झारखंड चुनाव : अब मोदी के मुकाबले में उतरीं प्रियंका, लास्ट फेज की 16 सीटों पर नेक टू नेक फाइट
नई दिल्ली। झारखंड विधानसभा चुनाव अब अपने आखिरी लम्हों में दाखिल हो गया है। पांचवें और आखिरी चरण में 20 दिसम्बर को 16 सीटों ( राजमहल, बोरियो, बरहेट, लिट्टीपाड़ा, पाकुड़, महेशपुर, शिकारीपाड़ा, नाला, जामताड़ा, दुमका, जामा, जरमुंडी, सारठ, पौड़ैयाहाट, महागामा, गोड्डा) पर चुनाव है। ये सभी संथाल परगना की सीटें हैं। 2019 में संथाल की बाजी जीतने के लिए लिए भाजपा और महागठबंधन ने पूरा दमखम लगा दिया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 17 को बरहेट आ रहे हैं तो प्रियंका गांधी 18 को पाकुड़ आ रही हैं। तीन दिनों के अंदर प्रधानमंत्री की ये दूसरी संथाल परगना यात्री होगी। कुल मिला कर उनका ये छठा चुनावी दौरा होगा। जबकि झारखंड चुनाव में प्रियंका का यह पहला दौरा होगा। पहले उन्होंने झारखंड आने से इंकार कर दिया था। लेकिन जब कांग्रेस को अब तक हुए चुनाव में पोजिटिव फीडबैक मिला तो प्रियंका गांधी को चुनाव प्रचार के लिए राजी किया गया। महागठबंधन का मानना है कि प्रियंका गांधी का यह दौरा का झारखंड चुनाव में गेमचेंजर साबित होगा। राहुल गांधी चुनाव प्रचार के अभी तक तीन बार झारखंड आ चुके हैं।
हेमंत की घेराबंदी
संथाल परगना क्षेत्र में कुल 18 सीटें हैं जिनमें दो (देवघर और मधुपुर) पर 16 दिसम्बर को चुनाव हो गया। अब संथाल परगना की 16 सीटों पर चुनाव होना है। अभी इस क्षेत्र में भाजपा और झामुमो की ताकत लगभग बराबर है। 2014 में कुल 18 सीटों में से सात भाजपा और छह झामुमो ने जीती थीं। तीन कांग्रेस और दो झाविमो मिलीं थीं। लेकिन इसके पहले संथाल परगना का पलड़ा कभी झामुमो की तरफ झुकता रहा है तो कभी भाजपा की तरफ। इस क्षेत्र के मतदाता कभी एक दल लगातार समर्थन नहीं देते। झामुमो के सबसे वरिष्ठ विधायक नलिन सोरेन शिकारीपाड़ा से लगातार सातवीं जीत के लिए मैदान में हैं। वे 1990 से लगातार चुनाव जीत रहे हैं। झामुमो के लिए दुमका, बरहेट और जामा सीट पर प्रतिष्ठा की लड़ाई है। हेमंत सोरेन दुमका और बरहेट से चुनाव लड़ रहे हैं। दुमका में वे हार गये थे। बरहेट से वे विधायक बने। दुमका में उनका मुकाबला भाजपा की लुईस मरांडी से तो बरहेट में भाजपा के सिमोन मालतो से है। जामा सीट पर शिबू सोरेन की बहू और हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन मैदान में हैं। वे इस सीट हैट्रिक लगाने की तैयारी में हैं। सीता सोरेन का मुकाबला भाजपा के सुरेश मुर्मू से है। हेमंत सोरेन को घेरने के लिए भाजपा में मजबूत किलाबंदी की है। 15 दिसम्बर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दुमका में सभा कर चुके हैं। 17 दिसम्बर को वे फिर बरहेट आ रहे हैं। वे भाजपा प्रत्याशी सिमोन मालतो के लिए चुनावी सभा करेंगे। बरहेट में नरेन्द्र मोदी की सभा से झामुमो खेमे की चिंता बढ़ गयी है।
प्रियंका का पहला दौरा
प्रियंका गांधी 18 दिसम्बर को पाकुड़ आ रही हैं और वे कांग्रेस प्रत्याशी आलमगीर आलम के पक्ष में चुनावी सभा करेंगी। वे इस मंच से महागठबंधन के पक्ष में मतदान की अपील करेंगी। इससे कांग्रेस के साथ साथ झामुमो और राजद में भी उत्साह है। आखिरी चरण में कांग्रेस के तीन सीटिंग विधायक फिर मैदान में है। पाकुड़ से आलमगीर आलम, जामताड़ा से इरफान अंसारी और जरमुंडी से बादल पत्रलेख। प्रियंका की सभा से इन तीनों को नयी ताकत मिलेगी। प्रियंका की इस सभा से राजद के संजय प्रसाद यादव भी उत्साहित हैं जो गोड़्डा से चुनाव लड़ रहे हैं। 2014 के चुनाव में राजद का झारखंड में खाता तक नहीं खुला था। इस लिए प्रियंका की सभा से राजद को भी बहुत उम्मीदें हैं।
संथाल परगना में सियासी धूप-छांव
संथाल परगना में मुख्य मुकाबला झामुमो और भाजपा में होती रही है। कभी भाजपा आगे रही तो कभी झामुमो। 1995 के बिहार विधानसभा चुनाव में संथाल परगना की 18 सीटों में से भाजपा को केवल दो सीटें ही मिल पायी थीं। राजमहल से ध्रुव भगत और पाकुड़ से बेनी प्रसाद गुप्ता जीते थे। झामुमो ने 8 सीटों पर जीत दर्ज की थी। 2000 के चुनाव में भाजपा को पांच तो झामुमो को फिर 8 सीटें मिलीं। 2005 के चुनाव में भाजपा ने 7 तो झामुमो ने 5 सीटों पर कब्जा जमाया। 2009 में फिर गेम पलट गया। भाजपा 7 से फिसल कर 2 पर आ गयी तो झामुमो 5 से 10 पर पहुंच गया। 2014 में मौसम ने एक बार और करवट ली। भाजपा ने 2 से 7 पर छलांग लगायी तो झामुमो 10 से 6 सीटों पर आ गया। कांग्रेस ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 1995 में किया था जब उसने संथाल परगना में 4 सीटें जीती थीं। पिछले चुनाव में उसने तीन सीटें जीती थीं। झाविमो ने 2009 और 2014 में दो सीटें- सीटें जीती थीं।