ब्लैक फंगस के बढ़ते मामलों के लिए कोरोना के उपचार को दोष देना गलत: डॉ लहाने
नई दिल्ली। देश में कोरोना वायरस के साथ-साथ जानलेवा ब्लैक फंगस (म्यूकोरमाइकोसिस) का खतरा और आंकड़ा दोनों ही बढ़ गए हैं। कई राज्यों में ब्लैक फंगस से मौत की खबरे आ रही हैं। सरकार से जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक देश भर के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में ब्लैक फंगस के 8,848 मामले हैं। बताया जा रहा है कोविड से ठीक हुए मरीजों में ब्लैंक फंगस का खतरा ज्यादा है। इसके लिए कोरोना वायरस के इलाज पद्धति को कारण बताया जा रहा है। चिकित्सा अनुसंधान और शिक्षा निदेशालय के निदेशक डॉ तात्याराव लहाने ने इस संबंध में अहम जानकारी दी है।
उन्होंने कहा है कि म्यूकोरमाइकोसिस के मामलों में वृद्धि के लिए COVID उपचार को दोष देना गलत है। उन्होंने आगे कहा है कि कोरोना के बदलते स्टेन के चलते अग्न्याशय में बीटा कोशिकाएं प्रभावित हो रही है। इसके परिणामस्वरूप ब्लड सूगर लेवल बढ़ जाता है जिसके चलते ब्लैक फंगस होता है। आपको बता दें कि ब्लैक फंगस के लक्षणों में सिरदर्द, चेहरे पर दर्द, नाक बंद, आंखों की रोशनी कम होना या फिर दर्द होना, मानसिक स्थिति में बदलाव या थकान होना, गाल और आंखों में सूजन, दांत दर्द, दांतों का ढीला होना, नाक में काली पपड़ी जमना, सांस लेने में तकनीफ, खांसी और खून की उल्टी होना शामिल है।
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