Report: हादसे का शिकार हुई न्यूक्लियर सबमरीन INS Arihant, 10 महीने से नहीं उतरी समुद्र में
नई दिल्ली। भारतीय सबमरीन INS अरिहंत एक मानवीय गलती के चलते बड़ी दुर्घटना का शिकार हो गया था और बीते 10 महीने से उसे समुद्र में नहीं उतारा गया है। अंग्रेजी अखबार द हिन्दू के अनुसार नौसेना के सूत्रों ने यह जानकारी दी है। द हिंदू के अनुसार, पानी घुसने के चलते अरिहंत के दाहिनी ओर का प्रपल्शन कम्पार्टमेंट क्षतिग्रस्त हो गया था। एक नौसैनिक सूत्र ने कहा कि जब INS बंदरगाह पर था उसी समय हैच खुला हुआ था और पानी पीछे की ओर पहुंच गया। द हिन्दू के अनुसार रक्षा मंत्रालय ने INS से संबंधित सवालों का जवाब नहीं दिया है।
पनडुब्बी की मरम्मत और सफाई हो रही है
सू्त्रों ने कहा कि दुर्घटना के बाद से, एडवांस्ड टेक्नोलॉजी वेसल परियोजना (एटीवी) के तहत बनाई गई पनडुब्बी की मरम्मत और सफाई हो रही है। नौसेना सूत्र ने कहा कि अन्य मरम्मत कार्य के अलावा, कई पाइपों को खोलना और प्रतिस्थापित किया जाना था। 'सफाई' परमाणु पनडुब्बी में एक कठिन काम है। अखबार के अनुसार अरिहंत के साथ यह घटना उसी वक्त हुई थी जब INS चक्र के सोनार डोम्स ने कुछ दिक्कत की शिकायत की गई थी जब वो विशाखापटनम स्थित बंदरगाह में आ रहा था।
परमाणु मिसाइलें लेकर चलने में सक्षम INS अरिहंत
हालांकि INS चक्र की भूमिका दूसरे दर्जे की है लेकिन INS अरिहंत परमाणु मिसाइलें लेकर चलने में सक्षम है। वरिष्ठ नौसैनिक सूत्रों का कहना है कि अरिहंत को शुरू से ही समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। बता दें कि इस सबमरीन का वजन 5,443,108किलोग्राम है और इसके वजन हो देखते हुए इसकी क्षमता के बारे में अगल-अलग आकलन लगाया जाता रहा है।
4 बैलेस्टिक मिसाइलें मौजूद हैं
आईएनएस अरिहंत पर 700 किमी रेंज से ज्यादा वाली 12 कम दूरी की के-15 मिसाइलें और 3,500 किमी की दूरी तक मार कर सकने वाली चार के-4 बैलेस्टिक मिसाइलें मौजूद हैं। यह सबमरीन पानी के अंदर रहकर भी न्यूक्लियर वेपेंस फायर कर सकती है। न्यूक्लियर सबमरीन पर वर्ष 1998 में काम शुरू हुआ और वर्ष 2009 में अरिहंत को पहली बार दुनिया के सामने लाया गया।
अरिहंत की लागत 14,000 करोड़ रुपये से अधिक
पूर्व नौसैनिक अधिकारी ने कहा कि इसे बनाने में 30 साल लग गए। शुरुआत में तीन नावों के लिए 3000 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान था अब अरिहंत की लागत 14,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गई है।