रेल ब्रिज को सही करने में युद्ध स्तर पर जुटा रेलवे विभाग, हर रोज हो रहा है 2 करोड़ का नुकसान
हैदराबाद। आंध्र प्रदेश में अराकू घाटी के पास तकरीबन 50 साल पुराने रेलवे ब्रिज पर एक भारी भरकम चट्टान टूटकर गिर गई, जिसकी वजह से ब्रिज का एक पिलर टूट गया। देश का यह उंचा रेलवे पुल था, जिसे ठीक किए जाने का काम शुरू हो गया है। चट्टान के रेलवे ब्रिज पर गिरने के पांच दिन बाद रेलवे ने इसे ठीक करने का काम शुरू कर दिया है। लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि इसे पूरा करने के लिए 60 दिन का लक्ष्य रखा गया है। इस ब्रिज को ठीक करने में सबसे बड़ी चुनौती ये है कि यहां एक बड़ा झरना बहता है और आस-पास काफी संकरी चट्टानें हैं।
चौबीस घंटे रखी जाएगी नजर
गौरतलब है कि सरकार ने मुंबई में रेलवे ब्रिज को जल्दी बनाने के लिए सेना को यह काम सौंपा था, लेकिन आंध्र प्रदेश में इस प्रोजेक्ट को पूरा करने का जिम्मा रेलवे ने उठाया है, यह टास्क ना सिर्फ इंजीनियर्स के लिए बड़ा टास्क है बल्कि समयबद्ध तरीके से पूरा करना भी बड़ा टास्क है। इस काम पर चौबीस घंटे नजर रखी जाएगी, इसे ईस्ट रेलवे जोन पूरा करेगा। इस प्रोजेक्ट पर ड्रोन और वायरलेस कैमरे से नजर रखी जाएगी, जिसकी निगरारी रेलवे बोर्ड करेगा।
1960 में बना था ब्रिज
ईस्ट कोस्ट रेलवे के जनरल मैनेजर उमेश सिंह ने कहा कि हम तय समय में काम को पूरा कर देंगे, 12 दिसंबर तक ट्रैफिक को शुरू कर दिया जाएगा। कोथवालसा-किरांदुल लाइन 445 किलोमीटर लंबा है जिसे केके लाइन के नाम से जाना जाता है, जोकि घनी चट्टान के बीच से गुजरता है। यह भारतीय रेल का सबसे संकरा पुल है जोकि छत्तीसगढ़ को विशाखापत्तनम से जोड़ता है। इस पुल को 1960 में बनाया गया था, जिसे बनाने में जापान से तकनीकी मदद ली गई थी। इस रूट पर 58 सुरंग और 84 ब्रिज हैं।
समय के साथ समझौता नहीं किया जा सकता
ब्रिज के टूट जाने की वजह से कोरापूत-रेगाड़ा-विजयनगर लाइन से होकर ट्रेनें जा रही हैं। ब्रिज पर जो चट्टान का टुकड़ा गिरा है उसका वजन तकरीबन 700 किलोमीटर है, जिसकी वजह से ब्रिज का पिलर टूट गया है। इसे ठीक करने में सबसे बड़ी चुनौती यह है कि यहां मशीनों के पहुंचने में बहने वाला झरना बड़ी बाधा है। ईस्ट रेलवे के डीआरएम मुकुल एस माथुर ने कहा कि जिस दिन हमे इस घटना की जानकारी मिली हम युद्ध स्तर पर इसे ठीक करने का काम कर रहे है, आपातकाल में हमने इसका टेंटर दिया, हमे हर रोज इस ट्रैक के बाधित होने की वजह से दो करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है, इसीलिए इस काम को पूरा करने में समय की अवधि के साथ समझौता नहीं किया जा सकता है।
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