Indian Railways: टिकट कंफर्म नहीं है! अब चलती ट्रेन में मिलेगी बर्थ, जानिए क्या है तरीका ?
नई दिल्ली, 19 सितंबर: भारतीय रेलवे अब ट्रेनों में टीटीई को एक नया उपकरण दे रहा है, जिसे हैंड-हेल्ड टर्मिनल (एचएचटी) कहते हैं। यह आईपैड की तरह का उपकरण है, जिससे आरएसी और वेट-लिस्ट वाले पैसेंजरों की बहुत बड़ी समस्या दूर हो रही है। कुछ महीने हुए हैं, इस नई तकनीक को ट्रेनों में लागू किए हुए और इसे जबर्दस्त सफलता मिल रही है। जो यात्री ट्रेन में सवार हैं और कंफर्म बर्थ या सीट का इंतजार कर रहे हैं, उनके लिए तो यह उपकरण कमाल का है ही, जो यात्री अगले स्टेशनों पर कंफर्म बर्थ के इंतजार में हैं, उन्हें भी कंफर्म बर्थ मिलना आसान हो गया है। कुल मिलाकर यह प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी हो चुकी है, जिसमें किसी तरह की धांधली की भी गुंजाइश नहीं बच गई है।
तकनीक के सहारे कंफर्म बर्थ हो रही है अलॉट
त्योहारों का मौसम शुरू है। ट्रेनों में भीड़ बढ़ चुकी है। जिन यात्रियों के पास कंफर्म टिकट है, उनकी खुशी का ठिकाना नहीं है। लेकिन, जिनका टिकट वेट लिस्ट या आरएसी में फंसा हुआ है, उनपर क्या गुजर रही है, यह वही जानते होंगे। खासकर जो परिवार और बच्चों के साथ त्योहार मनाने के लिए अपने घर जाना चाह रहे हैं। आरएसी होने पर तो फिर भी एक उम्मीद रहती है कि कम से कम बैठने का जुगाड़ तो पक्का है। लेकिन, अगर वेट लिस्ट हो तो उम्मीदें टूटने लगती हैं। लेकिन, एक नई हैंड-हेल्ड टर्मिनल (एचएचटी) के आने से भारतीय रेलवे रोजाना औसतन 7,000 वेट लिस्ट या आरएसी टिकट वालों को कंफर्म टिकट देने में सक्षम हो रहा है। यह सुविधा पिछले चार महीनों से मिल रही है, जिसमें रियल-टाइम-बेसिस पर टिकट कंफर्म किए जाते हैं।
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हैंड-हेल्ड टर्मिनल (एचएचटी) कैसे काम करती है ?
हैंड-हेल्ड टर्मिनल में यह सुविधा है कि इस डिवाइस पर रिजर्वेशन चार्ट डाउनलोड किया जा सकता है और किन यात्रियों ने निर्धारित स्टेशन पर बोर्डिंग की है या नहीं पहुंचे हैं, उन्हें तत्काल मार्क किया जा सकता है। जिन यात्रियों की बर्थ या सीट खाली रह गई है, यानी उन्होंने बोर्डिंग नहीं की है तो दूसरा रिजर्वेशन चार्ट तैयार करके उसे अगले रिमोट लोकेशन पर बुकिंग के लिए भी भेज दिया जाता है। इसके लिए रेलवे ट्रेन टिकट एग्जामनर्स (टीटीई) को एक आईपैडनुमा हैंड-हेल्ड टर्मिनल डिवाइस उपलब्ध करा रहा है। इसपर जो बर्थ या सीट खाली रह गई हैं, उसकी रियल-टाइम जानकारी मिल जाती है। इस डिवाइस में प्वाइंट ऑफ सेल मशीन भी कनेक्ट हो सकती है, जिसके जरिए नियमों के तहत यात्रियों से अतिरिक्त किराया (यदि कोई हो) भी लिया जा सकता है।
आरएसी-वेट लिस्ट वाले पैसेंजरों के लिए बहुत बड़ी राहत
