Indian Railways: 'कवच' सिस्टम से अब सुरक्षित होगा आपका सफर, जानिए क्या है यह नई तकनीक ?
नई दिल्ली, 21 फरवरी: भारतीय रेलवे ने ट्रेन दुर्घटनाओं से बचाव के लिए बहुत बड़ी पहल शुरू कर दी है। अब रेलवे ने ट्रेनों को टक्कर से बचाने और दूसरी दुर्घटनाओं से सुरक्षित रखने के लिए 'कवच' सिस्टम लगाने की तैयारी शुरू कर दी है। अगले साल तक 2,000 किलोमीटर का रेलवे नेटवर्क इस टक्कर-रोधी प्रणाली से जुड़ जाएगा। इसकी शुरुआत ग्रैंड कॉर्ड लाइन से हो रही है और पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन-गया और धनबाद स्टेशनों के बीच में 'कवच' सिस्टम इंस्टॉल करने के लिए टेंडर निकाल दिया गया है। आइए भारतीय रेलवे की इस अत्याधुनिक और स्वदेशी तकनीक के बारे में सबकुछ जानते हैं, जो भविष्य में भारतीय रेलवे को जीरो दुर्घटना वाले लक्ष्य को हासिल करने का बड़ा हथियार साबित होने वाला है।
'कवच' सिस्टम लगाने में 151 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान
भारतीय रेलवे का पूर्व मध्य रेलवे (ईसीआर) जोन एडवांस सिग्नलिंग सिस्टम इंस्टॉल करने जा रहा है, जिसे 'कवच' कहा जाता है। इसकी मदद से इस जोन से गुजरने वाली ट्रेनों को दुर्घटनाओं से सुरक्षित किया जा सकेगा। ईसीआर के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी (सीपीआरओ) वीरेंद्र कुमार के मुताबिक 'कवच' सिस्टम पंडित दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन- गया-धनबाद ग्रैंड कॉर्ड रूट पर लगाया जाएगा और इसके लिए अनुमानित 151 करोड़ रुपये की लागत वाला टेंडर जारी कर दिया गया है।
पहले फेज में 408 किलोमीटर रेल रूट पर 'कवच' होगा इंस्टॉल
ईसीआर के सीपीआरओ ने हिंदुस्तान टाइम्स से कहा है कि '408 किलोमीटर लंबा पंडित दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन- गया-धनबाद ग्रैंड कॉर्ड रूट अपने देश का एक महत्वपूर्ण और व्यस्ततम रेलवे रूट है, जिसके तहत 77 स्टेशन और 79 लेवल क्रॉसिंग गेट आते हैं। इस डिविजन में 130 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार की अनुमति है।' आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत साल 2022-23 के दौरान रेलवे की सुरक्षा और क्षमता वृद्धि के मद्देनजर विश्व-स्तरीय स्वदेशी तकनीक वाले 'कवच' के दायरे में रेलवे के 2,000 किलोमीटर लंबे नेटवर्क को लाया जाना है।
कवच सिस्टम क्या है ?
कवच सिस्टम भारतीय रेलवे को ट्रैक पर जीरो दुर्घटनाओं के लक्ष्य को हासिल करने में मदद करेगा। यह सिस्टम ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम, माइक्रो प्रोसेसिंग और रेडियो संचार के तालमेल पर आधारित है। यह सिस्टम इंजन के केबिन में रहेगा, जिससे स्टेशनों, सिग्नल सिस्टम, रेलवे फाटक सभी रेडियो संचार के जरिए आपस में जुड़े होंगे। यह सिस्टम उसी ट्रैक पर खड़ी या आ रही ट्रेनों का पता लगाकर फॉरन अलर्ट करता है। अगर निश्चित समय पर ब्रेक नहीं लग पाया तो यह स्वचालित ब्रेक लगाने में भी सक्षम है और इस तरह से हादसे से सुरक्षा मिलती है। यह सिस्टम आगे या पीछे से होने वाले किसी भी संभावित टक्कर को रोकने में कारगर है, जिसे रिसर्च डिजाइन और स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन ने डेवलप किया है।
कवच सिस्टम कैसे काम करता है ?
यह एक टक्कर-रोधी तकनीक है (एंटी-कॉलिजन टेक्नोलॉजी) । यह तकनीक ट्रेनों को खतरनाक रफ्तार और टक्कर से सुरक्षा देती है। असुरक्षित स्थिति में जब ब्रेक लगाने की आवश्यकता होगी और लोको पायलट ऐसा करने में नाकाम होता है या वह ब्रेक लगाने की स्थिति में नहीं होता है तो इस सिस्टम की मदद से ऑटोमेटिक ब्रेक लग जाएगी। ट्रेन कॉलिजन एवॉयडेंस सिस्टम (टीसीएएस) में इसके अतिरिक्त स्पीड, स्थान, अगले सिग्नल की दूरी, सिग्नल से जुड़े बाकी पहलुओं के बारे में जानकारी डिसप्ले करने जैसे भी फीचर होते हैं।
अधिकृत लोगों तक सूचनाएं साझा करता है
कवच सिस्टम सिग्नलिंग सिस्टम के साथ लगातार संपर्क में रहता है और साथ ही साथ वह इस सिस्टम से जुड़े सभी अधिकृत लोगों तक उससे जुड़ी सूचनाएं साझा करता रहता है। मतलब साफ है कि जैसे ही ट्रैक और सिग्नल सिस्टम में जरा भी गड़बड़ी की भनक लगती है, वह फॉरन ही आपात अलर्ट भेजकर सचेत करता है। लेकिन, अगर किसी भी वजह से लोको पायलट ने तत्काल ब्रेक लगाने में देरी की तो यह ऑटो मोड पर ब्रेक लगाने में सक्षम है, जिससे ट्रेन ठहर जाएगी और आमने-सामने या पीछे से होने वाली टक्कर की पूरी तरह से रोकथाम हो सकेगी। यह लेवल क्रॉसिंग की भी जानकारी ऑटोमेटिक सिटी के जरिए देता है।