कैंसर से जंग लड़ रहे इरफान खान का खत, 'मैं सरेंडर कर चुका हूं, अंजाम पता नहीं'
लंदन में न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर का इलाज करा रहे बॉलीवुड अभिनेता इरफान खान ने पहली बार अपने दिल का हाल फैंस से साझा किया है। इरफान ने एक खत लिखकर इस दुर्लभ बीमारी के खिलाफ अपनी लंबी लड़ाई का दर्द बताया है।
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नई दिल्ली। लंदन में न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर का इलाज करा रहे बॉलीवुड अभिनेता इरफान खान ने पहली बार अपने दिल का हाल फैंस से साझा किया है। इरफान ने एक खत लिखकर इस दुर्लभ बीमारी के खिलाफ अपनी लंबी लड़ाई का दर्द बताया है। उन्होंने इस खत में बताया कि कैसे उन्हें इस बीमारी के बारे में पता चला और उससे अब तक वो कैसे लड़ रहे हैं। इरफान ने इस खत में अपना पूरा दिल खोलकर रख दिया है।
लंदन से फैंस को लिखा भावुक खत
टाइम्स ऑफ इंडिया को लिखे गए खत में इरफान खान ने अपने फैंस के साथ वो दर्द साझा किया, जिसे वो अब तक अपने अंदर समेटते आए थे। न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर जैसी दुर्लभ बीमारी से जूझ रहे इरफान ने अपने खत में लिखा कि इस दुनिया में अनिश्चितता ही सबसे निश्चित है। उन्होंने लिखा, 'इस बात को थोड़ा समय हो गया है जब मेरा न्यूरोएंडोक्राइन कैंसर का इलाज किया गया। ये शब्द मेरे शब्दकोष में नया और अलग है। इसकी जानकारी काफी कम है, इसिलए इलाज को लेकर अनिश्चितता ज्यादा थी। मैं इस ट्रायल और एरर गेम का हिस्सा था।'
'मैं अपने ख्वाब में उलझा हुआ था कि अचानक'
इरफान ने आगे लिखा कि वो एक अलग ही खेल का हिस्सा थे। 'मैं अपने सपनों, प्लान और गोल में उलझा हुआ एक ट्रेन में सफर कर रहा था कि तभी किसी ने मुझे जगा दिया। मैंने मुड़कर देखा तो टीटी था। उसने कहा कि आपका स्टेशन आ गया है, उतर जाइए। मैंने कहा, नहीं! ये मेरा स्टेशन नहीं है। उसने कहा, नहीं यही है, कभी-कभी ऐसा ही होता है। जिस अचानक के साथ ये सब हुआ उससे मुझे अंदाजा हुआ कि आप बस एक विशाल समुद्र में एक छोटी सी वस्तु की तरह हैं, जो अप्रत्याशित धाराओं में बह रहा है। और आप बेसब्री से इसे कंट्रोल करनी की कोशिश कर रहे हैं।'
'कुछ भी काम नहीं कर रहा था; न कोई सांत्वना, न कोई प्रेरणा'
'अस्पतालों की भागादौड़ी में मैंने अपने बेटे से एक बार कहा, इस वक्त मुझे बस खुद से यही चाहिए कि मैं अपने पैरों पर खड़ा हो जाउं। डर और दहशत मेरे ऊपर हावी होकर मुझे बेबस न बना दें।' इरफान ने आगे लिखा, 'मेरा बस यही मकसद था, लेकिन फिर दर्द पता चला। आप दर्द को जान रहे होते हो और तभी अचानक से उसकी तीव्रता का पता लगता है। कुछ भी काम नहीं कर रहा था; न कोई सांत्वना, न कोई प्रेरणा। पूरे ब्रह्मांड उस पल में एक हो जाता है; बस दर्द, और दर्द भगवान से भी अधिक विशाल महसूस होता है।'
जब लॉर्ड्स में दिखा विवियन रिचर्ड्स का पोस्टर
इरफान ने आगे अपने खत में बताया कि लंदन में उनके अस्पताल के दूसरी तरफ क्रिकेट का मक्का कहा जाना वाला लॉर्ड्स का मैदान था। 'जैसे ही मैं अस्पताल में प्रवेश कर रहा था, थका हुआ, बेकार सा , मुझे शायद ही कभी एहसास हुआ कि मेरा अस्पताल लॉर्ड्स स्टेडियम के विपरीत तरफ था। मेरे बचपन के सपने का मक्का। दर्द के बीच मैंने एक मुस्कुराते हुए विवियन रिचर्ड्स के एक पोस्टर को देखा। उस पल कुछ भी नहीं हुआ, जैसे कि वो दुनिया कभी मेरी थी ही नहीं।' इरफान ने आगे लिखा कि जिंदगी और मौत के खेल के बीच बस एक सड़क थी।
दुआ करने वालों का धन्यवाद दिया
'एक तरफ अस्पताल था, दूसरी तरफ स्टेडियम। ऐसा लगा कि कोई ऐसी किसी चीज का हिस्सा नहीं है जो निश्चित है, न अस्पताल और न ही स्टेडियम। अगर कोई चीज निश्चित है तो वह है अनिश्चितता। मैं बस यही कर सकता हूं कि अपनी हिम्मत जुटाऊं और इस खेल को बेहतर तरीके से खेलूं। इस एहसास के साथ मैंने नतीजे जाने बिना ही सरेंडर कर दिया। बिना ये जाने की अगले आठ या चार महीने या दो साल मुझे कहां ले जाएंगे।' इरफान ने इस लड़ाई में उनके लिए दुआ करने वालों का भी धन्यवाद किया।
'अब धाराओं पर नियंत्रण रखने की जरूरत नहीं'
उन्होंने लिखा, 'इस पूरी जर्नी में पूरी दुनिया से लोगों ने मेरे लिए दुआएं मांगी। लोग जिन्हें मैं जानता हूं और जिन्हें मैं नहीं जानता। वो अलग-अलग जगह और टाइम जोन से मेरे लिए दुआ कर रहे थे और मुझे ऐसा लगा कि वो सभी दुआएं एक हो गई हैं। एक विशाल ताकत, वर्तमान की एक शक्ति की तरह, जो मेरे रीढ़ की हड्डी के अंत से मेरे अंदर आ गई और मेरे सिर पर मुकुट के माध्यम से अंकुरित हो गई।' इरफान ने अपने खत के अंत में लिखा कि अब उन्हें एहसास हो गया है कि उस छोटी सी चीज को धाराओं पर नियंत्रण रखने की जरूरत नहीं है। 'प्रकृति की गोद में आपको धीरे-धीरे झुलाया जा रहा है।'
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