अब बच सकेगी सियाचिन में तैनात जवानों की जिंदगी, जानिए कैसे?
तिरुवनंतपुरम। हनुमनथप्पा की अंतिम विदाई में पूरा देश रोया था। ये विदाई उस जवान को थी जिसने सियाचिन के बर्फीले पहाड़ों के बीच शून्य से नीचे तापमान में खड़े होकर देश की रक्षा की। केवल हनुमनथप्पा नहीं अब तक 1000 से ज्यादा जवान सियाचिन में शहीद हुए हैं। ये शहादत पाकिस्तानी सेना की गोली से नहीं, मौसत के थपेड़ों की वजह से हुई। लेकिन अब और नहीं!
जी हां इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो) ने ऐसी टेक्नोलॉजी विकसित की है, जिससे सियाचिन में तैनात भारतीय सेना के जवानों की जान बच सकेगी। इसरो जिस तकनीक पर काम कर रहा है, उससे दुनिया के सबसे ऊंची युद्धभूमि में जवानों की जान बच सकेगी।
कैसे? यह जानने से पहले कुछ आंकड़े
-
रक्षा
मंत्रालय
के
अनुसार
पिछले
तीन
साल
में
41
जवान
सियाचिन
में
शहीद
हो
चुके
हैं।
-
1984
से
अब
तक
बर्फीले
पहाड़ों
के
बीच
1000
से
ज्यादा
सैनिकों
की
मौत
ग्लेशियरों
में
दब
कर
हो
चुकी
है।
-
केवल
220
जवान
दुश्मन
की
गोलियों
के
कारण
शहीद
हुए।
- सियाचिन समुद्र तल से करीब 6000 से 7000 मीटर की ऊंचाई पर है, जहां साल भर बर्फ जमी रहती है।
क्या है इसरो की नई टेक्नोलॉजी?
इसरो ने दुनिया का सबसे हलका इंसुलेटिंग उत्पाद विकसित किया है, जिससे तैयार की गईं जैकेटों को पहन कर जवान बर्फीले पहाड़ों पर आराम से खड़े रह सकते हैं।
सियाचिन में तैनात जवान
वर्तमान में वहां मौजूद भारतीय सैनिक बहुत भारी कपड़े पहनते हैं। इस वजह से उनके लिये जिंदगी का हर कार्य बहुत भारी हो जाता है। इसरो ने अल्ट्रा लाइट वेट कपड़ा विकसित किया है, जिसके कपड़े जवानों की जिंदगी आसान बना सकते हैं।
जैकेट में रेडियो सिग्नल
इसरो ने जैकेट में रेडियो सिग्नल एमिटर भी लगाया है, जिससे सेटेलाइट के जरिये जवान की लोकेशन आसानी से पता लगायी जा सकती है। ऐसे में अगर बर्फीले पहाड़ टूट कर जवान पर गिरते हैं, तो चंद मिनटों में जवान की लोकेशन पता लगायी जा सकेगी और तेज़ रेस्क्यू ऑपरेशन से वो बचाये जा सकेंगे।
वर्तमान में बर्फीले पहाड़ों के नीचे दबे जवानों को निकालने में चार से पांच दिन लग जाते हैं और तो और कई बार हफ्तों और कई तो कभी मिलते ही नहीं। अगर यह रेडियो एमिटर जवान के पास रहेगा, तो तुरंत पता चल जायेगा कि वो कहां है।
विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के निदेशक के सिवान का कहना है कि इसरो की यह टेक्नोलॉजी बहुत कारगर साबित हो सकती है। और तो और अगर जवान 'सिलिका एरोजेल' के बने कपड़े पहने तो बर्फ में जमने से बच सकते हैं।