अरुणाचल प्रदेश में मिला IAF के एयरक्राफ्ट एएन-32 का मलबा, खत्म हुई 8 दिनों से जारी तलाश
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गुवाहाटी। तीन जून को असम के जोरहाट से लापता हुआ इंडियन एयरफोर्स (आईएएफ) के ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट एएन-32 का मलबा मिल गया है। बताया जा रहा है कि एयरक्राफ्ट का कुछ हिस्सा अरुणाचल प्रदेश के उत्तर में स्थित लिपो में मिला है। फिलहाल एयरफोर्स की ओर से मलबे की जांच की जा रही है। एयरफोर्स की ओर से भी इसकी आधिकारिक पुष्टि कर दी गई है।
एमआई-17 ने तलाशा मलबा
आईएएफ की ओर से कहा गया है, 'गायब एएन-32 का मलबा लिपो से 16 किलोमीटर दूर उत्तर में और उत्तर पूर्वी दिशा में करीब 12,000 फीट की ऊंचाई पर मिला है। इस इलाके में वायुसेना के एमआई-17 हेलीकॉप्टर सर्च ऑपरेशन में लगे थे।' जिस जगह पर एएन-32 का मलबा मिला है वह जगह अरुणाचल प्रदेश के सियांग जिले में आती है। ट्विन इंजन वाले इस एयरक्राफ्ट ने तीन जून करीब 12 बजकर 27 मिनट पर असम के जोरहाट से अरुणाचल प्रदेश के मेचुका के लिए टेक ऑफ किया था। आखिरी बार एक बजे एयरक्राफ्ट ने एटीसी से कॉन्टेक्ट किया और इसके बाद से ही इसका कुछ पता नहीं लग पा रहा था। विमान में कुल 13 वायुसैनिक सवार थे। इस एयरक्राफ्ट को अरुणाचल के मेचुका में लैंड करना था। एयरफोर्स ने पिछले दिनों एयरक्राफ्ट के बारे में जानकारी देने वालों को पांच लाचा रुपए देने का ऐलान किया था।
कौन-कौन था सवार
एयरक्राफ्ट पर ऑफिसर्स की रैंक्स से लेकर वॉरेंट ऑफिसर तक सवार थे। जो 13 वायुसैनिक इस एयरक्राफ्ट पर सवार थे उनके नाम हैं-फ्लाइट लेफ्टिनेंट मोहित गर्ग, विंग कमांडर चार्ल्स, फ्लाइट लेफ्टिनेंट मोहंती, फ्लाइट लेफ्टिनेंट आशीष तंवर, स्क्वाड्रन लीडर विनोद, फ्लाइट लेफ्टिनेंट थापा, सार्जेंट अनूप, कॉरपोरल शारिन, वॉरेंट ऑफिसर केके मिश्रा, लीडिंग एयरक्राफ्ट मैन (एलएसी) पंकज, एलएसी एसके सिंह, एनसी राजेश कुमार और पुताली। एनसी यानी नॉन कॉम्बटेंट एनरोल्ड, ये लोग वायुसेना का ही हिस्सा होते हैं और असैन्य रोल के तहत अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करते हैं। एयरफोर्स की ओर से कहा गया है कि जहाज पर सवार लोगों और बचे हुए लोगों की स्थिति का पता लगाने की कोशिशों की जा रही हैं।
फाइटर जेट से लेकर सैटेलाइट तक शामिल
पिछले आठ दिनों से एयरफोर्स ने इस एयरक्राफ्ट की तलाश में जमीन और आसमान सब एक कर दिया था। लेकिन खराब मौसम लगातार चुनौती बना हुआ था। आईएएफ ने इस ट्रांसपोर्ट को तलाशने के लिए सुखोई जैसे एडवांस्ड फाइटर जेट की मदद ली तो इंडियन नेवी का सर्विलांस एयरक्राफ्ट p8i को भी सर्च ऑपरेशन में लगाया गया। इसके अलावा इसरो के क्रैरओसैट और रि-सैट सैटेलाइट की मदद भी सर्च ऑपरेशन के लिए ली गई थी। वायुसेना का एक और ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट सी-130 जे हरक्यूलिस भी सर्च ऑपरेशन में लगाया गया था। चार एमआई-17 हेलीकॉप्टर्स समेत आठ एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर्स को सर्च ऑपरेशन में शामिल किया जिसमें से दो सेना के थे। इसके अलावा सेना के यूएवी को भी सर्च ऑपरेशन में शामिल किया गया था।
चीन बॉर्डर से बस 15 किलोमीटर दूर मेचुका
अरुणाचल प्रदेश के वेस्ट सियांग में स्थित मेचुका एयरफील्ड चीन की विवादित सीमा से बस 15 किलोमीटर की दूरी पर है। मेचुका एयरफील्ड के आसपास काफी घना जंगल है और यह जगह समुद्र तल से 6,000 फीट की ऊंचाई पर है। मेचुका एयरस्ट्रीप को एडवांस्ड लैडिंग ग्राउंड यानी एएलजी भी कहते हैं। इस एयरस्ट्रीप का प्रयोग मुख्यतौर पर आईएएफ असम से आने वाली जरूरी सामानों की सप्लाई यहां के लोगों तक करने के लिए करती है। एयरस्ट्रीप पर एएन-32 के अलावा हेलीकॉप्टर्स के लैंड कराने की भी सुविधा है। इसके रनवे को साल 2017 में बढ़ाकर 4,700 फीट किया गया था। इसके अलावा इसका जरूरी रेनोवेशन भी हुआ था।