पीएम मोदी ने पुतिन को दी चेतावनी, NSG समर्थन नहीं तो परमाणु समझौते पर साइन नहीं
भारत ने एनएसजी में अपनी एंट्री के लिए रूस का समर्थन हासिल करने के मकसद से रखी एक शर्त। अगर एनएसजी में रूस ने भारत का समर्थन करने से पैर पीछे खींचे तो फिर कुडानकुलम परमाणु कार्यक्रम पर भी पड़ेगा असर।
नई दिल्ली। भारत ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में अपनी एंट्री पर पुराने साथी रूस को भी चेतावनी दे दी है। भारत ने अपने इस पुराने रणनीतिक साझीदार को साफ कर दिया है कि अगर उसे अगले एक दो वर्षों के अंदर एनएसजी की पूरी सदस्यता नहीं मिली तो फिर वह सभी विदेशी साझीदारों के लिए उनके सिविल न्यूक्लियर प्रोग्राम को रोक दिया जाएगा।
मोदी-पुतिन मुलाकात से पहले एमओयू का जिक्र
भारत ने रूस को साफ-साफ कह दिया है कि अगर रूस ने एनएसजी के लिए भारत का समर्थन नहीं किया तो फिर कुडानकुलम प्रोग्राम के लिए कोई एमओयू साइन नहीं होगा। भारत की ओर से यह चेतावनी उस समय आई है जब अगले माह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन की मुलाकात होनी है।
भारत ने रूस को दिया साफ जवाब
इस मुलाकात से पहले पीएम मोदी ने रूस के उप-प्रधानमंत्री दीमित्री रोजोगिन से मुलाकात की है। माना जा रहा है कि इस मुलाकात में ही पीएम मोदी की ओर से रूस को यह चेतावनी दी है। रूस कुडानकुलम में छह रिएक्टर्स डेवलप कर रहा है और इन्हीं रिएक्टर्स पर एमओयू साइन करने के मकसद से रोजोगिन ने पीएम मोदी से मुलाकात की है।
एमओयू के लिए बेकरार रूस
भारत ने मुलाकात के दौरान रूस को साफ कह दिया है कि एनएसजी सदस्यता न मिलने की हालत में उसके पास देसी तरीक से ऊर्जा उत्पादन के अलावा और कोई विकल्प नहीं रह जाएगा। रूस कई बार इस बात के लिए कोशिशें कर चुका है कि भारत इस एमओयू को साइन करे।
परेशान हुआ रूस
इस एमओयू को पिछले वर्ष अक्टूबर माह में गोवा में हुई ब्रिक्स समिट में साइन किया जाना था और अभी तक इस पर कुछ भी नहीं हो सका है। रूस दूसरी तरफ इस बात को लेकर काफी चिंतित है कि अब जबकि मोदी-पुतिन की मुलाकात में दो हफ्तों का ही समय बचा है भारत की ओर से एमओयू को लेकर कोई भरोसा नहीं दिया गया है। जिस एमओयू को लेकर रूस चिंतित है वह भारत और रूस की रणनीतिक साझीदारी को मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम है।
पहले चीन को मनाएं पुतिन
भारत ने हर तरीके से रूस से अपील की थी कि वह चीन से भारत की सदस्यता के मुद्दे पर चर्चा करे। चीन, भारत की एनएसजी के रास्ते में सबसे बड़ी रुकावट है। भारत को लगता है कि रूस ने उसकी सदस्यता को लेकर चीन को रजामंद करने की दिशा में कोई खास कदम नहीं उठाए हैं।
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