जान नहीं बचा सके. मेरी मासूम बेटी मर गई और हम रो रहे हैं."
ये बयान है झारखंड के दुमका शहर के जरुवाडीह मोहल्ले के निवासी संजीव सिंह का. वे उस अंकिता सिंह उर्फ़ छोटी के पिता हैं, जिन्हें उन्हीं के मोहल्ले में रहने वाले शाहरुख़ हुसैन नामक युवक ने इकरतफ़ा प्यार के नाम पर आग लगा दी थी.
दुमका और रांची के अस्पतालों में जीवन से संघर्ष करती रही अंकिता की मौत 27-28 अगस्त की दरमियानी रात रांची के राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) में हो गई. 29 अगस्त की सुबह भारी पुलिस बल की तैनाती के बीच उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया. झारखंड पुलिस ने इस मामले में एक रिपोर्ट दर्ज कर मुख्य अभियुक्त शाहरुख़ और उनके एक सहयोगी को गिरफ़्तार कर लिया है.
दुमका के एसपी अंबर लकड़ा ने बीबीसी से कहा, "इस घटना के तुरंत बाद हमलोगों ने शाहरुख़ हुसैन को गिरफ़्तार कर उसके ख़िलाफ़ एफ़आइआर कर ली थी. शुरुआती जांच के बाद उसके एक सहयोगी दोस्त छोटू ख़ान को भी पुलिस ने गिरफ़्तार किया है. यह इकतरफ़ा प्रेम का मामला है. क्योंकि, लड़का और लड़की दोनों दो अलग-अलग धर्मों से हैं, इसलिए पुलिस-प्रशासन विशेष तौर पर सर्तक है. सारी स्थितियां नियंत्रण में हैं. पुलिस इस मामले में किसी को नही बख़्शेगी और मृतका के परिजनों के लिए इंसाफ़ सुनिश्चित कराएगी. इस मामले में पहले तो आइपीसी की धारा 320, 307 और 506 के तरह रिपोर्ट दर्ज की गई थी. अब इसमें हत्या की धारा 302 जोड़ने के लिए हम कोर्ट में अपील कर रहे हैं."
अंकिता का बयान
अंकिता ने अपनी मौत से पहले 23 अगस्त की सुबह दुमका के फूलो झानो मेडिकल कालेज में स्थानीय मीडिया और प्रशासन के एक अधिकारी (एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट) से बात की थी.
उनके बयान का वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. इसके बाद उन्हें बेहतर इलाज के लिए रांची स्थित राजेंद्र आर्युविज्ञान संस्थान (रिम्स) भेज दिया गया.
इस वीडियों में अंकिता सिंह कहती हैं, "उसका नाम शाहरुख़ है. वह 10-15 दिनों से हमको तंग कर रहा था. हम स्कूल जाते थे तो आगे-पीछे करता था. मेरा नंबर किसी से ले लिया था. बोलता था कि बात नहीं करेगी तो ऐसे करेंगे, वैसे करेंगे. बात नहीं करेगी तो तुमको मारेंगे. सबको मारेंगे. वह बहुत लड़कियों से बात करता है. घुमाता है. धमकी दिया था हमको रात को 8-30 बजे. हम पापा को बताए थे. तब तक चार बजे सुबह ऐसा करके (आग लगाकर) चला गया."
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प्रशासन करा रहा था इलाज
अंकिता के झुलसने के कुछ ही घंटे बाद दुमका के उपायुक्त (डीसी) रविशंकर शुक्ल ने उनके दादा अनिल सिंह को एक लाख रुपये का चेक भेजा था. डीसी ने तब कहा कि प्रशासन उनके परिवार के साथ है और अंकिता का बेहतर इलाज कराया जाएगा. रिम्स में उनका इलाज करने वाले एक डाक्टर ने बीबीसी से कहा कि वे सिर्फ़ 45 प्रतिशत जली थीं. उनका चेहरा ठीक था लेकिन शरीर बुरी तरह झुलस गया था. हालांकि, उन्हें बचाया नहीं जा सका.
अंकिता के पिता संजीव सिंह ने इसकी पुष्टि की.
उन्होंने बीबीसी से कहा, "बीजेपी के लोगों ने इलाज में बहुत मदद की. अस्पताल में कोई दिक्कत नहीं थी. हम सिर्फ़ 10 हजार महीना कमाते हैं. इतना बड़ा परिवार है. अगर मदद नहीं मिलती, तो इलाज कराने में दिक्कत होती. रिम्स के डाक्टर उसका अच्छा इलाज कर रहे थे. खाना-नाश्ता सब समय पर मिल रहा था लेकिन अब मेरी बेटी नहीं बची. इसलिए मेरी मांग है कि शाहरूख को फांसी की सज़ा दी जाए. तभी उसकी आत्मा को शांति मिलेगी. वह तड़प कर मरी है. उसके हत्यारे को भी वैसी ही मौत मिलनी चाहिए."
सरकार देगी मुआवज़ा
दुमका के विधायक और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के भाई बसंत सोरेन ने बीबीसी से कहा कि वे इस मामले पर पहले से ही निगरानी रख रहे हैं. हमें जैसे ही इस घटना का पता चला, प्रशासन ने उनके परिजनों को इलाज के लिए उसी दिन एक लाख रुपये का चेक दिया. हमने उनके इलाज में कोई कोताही नहीं बरतने दी. डॉक्टरों से उनका हाल लेते रहे. इस बीच उनकी मौत हो गई. इसका मुझे दुख है.
