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जन धन खातों के जरिए काला धन सफेद कराने की फिराक में नक्सली

भाकपा माओवादी समेत टीपीसी, जेजेएमपी व पीएलएफआई के उग्रवादियों के पास करीब 100 करोड़ रुपए हैं। ये पैसे वो लेवी के रूप में वसूलते हैंं।

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रांची। कालेधन पर लगाम लगाने के लिए पीएम मोदी ने 500 और 1000 के नोट पर बैन लगाने का जो फैसला लिया है उसका असर हर तरफ पड़ा है। अब हर कोई काले धन को सफेद करने में लगा है। इसी क्रम में नक्‍सलियों ने अपने काले धन को सफेद करने के लिए जन-धन योजना के तहत खोले गए बैंक खातों को टारगेट किया है। जानकारी के मुताबिक नक्‍सली संगठन ग्रामीण क्षेत्र के उन लोगों को मोहरा बनाने वाले हैं जिनका जन धन योजना के तहत बैंकों में खाता खुला है।

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Jan Dhan accounts to help Maoists convert levy

आपको बता दें कि भाकपा माओवादी समेत टीपीसी, जेजेएमपी व पीएलएफआई के उग्रवादियों के पास करीब 100 करोड़ रुपए हैं। ये पैसे वो लेवी के रूप में वसूलते हैंं। लेवी के रूप में वसूली गई राशि पूरी तरह ब्लैक मनी होती है। अब झारखंड पुलिस की स्पेशल ब्रांच इस सूचना पर इनपुट जुटाने में लगा है। वहीं, पुलिस मुख्यालय की ओर से भी नक्सल प्रभावित गांवों में नजर बनाए रखने के निर्देश दिए गए हैं। VIDEO: अमर सिंह के साथ खड़े शख्स ने मोदी को दी भद्दी-भद्दी गालियां, वो मुस्‍कुराते रहे

कहां से आता है नक्‍सलियों के पास पैसा

  • ठेकेदारों से लेवी वसूलना
  • कोयले के अवैध धंधे से वसूली
  • लकड़ी तस्करी से वसूली
  • बड़े उद्योगों से लेवी
  • आयरन ओर कारोबारियों से लेवी

जंगलों में बंकर बनाकर पैसा गाड़ते हैं नक्सली

नक्सलियों के कमांडर को टीम के खर्च के लिए फंडिंग होती है। हर कमांडर यह पैसा दो से तीन महीने का एडवांस रखता है। जिससे हथियारों की खरीद के साथ खाने-पीने के साजोसामान जुटाने के काम आते हैं।

यह पैसा नक्सली या तो घने जंगलों में गड्ढे खोदकर बाॉक्स में रखकर गाड़ देते हैं या फिर इसके लिए बनाए गए बंकरों में रखी तिजोरियों में रखते हैं। सूत्र बताते हैं कि पांच सौ और एक हजार रुपये के नोट बंद होने से करोड़ों के कैश कागज के टुकड़े बन गए। यही वजह है कि नक्सली सदमे में हैं।

Comments
English summary
The CPI (Maoist) zonal and special area committee (SAC), which collects levies in cash for the organisation's daily functioning, is not worried about the sudden demonetisation of Rs 500 and Rs 1,000 currency notes.
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