जम्मू कश्मीर में राज्यपाल शासन के बाद बोले डीजीपी, काम करना होगा आसान
नई दिल्ली। जिस तरह से जम्मू कश्मीर में भारतीय जनता पार्टी ने पीडीपी से अपना समर्थन वापस लिया और मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को इस्तीफा देना पड़ा उसके बाद यहां राज्यपाल शासन लगा दिया गया है। राज्यपाल शासन लगाए जाने के बाद राज्यपाल एनएन वोहरा ने राज्य की कमान संभाल ली है। साथ ही छत्तीसगढ़ के अतिरिक्त मुख्य सचिव बीवीआर सुब्रमण्यम को कश्मीर में लाया गया है। वहीं दूसरी तरफ डीजीपी एसपी वैद ने कहा कि अब वह दबाव मुक्त होकर काम कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि अब आतंकियों के खिलाफ होने वाले ऑपरेशन में तेजी आएगी, क्योंकि राज्यपाल शासन में काम करना आसान होगा।
वैद ने कहा कि हमारे ऑपरेशन जारी रहेंगे, रमजान के दौरान हमने इसपर रोक लगाई थी, लेकिन अब इसे तेज किया जाएगा। उनसे जब पूछा गया कि क्या राज्यपाल शासन से उनके काम पर कोई फर्क पड़ेगा तो उन्होने कहा कि मुझे लगता है कि इससे काम करना थोड़ा आसान हो जाएगा। रमजान में सीजफायर की वजह से आतंकियों को फायदा पहुंचा है, हालांकि कैंप मे होने वाले हमलों का जवाब देने की इजाजत थी लेकिन अगर हमारे पास कोई जानकारी है तो उस आधार पर ऑपरेशन नहीं करने की इजाजत थी।
आपको बता दें कि 19 जून को जम्मू कश्मीर की गठबंधन की सरकार गिर जाने के बाद महबूबा मुफ्ती ने कहा था कि हमने जम्मू में गौरक्षा और रासना केस को अच्छे से डील किया और पूरे सूबे को बांधकर रखा। उन्होंने कहा कि हमने काफी काम किए और इस बात का उन्हें इत्मीनान है। हमारा जो एजेंडा ता उस पर चले और आगे भी चलते रहेंगे। महबूबा ने कहा कि पाक से अच्छा रिश्ता, सीजफायर, 370 को बचाना, युवाओं से मुकदमें हटाना हमारा एजेंडा था और उसमें हम कामयाब रहे। महबूबा ने कहा कि हम पावर के लिए नहीं बल्कि कश्मीर में शान्ति के लिए भाजपा के साथ गए थे।
गौरतलब है कि भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव ने मंगलवार को कहा कि केंद्र ने लगातार राज्य सरकार को समर्थन दिया, 80 हजार करोड़ का पैकेज भी दिया, लेकिन राज्य सरकार ने हालात को संभाला नहीं। माधव ने कहा कि मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती कश्मीर घाटी में परिस्थितियों को संभाल नहीं पाई, सरकार लगातार फेल रही। सरकार ने काम नहीं किया। ऐसे में तीन साल की सरकार चलाने के बाद भाजपा ने पीडीपी से अलग होने का फैसला किया है।