बसंत सोरेन ने कहा, "मैंने वहां के डीसी और एसपी से बात की है. इसकी सुनवाई फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट से कराने का निर्देश दिया है. यह घटना दुर्भाग्यपूर्ण है. इसकी पुनरावृति नहीं हो और दोषी को शीघ्र कठोर से कठोर सज़ा मिले, हमारी सरकार यह सुनिश्चित करेगी. इसको लेकर राजनीति क़त्तई उचित नहीं है. मेरे अनुरोध पर सरकार ने उनके परिजनों को पाँच लाख रुपये का मुआवज़ा देने निर्णय लिया है. इसका चेक आज या कल में उन्हें भेज दिया जाएगा."
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मौत पर सियासत
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता रद्द किए जाने की अटकलों के कारण झारखंड में जारी सियासी हलचल के बीच मुख्य विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को इस घटना से एक मुद्दा मिल गया है. बीजेपी विधायक दल के नेता व पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी सोमवार की शाम दुमका जाकर अंकिता के परिजनों से मिलने वाले हैं. उनके प्रतिनिधि पिंटू अग्रवाल ने मीडिया को यह जानकारी दी है.
बाबूलाल मरांडी ने ट्वीट कर कहा, "जिस अस्पताल की कुव्यवस्था पर माननीय हाईकोर्ट ने यहां तक कह दिया कि इसे बंद क्यों नहीं कर देते. जहां पैरासिटामोल और सिरिंज तक नहीं हो, वहां गंभीर रूप से झुलसी बच्ची के बेहतर इलाज की कितनी अपेक्षा की जा सकती है और स्वास्थ्य मंत्री निर्लज्जता से कहते हैं कि इलाज में कोई कमी नहीं हुई."
उन्होंने दुमका में पदस्थापित एक डीएसपी पर भी संप्रादायिक और आदिवासी विरोधी होने के आरोप लगाए और उन्हें इस मामले से अलग रखने की मांग की.
बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास ने अंकिता के परिजनों के लिए एक करोड़ रुपये के मुआवज़े की मांग की है. हालांकि, उन्होंने अंकिता के परिजनों के दुमका बुलावे के अनुरोध को अस्वीकार करते हुए कहा कि उनकी तबीयत ख़राब है. इसलिए वे 2-3 दिन बाद दुमका आ पाएंगे. बीजेपी के एक कार्यकर्ता ने रघुबर दास की बात फ़ोन पर अंकिता के दादा अनिल सिंह से करायी थी.
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मुख्यमंत्री हमेंत सोरेन का बयान
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अंकिता के मामले में मीडिया से कहा, "समाज में बुराइयां बढ़ती हुई दिख रही हैं. ये घटना दिल दहला देने वाला है. क़ानून अपना काम कर रहा है. अभियुक्त को गिरफ़्तार कर लिया गया है. हमारी कोशिश रहेगी कि उसे जल्द से जल्द सज़ा दी जाए."
"ऐसे लोगों को माफ़ नहीं किया जाना चाहिए. उन्हें कड़ी से कड़ी सज़ा दी जानी चाहिए. ऐसी घटनाओं के लिए मौजूदा क़ानूनों को और अधिक सख़्त बनाने के लिए क़ानून लाए जाने चाहिए."
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दुमका बंद, धारा 144 लागू
राज्यपाल रमेश बैस ने इस मामले में मुख्य सचिव और डीजीपी को राजभवन तलब किया है.
इस बीच दुमका में अधिकतर दुकानें रविवार से ही बंद हैं. बीजेपी, बजरंग दल और दूसरे हिंदूवादी संगठनों ने रविवार को एक जुलूस निकाल कर दुकानें बंद करायीं. प्रदर्शनकारी इस मामले के मुख्य अभियुक्त शाहरुख़ हुसैन को फांसी की सज़ा दिलाने की मांग कर रहे हैं. सोशल मीडिया पर भी 'जस्टिस फ़ॉर अंकिता' कैंपेन चलाया जा रहा है.
स्थानीय पत्रकारों का कहना है कि कुछ लोग इसे सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन पुलिस की सतर्कता के कारण स्थिति प्रशासन के क़ाबू में हैं. इस बीच दुमका में निषेधाज्ञा (धारा-144) लगा दी गई है. इसमें पाँच या पाँच से अधिक लोगों का एक जगह जमा होना निषेध कर दिया गया है.
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कौन थी अंकिता और कौन है शाहरुख़ का प्रोफ़ाइल
पुलिस के मुताबिक़, अंकिता कुमारी सिंह और शाहरुख़ हुसैन दोनों का परिवार निम्न मध्यवर्गीय है. अंकिता के पिता संजीव सिंह किराने की एक दुकान में काम कर अपना परिवार चलाते हैं. उनकी पत्नी और अंकिता की मां की मौत क़रीब डेढ़ साल पहले कैंसर से हो गई थी. अंकिता अपने तीन भाई-बहनों में दूसरे नंबर पर थी और दसवीं की परीक्षा उन्होंने प्रथम श्रेणी से पास की थी. वो अपने पिता, दादा, दादी और छोटे भाई के साथ रहती थी. उनकी बड़ी बहन का पहले ही ब्याह हो चुका है.
अंकिता को मारने का आरोप जिस शाहरुख़ पर है, उनका परिवार भी उसी मोहल्ले में मिट्टी के एक घर में रहता है. उनके पिता पेंटर थे, जिनकी बहुत पहले मौत हो चुकी है. वो छोटे-मोटे काम कर घर चलाने में अपनी भूमिका निभाते थे. शाहरुख़ के घर के लोग अभी चुप हैं और इस मुद्दे पर कुछ भी बोलना नहीं चाहते. शाहरुख़ का परिवार दुमका ज़िले के ही शिकारीपाड़ा प्रखंड का मूल निवासी है लेकिन वे लोग पिछले कई सालों से दुमका में कच्चा घर बनाकर रहते हैं.
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