Inside Story:J&K में दौड़ा सियासी करंट फैक्स, फोन सब बंद, सिर्फ 2 घंटे में बदला खेल
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श्रीनगर/दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने बुधवार को अचानक विधानसभा भंग करने का फैसला ले लिया। जून 2018 में भारतीय जनता पार्टी ने महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। इसके बाद से जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू है। जून में बीजेपी के समर्थन वापसी के फैसले के बाद से जम्मू-कश्मीर में न तो कोई सरकार बनी और न राज्यपाल ने विधानसभा भंग करने का ऐलान किया, लेकिन नवंबर में जम्मू-कश्मीर की सियासत कुछ ऐसी घूमी कि महज दो घंटे के भीतर ही सरकार गठन से लेकर विधानसभा भंग होने की कवायद हो गई। हाई-वोल्टेज ड्रामा चला और श्रीनगर से दिल्ली तक सत्ता के गलियारों में ऐसा सियासी बवंडर उठा जो बस आया और एनसीपी, पीडीपी, कांग्रेस के मंसूबों पर पानी फेरकर चला गया। बुधवार को जम्मू-कश्मीर के राजभवन में सियासी करंट इतना तेज दौड़ रहा था कि राज्यपाल की फैक्स मशीन से लेकर फोन लाइन तक सब 'आउट ऑफ रीच' हो गए।
शाम 7 बजे आनन-फानन में राजनाथ सिंह मध्य प्रदेश से दिल्ली लौटे
वक्त बुधवार दोपहर का था जब जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाने के लिए तीन दल- पीपुल्स डैमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) और कांग्रेस के बीच करीब-करीब सहमति बन गई। जाहिर है इसकी खबर दिल्ली में बैठी केंद्र सरकार के पास पहुंची। जम्मू-कश्मीर में गैर बीजेपी सरकार का खाका लगभग बन चुका था, बस औपचारिक ऐलान भर बाकी था। श्रीनगर की हवा में सियासी नमी बढ़ चुकी थी तो दिल्ली में राजनीति का पारा उच्चतम स्तर पर पहुंच चुका था। आनन-फानन में केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह बुधवार शाम मध्य प्रदेश से दिल्ली लौटे, तब घड़ी 7 बजे का वक्त बता रही थी।
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महबूबा मुफ्ती ने रात सवा आठ बजे किया ट्वीट- न मिल सका हमारा फैक्स और न फोन पर हो सकी बात
पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती ने रात सवा आठ पर एक ट्वीट किया। उन्होंने लिखा, 'मैं सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए लेटर फैक्स करने की कोशिश कर रही हैं, मगर जा नहीं रहा है। फोन पर बात करने का भी प्रयास किया, पर राज्यपाल उपलब्ध नहीं हैं।' महबूबा मुफ्ती ने एक और ट्वीट कर लिखा, '26 साल के राजनीतिक के बाद मुझे ऐसा लगने लगा कि मैंने सियासत के सभी रंग देख लिए हैं, पर मैं गलत थी।' उधर बीजेपी समर्थित सज्जाद लोन ने भी राज्यपाल के पास सरकार बनाने के दावे के संबंध में फैक्स भेजने की बात कही, लेकिन साथ में यह भी लिखा कि गवर्नर के यहां फैक्स रिसीव नहीं हो रहा है। लोन ने ट्विटर स्क्रीन शॉट डालकर बताया कि उन्होंने अपना पत्र गवर्नर के पीए को वॉट्सऐप पर भेज दिया है। कुल मिलाकर कहानी का लब्बोलुआब यह है कि गवर्नर ने बुधवार के दिन दोनों ही पक्षों के दावे से दूरी बना ली। कारण यह बताया गया कि बुधवार को मिलादुन्नबी की वजह से गवर्नर हाउस में छुट्टी थी।
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सरकार बनाने के दो दावे और राज्यपाल ने भंग की विधानसभा
उधर, एमपी से सीधे दिल्ली पहुंचे राजनाथ सिंह ने पूरे प्रकरण की जानकारी पीएम नरेंद्र मोदी से साझा की। रात 8 बजे से करीब 8 बजकर 40 मिनट तक एनसीपी-कांग्रेस-एनसी और बीजेपी समर्थित सज्जाद लोन दोनों सरकार बनाने के दावे कर चुके थे, लेकिन राजभवन ने दोनों के दावे खारिज कर विधानसभा भंग करने का ऐलान मिलादुन्नबी यानी छुट्टी वाले दिन ही फैसला सुना दिया। अब एनसी के उमर अब्दुल्लर, पीडीपी की महबूबा मुफ्ती और कांग्रेस तीनों राज्यपाल के फैसले की आलोचना कर रहे हैं। वे पक्षपातपूर्ण रवैये का आरोप लगा रहे हैं।
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राज्यपाल सत्यपाल मलिक को अपवित्र लगा गठबंधन
जम्मू-कश्मीर
विधानसभा
भंग
करने
के
फैसले
का
बचाव
करते
हुए
राज्यपाल
सत्यपाल
मलिक
ने
कहा
कि
उन्होंने
किसी
के
साथ
पक्षपात
नहीं
किया
है।
राज्यपाल
ने
दावा
किया
कि
खुद
महबूबा
मुफ्ती
ने
उनसे
शिकायत
कर
कर
रहा
था
विधायकों
की
खरीद
फरोख्त
हो
रही
है।
राज्यपाल
ने
कहा
कि
विधायकों
को
डराया
धमकाया
जा
रहा
था,
हॉर्स
ट्रेडिंग
हो
रही
थी।
गवर्नर
ने
कहा,
'मैं
जिस
दिन
से
राज्यपाल
बना
हूं,
उसी
दिन
से
कह
रहा
हूं
कि
मैं
ऐसी
सरकार
के
पक्ष
में
नहीं
जो
खरीद-फरोख्त
से
बने।
मैं
चाहता
हूं
कि
चुनाव
हों
और
जनता
द्वारा
चुनी
हुई
सरकार
बने।
मुझे
15
दिन
से
खरीद-फरोख्त
की
शिकायतें
मिल
रही
थीं।'
राज्यपाल
ने
बिना
किसी
का
नाम
लिए
कहा,
'ये
वे
दल
जो
लोकतंत्र
नहीं
चाहते,
अचानक
इन्हें
लगा
कि
चीजें
हाथ
से
निकल
रही
हैं
और
मेरे
सामने
अपवित्र
गठबंधन
करके
आ
गए।'