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J&K:क्यों हाई प्रोफाइल बना DDC चुनाव, करीब दो दर्जन पूर्व मंत्री-सांसद-विधायक आजमा रहे हैं किस्मत

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नई दिल्ली: कुछ महीने पहले जब पंचायती राज कानून में संशोधन करके जम्मू कश्मीर में जिला विकास परिषद (डीडीसी) के चुनाव का रास्ता साफ हुआ था तो वहां के कई सियासी दल और नेता इसको लेकर जरा भी उत्साहित नहीं थे। लेकिन, चुनाव की घोषणा होते ही कहानी एकदम से पलट गई। आज यहां की सभी बड़ी राजनीतिक पार्टियां ना सिर्फ चुनाव लड़ रही हैं, बल्कि कई तो गुपकार गठबंधन के तहत सीटों पर तालमेल के साथ मैदान में उतरीं हैं। यही नहीं पहले जो बड़े नेता इस चुनाव को ज्यादा भाव नहीं दे रहे थे, आज वह खुद इसमें भाग्य आजमा रहे हैं। एक आंकड़े के मुताबिक लगभग दो दर्जन पूर्व मंत्री , विधायक और सांसद भी इस स्थानीय चुनाव में किस्मत इस बार आजमा रहे हैं।

स्थानीय चुनाव में कई पूर्व मंत्री क्यों आजमा रहे हैं किस्मत

स्थानीय चुनाव में कई पूर्व मंत्री क्यों आजमा रहे हैं किस्मत

जम्मू-कश्मीर में हो रहा डीडीसी का चुनाव शायद देश का पहला ऐसा स्थानीय निकाय चुनाव है, जिसमें कई दिग्गज नेता चुनाव मैदान में हैं। इन हाई प्रोफाइल नेताओं की फेहरिस्त में जम्मू-कश्मीर के 5 पूर्व मंत्री, 20 से ज्यादा पूर्व विधायक और विधान पार्षद और एक पूर्व सांसद भी शामिल हैं। जम्मू-कश्मीर में डीडीसी का यह पहला चुनाव है और राज्य के दो संघ शासित प्रदेश में विभाजन और आर्टिकल 370 खत्म होने के बाद का यह वहां पर सबसे बड़ा राजनीतिक फैसला है। जो पूर्व विधायक या पार्षद यह चुनाव लड़ रहे हैं, वह लगभग सभी राजनीतिक दलों के हैं। पूर्व मंत्री, विधायक या सांसद रह चुके नेताओं के लिए स्थानीय निकाय चुनाव लड़ना उनकी प्रतिष्ठा का सवाल नहीं है तो इसकी वजह बहुत ही दिलचस्प है।

कब तक करते विधानसभा चुनाव का इंतजार ?

कब तक करते विधानसभा चुनाव का इंतजार ?

दरअसल, इन हाई प्रोफाइल नेताओं ने डिस्ट्रिक्ट डेवलपमेंट काउंसिल का चुनाव इसलिए लड़ने का फैसला किया है कि उन्हें यह पता नहीं है कि जम्मू-कश्मीर में अगला विधानसभा चुनाव होगा कब? कांग्रेस के एक ऐसे ही उम्मीदवार ताज मोहिउद्दीन जो राज्य में पहले मंत्री भी रह चुके हैं कहते हैं, 'कौन जानता है कि अगला विधानसभा चुनाव कब होगा? चुनाव लड़ने और लोगों के लिए काम करने का यह सही समय है। ' मोहिउद्दीन उत्तर कश्मीर के उरी के पूर्व विधायक हैं। इसी तरह बारामुला के पूर्व विधायक शोएब लोन भी इस चुनाव में जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी के टिकट पर मैदान में हैं। वे कहते हैं, 'लोगों को रोड और बिजली चाहिए और उन्हें एक प्रतिनिधि चाहिए जिसके पास वो जा सकें। हम छिप नहीं सकते, हमें चुनाव लड़ना पड़ेगा और लोगों के बीच जाना होगा। संघ शासित प्रदेश में डीडीसी का सदस्य उसी तरह से है, जैसे कि पिछले राज्य में एमएलए होते थे।'