पहले इसके लिए टीटीई को कई पन्नों वाली चार्ट देखना होता था। वह प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी भी नहीं थी। लेकिन, अब यह एचएचटी डिवाइस रेलवे के पैसेंजर रिजर्वेशन सिस्टम के सेंट्रल सर्वर से जुड़ा है, जिसमें गड़बड़ी करने की गुंजाइश नहीं रह गई है। यानी सीट देने के लिए टीटीआई कोई धांधली नहीं कर सकता। उसके सामने रियल-टाइम बुकिंग और खाली बर्थ या सीट का पूरा ब्योरा उपलब्ध होता है। यानी अब अगर कोई यात्री चार्ट निकलने के बाद भी अंतिम वक्त में टिकट कैंसिल करता है, या ट्रेन में बोर्डिंग नहीं करता है तो उसकी खाली हुई बर्थ की सूचना एचएचटी पर उपल्बध हो जाएगी। इससे टीटीई के लिए भी तत्काल वह बर्थ या सीट किसी वेट-लिस्ट वाले यात्री या रिजर्वेशन अगेंस्ट कैंसिलेशन (आरएसी) वाले पैसेंजर को अलॉट करना आसान हो गया है। एक रेल अधिकारी ने कहा है कि अब चलती ट्रेन में बर्थ का अलॉटमेंट का तरीका पारदर्शी हो गया है और आरएसी या वेट लिस्ट वाले पैसेंजर एचएचटी वाले टीटीई से खाली पड़ी बर्थ की उपलब्धता के बारे में तत्काल पूछ सकते हैं।
रोजाना हजारों पैसेंजरों को मिल रहा है फायदा
एक आंकड़े के मुताबिक चार महीने पहले शुरू हुई रेलवे के इस प्रोजेक्ट के तहत अब 1,390 ट्रेनों के टीटीई के पास करीब 10,745 एचएचटी डिवाइस उपलब्ध हैं, जिससे उनका काम भी आसान हुआ है और वेट-लिस्ट या आरएसी वाले यात्रियों का भी बहुत बड़ा संकट दूर हुआ है। आंकड़े बताते हैं कि इस तकनीक की मदद से हर दिन औसतन 5,448 आरएसी पैसेंजरों और 2,759 वेट लिस्ट वाले पैसेंजरों का बर्थ कंफर्म हो रहा है और वह सुकून भरी यात्रा का आनंद ले पा रहे हैं। इतना ही नहीं चलती ट्रेनों में कंफर्म बर्थ दिए जाने के अलावा इस तकनीक के माध्यम से हर दिन करीब 7,000 खाली बर्थ की जानकारी पैसेंजर रिजर्वेशन सिस्टम तक भी पहुंच रही है और आगे के स्टेशनों से उस बर्थ पर बुकिंग भी हो पा रही है। चार महीने पहले यह पूरी तरह से असंभव था।
सभी ट्रेनों के टीटीई को मिलेगी यह डिवाइस
रेलवे अधियाकियों के मुताबिक आने वाले तीन से चार महीने में यह हैंड-हेल्ड टर्मिनल डिवाइस साप्ताहिक और सप्ताब में दो बार चलने वाली ट्रेनों समेत लंबी दूरी की सभी ट्रेनों में भी टीटीई को उपलब्ध करवाया जाएगी। इस डिवाइस की खासियत यह है कि इसके जरिए टीटीई यात्रियों से अतिरिक्त किराया, जुर्माना और बाकी शुल्क (यदि कोई हो तो) भी वसूल सकता है और वह भी डिजिटल पेमेंट मोड से। बाद में इसी मशीन से यात्रियों को रसीद भी मुहैया कराई जा सकेगी।
बर्थ आवंटन की प्रक्रिया हुई पूरी तरह से पारदर्शी
रेल अधिकारियों का कहना है कि नई व्यवस्था लागू होने से यह सुनिश्चित हुआ है कि ट्रेन में खाली हुई बर्थ या सीट आरएसी या वेट-लिस्ट वाले पैसेंजरों को ही मिले, ना कि टीटीई उसे किसी दूसरे को आवंटित कर दे। यह पूरी तरह से कंप्यूटराइज्ड सिस्टम है, जिसमें खाली पड़ी बर्थ उचित यात्री को ही मिले यह सुनिश्चित करना आसान हो गया है, क्योंकि इसकी रियल-टाइम ऑनलाइन निगरानी होती है, जिससे बर्थ आवंटन में धांधली की गुंजाइश खत्म हो गई है। (इनपुट-पीटीआई)