दिल्ली में जाट-गुर्जर दे सकते हैं भाजपा का साथ
नई दिल्ली (विवेक शुक्ला)। हालांकि दिल्ली अपने आप में मेट्रो शहर है, पर यहां जाट मतदाता अपनी खास जगह रखते हैं। इसके चारों तरफ बसे शहरीकृत गांवों में जाट और गुर्जर मतदाता बेहद अहम हैं। ये यहां के भूमिपुत्र माने जा सकते हैं। राजधानी की 70 में से कम से कम 20 विधानसभा सीटों में इनका रोल है। इनमें प्रीतविहार, आर.के.पुरम, बवाना, लक्ष्मी नगर, वगैरह सीटें हैं। इन सभी में कई गांव भी हैं। जिनमें जाट और गुर्जर मतदाता हैं।
भाजपा का असर
अगर बीते विधान सभा चुनाव की बात करें तो भाजपा ने गांव देहात के असर वाली सीटों पर लगभग एकतरफा कब्जा कर लिया था। इन सबमें जाट और गुर्जर मतदाता अहम हैं। मुडंका से निर्दलीय प्रत्याशी ने जीत हासिल की थी। सुलतानपुर माजरा और बादली सीट कांग्रेस के खाते में गई थी। केजरीवाल के हाथ यहां कुछ नहीं लगा था और वे बहुमत से दूर रह गये थे।
उम्मीद से ज्यादा सफलता
भाजपा को यहां उम्मीद से ज्यादा मिला था पर दिल्ली के दूसरे इलाकों में आम आदमी पार्टी से मिली करारी हार ने सत्ता की कुर्सी तक पहुंचने का उसका रास्ता रोक दिया था। केजरीवाल ने दिल्ली देहात में अपनी पार्टी को आगे बढ़ाने के लिए कुछ खास किया धरा नहीं। कांग्रेस तो वैसे ही पस्त है। गांव-देहात के मतदाताओं पर मोदी का असर अभी बरकरार है। ऐसे में लोग मान रहे हैं कि भाजपा एक बार फिर पुराने नतीजे दोहरा सकती है।
जानकार कहते हैं कि दिल्ली में जाट और गुर्जर मतदाता भाजपा के साथ है। यह पिछले विधान सभा और लोकसभा चुनावों में साफतौर पर दिखा।