क्या यूपी के मुख्यमंत्री के लिए नोएडा वाक़ई 'मनहूस' है?
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हालिया नोएडा दौरे ने अखिलेश यादव की 'सियासी उम्मीदें' कैसे बढ़ा दी हैं?
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नोएडा दौरे से अखिलेश यादव की 'सियासी उम्मीदें' बढ़ गई हैं.
मन में सवाल उठ सकता है, वो कैसे? दरअसल ये कहा जाता है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के लिए नोएडा आना शुभ नहीं है और अखिलेश इस बात पर काफ़ी यक़ीन करते हैं.
अखिलेश ने अब कहा है, ''मैं क़िस्मत पर भरोसा करता हूं. ये अच्छा है कि मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री दोनों ही नोएडा गए थे. अब इसका असर देखना बाक़ी है.''
वो दरअसल ये कहना चाहते थे कि इस दौरे का असर होने लगा है. उन्होंने कहा, ''मैंने तस्वीरों में देखा कि योगी मेट्रो सेवा शुरू करने के लिए न तो झंडा दिखा सके और न ही कोई बटन दबा पाए.''
दिल्ली मेट्रो की मेजेंटा लाइन के उद्घाटन समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 25 दिसंबर को नोएडा में थे.
कई साल बाद नोएडा के लोगों ने मुख्यमंत्री का दीदार अपने शहर में किया. ये 'अंधविश्वास' है कि नोएडा में जो भी मुख्यमंत्री आते हैं वो अपनी सत्ता गंवा देते हैं.
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में योगी आदित्यनाथ की तारीफ की थी और कहा कि उन्होंने यह भ्रम तोड़ा है कि सूबे का कोई मुख्यमंत्री नोएडा नहीं आ सकता है.
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'मनहूस' नोएडा
समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव भी अपने कार्यकाल में एक बार भी नोएडा नहीं गए.
उन्होंने सार्वजनिक तौर पर कभी इससे इनक़ार नहीं किया कि वे भी नोएडा को 'मनहूस' मानते हैं.
साल 2012 के चुनाव में बसपा सुप्रीमो मायावती की सरकार को हराकर अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने थे.
इसके ठीक साल भर पहले मायावती ने नोएडा का दौरा कर इस कथित अंधविश्वास को तोड़ने की कोशिश की थी कि वहां जाने वाले मुख्यमंत्री अपनी कुर्सी गंवा देते हैं.
माना जाता है कि मायावती से पहले तकरीबन दो दशकों तक उत्तर प्रदेश के किसी भी मुख्यमंत्री ने नोएडा का दौरा इसी अंधविश्वास की वजह से नहीं किया.
पुराने उदाहरण
अस्सी के दशक में मुख्यमंत्री रहे नारायण दत्त तिवारी और वीरबहादुर सिंह को नोएडा जाने के कुछ ही महीनों के भीतर सत्ता गंवानी पड़ी थी.
साल 2006 में निठारी हत्याकांड के समय तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने नोएडा जाने से इनक़ार कर दिया था.
साल 2002 में मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह ने नोएडा को दिल्ली से जोड़ने वाले एक फ्लाईओवर का उद्घाटन किया लेकिन इस मौके पर भी वे नोएडा नहीं गए बल्कि उद्घाटन दिल्ली की सीमा में रहते हुए किया.
https://twitter.com/narendramodi/status/945265727161774083
अखिलेश ने भी अपने कार्यकाल में मायावती की 'ग़लती' नहीं दोहराई हालांकि इसके बावजूद 2017 में उन्हें सत्ता गंवानी पड़ी.
दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे के उद्घाटन के मौके पर वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ इस कार्यक्रम में शरीक नहीं हुए.
अखिलेश ने तब ये कहा था कि सरकार में दोबारा चुने जाने पर वे नोएडा जाएंगे हालांकि इसका मौका नहीं आया.