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शाहकोट उपचुनाव: आंतरिक गुटबाजी ने पहले ही तैयार कर दी थी 'आप' की हार

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शाहकोट। शाहकोट उप चुनाव में तीसरे विकल्प का दावा करने वाली आम आदमी पार्टी का शाहकोट उप चुनाव में निराशाजनक प्रदर्शन रहा है। जिससे आप नेताओं में मायूसी का आलम है। शाहकोट में पिछले चुनावों में आप ने यहां बेहतरीन प्रदर्शन किया था लेकिन इस बार यहां आप चारों खाने चित्त हो गई। मात्र एक साल में ही आम आदमी पार्टी का यह हश्र आने वाले समय के लिए पार्टी के लिये खतरे की घंटी है।

Internal fraction had already prepared AAP for the defeat

आम आदमी पार्टी पंजाब विधानसभा में विपक्षी दल के तौर पर मौजूद है। आम आदमी पार्टी बीते चुनाव में जहां शाहकोट की सीट को जीती हुई बता रही थी वहीं इस बार उसका प्रदर्शन ठीक नहीं रहा है। इसके पीछे आम आदमी पार्टी में आपसी गुटबाजी भी प्रमुख कारण रही है। जिससे यहां आप संजीदगी से चुनाव ही नहीं लड़ पाई। आम आदमी पार्टी इस बार चुनाव में कितनी गंभीर थी कि इस बात अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पार्टी के कई स्थानों पर बूथ तक नहीं लगे थे। जिससे मुकाबला तिकोना होने के बजाए कांग्रेस व अकाली दल के बीच ही सिमट गया।

Internal fraction had already prepared AAP for the defeat

शुरू में आम आदमी पार्टी ने शाहकोट के चुनावी महौल में खूब दावे किये, लेकिन पार्टी को प्रत्याशी चयन में ही खूब मेहनत करनी पड़ी। दरअसल पिछला चुनाव लड़ चुके आप नेता डा अमरजीत थिंड एन वक्त पर आम आदमी पार्टी छोड़ शिरोमणी अकाली दल में चले गये। थिंड ने यहां पिछले चुनाव में 42 हजार वोटें ली थीं। उनके अकाली दल में जाने के बाद आप का गणित गड़बड़ाया व आम आदमी पार्टी ने रत्न सिंह कक्कडकलां को उम्मीदवार घोषित किया गया। जो एनआरआई हैं। लेकिन वह बूथ मेनेजमेंट में बुरी तरह पिछड़े। चुनाव के दिन पार्टी पार्टी की ओर से कई स्थानों पर चुनावी बूथ लगाए ही नहीं गए, जिस कारण मतदान केंद्रों के आसपास कांग्रेस और अकाली दल का ही जोश देखने को मिला। व आम आदमी पार्टी का वोट बैंक आखिरी समय में कांग्रेस की ओर चला गया।

यही नहीं पार्टी के बड़े नेता भगवंत मान, सुखपाल खैहरा व अमन अरोड़ा सारे चुनाव प्रचार में एक्टिव नहीं दिखाई दिए। पार्टी के उम्मीदवार के साथ या तो उसके रिश्तेदार या फिर पार्टी के वालंटियर ही चलते दिखाई दिए जो असल में आप पार्टी के वफादार हैं। इतना ही नहीं जहां एक ओर कांग्रेस की ओर से खुद सी.एम. अमरेंद्र सिंह व अकाली दल की ओर से सुखबीर बादल ने शाहकोट में डेरा डाले रखा वहीं 'आप' के बड़े नेता एकाध बार ही शाहकोट प्रचार के लिए गए होंगे। पार्टी प्रधान भगवंत मान तो सारे चुनाव प्रचार से गायब ही रहे तथा पार्टी द्वारा मान के छुट्टी मनाने की बात कही जाती रही।

2017 के विधानसभा चुनाव में पंजाब की प्रमुख विपक्षी पार्टी बन कर उभरी आम आदमी पार्टी के लिए मौजूदा चुनाव में प्रदर्शन बेहद खराब रहा। स्थानीय निकाय चुनाव में पार्टी की बुरी तरह हार हुई। गुरदासपुर लोकसभा उप चुनाव में भी वह बुरी तरह हारी। शाहकोट उप चुनाव में भगवंत मान और सुखपाल खैरा समेत काफी नेताओं का कहना था कि चुनाव नहीं लडना चाहिए। लेकिन सह-प्रधान डॉ. बलबीर सिंह चाहते थे कि चुनाव लड़ना चाहिए। मनीष सिसोदिया ने इस पर मोहर लगाई, पार्टी ने एनआरआई रतन सिंह कक्कड़ कलां को उम्मीदवार बनाया। मान और खैरा समेत ज्यादातर नेता प्रचार के लिए नहीं गए। सिसोदिया वादा करके नहीं आए, मान ने 25 मई को अलका लांबा के साथ रोड शो किया। चुनावी नतीजे बताते हैं कि इसका कोई असर चुनावों पर नहीं पड़ा।

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English summary
Internal fraction had already prepared AAP for the defeat
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