कुछ सीटों पर दिग्गजों के बीच चुनावी जंग

कुछ सीटों पर दिग्गजों के बीच चुनावी जंग

मोहिउद्दीन की तरह ही भाजपा के शाम चौधरी और शक्ति परिहार, कांग्रेस के शबीर खान और अपनी पार्टी के एजाज खान भी उन पूर्व मंत्रियों में शामिल हैं, जो डीडीसी का चुनाव लड़ रहे हैं। दिलचस्प बात ये है कि इन नेताओं का मौजूदा चुनाव क्षेत्र उनकी विधानसभा सीटों के मुकाबले बहुत ही छोटा है और उसका बहुत ही मामूली हिस्सा भर है। लेकिन, फिर भी इन्हें लगता है कि इससे क्या फर्क पड़ता है, विधानसभा चुनाव के इंतजार में बैठे रहने से बेहतर है कि डीडीसी के जरिए ही जन प्रतिनिधि बनकर लोगों का काम किया जाए। मोहिउद्दीन ने कहा, 'मुझे नहीं लगता कि मैं अपने पहली वाली स्थिति से नीचे चला गया हूं, क्योंकि राजनीतिक आवश्यकताओं को समझने की तत्काल आवश्यकता है। विधानसभा चुनाव की घोषणा के इंतजार में नहीं बैठे रहा जा सकता।' जम्मू के सुचेतगढ़ से कांग्रेस नेता और राज्यसभा के पूर्व सांसद एमपी टीएस बाजवा के खिलाफ चुनाव लड़ रहे बीजेपी के शाम चौधरी कहते हैं, 'मुझे डीडीसी का चुनाव लड़ाने के पीछे पार्टी के मन में जरूर कुछ रहा होगा, क्योंकि मैं एक विधायक और कैबिनेट मंत्री था। काउंसिल में मेरी भूमिका बिजली, सड़क, पानी जैसे स्थानीय मुद्दों को उठाने की होगी।' जबकि, बाजवा मानते हैं कि पार्टी ने उन्हें इसीलिए डीडीसी का टिकट दिया है ताकि 'बीजेपी के एक कद्दावर उम्मीदवार को चुनौती देने के लिए एक कद्दावर ही जरूरी है।'

'सरकार और जनता के बीच पुल जरूरी'

'सरकार और जनता के बीच पुल जरूरी'

वहीं मांजाकोट से चुनाव लड़ रहे कांग्रेस उम्मीदवार और पूर्व मंत्री शबीर खान की दलील है कि 'यहां किसी तरह का कोई प्रोटोकॉल नहीं है.......आप एक वरिष्ठ नेता होंगे लेकिन, अगर आप चुनाव नहीं लड़ेंगे तो जमीनी कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरेगा। जिस तरह से भी हो आपको लोगों के कल्याण और इलाके के विकास के लिए काम करना है।' इसी तरह पूर्व मंत्री और कांग्रेस छोड़कर अपनी पार्टी से जम्मू के रियासी में थुरु चुनाव क्षेत्र से उम्मीदवार एजाज खान कहते हैं, 'मेरी भागीदारी जनता और सरकार के बीच भरोसे की कमी को पाटने का काम करेगी।' इसी तरह भाजपा के उम्मीदवार और पूर्व मंत्री शक्ति परिहार जम्मू के डोडा जिले के मरमात और गुंडना से चुनाव लड़ रहे हैं।

घाटी में भी दिग्गज नेता लड़ रहे डीडीसी चुनाव

घाटी में भी दिग्गज नेता लड़ रहे डीडीसी चुनाव

जो प्रभावशाली पूर्व विधायक जम्मू से मैदान में हैं उनमें भारती भूषण और प्रोपोसर घारु राम भी शामिल हैं। ये उन 6 विधायकों में शामिल थे जिन्हें 2011 में बीजेपी ने व्हिप के उल्लंघन के चलते पार्टी से निकाल दिया था। एक और पूर्व एमएलए चरनजीत सिंह कठुआ ब्लॉक से मैदान में हैं। इसी तरह जम्मू से कांता एंडोरा, शहनाज गानी और चौधरी अकरम भी चुनाव लड़ रहे हैं, जो पूर्व विधायक हैं और कांग्रेस से प्रत्याशी हैं। घाटी की बात करें तो मोहिउद्दीन और लोन के अलावा पीडीपी के पूर्व विधायक एजाज मीर शोपियां के जैनपोरा से चुनाव लड़ रहे हैं।

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English summary
The election of DDC in Jammu and Kashmir has become very high profile, in which many former ministers, MPs and MLAs are also contesting the elections,
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