चीन की हर हरकत पर नजर रखने के लिए लद्दाख में ऊंटों से गश्त करेगी भारतीय सेना
चीन की हर हरकत पर नजर रखने के लिए लद्दाख में ऊंटों से गश्त करेगी भारतीय सेना
नई दिल्ली। डोकलाम में भारतीय सेना के साथ टकराव के बाद सामने आई कई सैटेलाइट तस्वीरों से पता चला है कि चीन विवादित स्थल से कुछ दूरी पर सड़कों का जाल बिछा रहा है। ड्रैगन की साजिशें सिर्फ डोकलाम तक ही सीमित नहीं बल्कि वह सिक्किम-तिब्बत-भूटान ट्राई जंक्शन पर भी लगातार सैनिकों की मौजूदगी बढ़ रहा है। ऐसे में भारतीय सेना ने लद्दाख में चीन से सटी सीमा यानी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गश्त के लिए ऊंटों का सहारा लेने जा रही है।
दो कूबड़ वाले ऊंटों का इस्तेमाल करना चाहती है सेना
अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, इन ऊंटों गश्त लगाने के साथ ही गोला-बारूद और अन्य जरूरी सामान ढोने के लिए लगाया जाएगा। ऐसा बताया जा रहा है कि दो कूबड़ वाले बैक्ट्रियन नस्ल के ऊंट सिक्किम-तिब्बत-भूटान ट्राई जंक्शन पर मौजूद भौगोलिक परिस्थितियों में काफी कारगर साबित हो सकते हैं। ये ऊंट 220 किलो तक वजन ढोने में सक्षम होते हैं। करीब 15000 फुट की ऊचाई इलाके में ऊंटों के प्रयोग से भारतीय सेना को बड़ी मदद मिल सकती है।
इस समय गधे, खच्चरों का इस्तेमाल कर रही है सेना
जानकारी के मुताबिक, मौजूदा समय में भारतीय सेना गधे और खच्चरों का इस्तेमाल करती है, जो कि अधिकतम 40 किलो भार उठाने में सक्षम होते हैं। इनकी तुलना में ऊंट ज्यादा तेजी से दौड़ सकते हैं और भारत भी अधिक उठा सकते हैं। दो कूबड़ वाले ऊंट समतल भू-भाग पर 10 से 15 किमी की दूरी दो घंटे में तय कर लेते हैं। इसके साथ ही ऊंटों की ऊंचाई का भी भारतीय सेना को लाभ मिलेगा, इससे दूर तक दुश्मन पर भी नजर रखने में मदद मिलेगी। दो कूबड़ वाले ऊंट बेहद खास नस्ल के होते हैं, ये लद्दाख की नूब्रा घाटी में पाए जाते हैं।
डोकलाम से भी ज्यादा है सिक्किम-तिब्बत-भूटान ट्राई जंक्शन पर चुनौती
सिक्किम-तिब्बत-भूटान ट्राई जंक्शन पर भी काफी समय से डोकलाम जैसे हालात हैं। यहां पर चीन बड़ी तेजी के साथ सड़कों का जाल बिछा जा रहा है। इतना ही नहीं, इस इलाके उसके सैनिकों की मौजूदगी भी काफी ज्यादा है। इस क्षेत्र को लेकर चीन किस हद तक साजिश कर रहा है, उसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब डोकलाम में विवाद चल रहा था, तब चीन की सेना इसी क्षेत्र से करीब तिब्बत के एक इलाके में सैन्य अभ्यास कर रही थी।