UN ने कश्मीर में कही मानवाधिकार हनन की बात, भारत ने कहा आतंकवाद को कानूनी ठहराने की कोशिश
न्यूयॉर्क। भारत ने पिछले वर्ष आई यूनाइटेड नेशंस (यूएन) की उस रिपोर्ट को खारिज कर दिया है जिसमें जम्मू कश्मीर में मानवाधिकार हनन की बात कही गई थी। सोमवार को भारत ने यूएन में इस रिपोर्ट का कड़ा विरोध किया। भारत ने इसे बॉर्डर पर मौजूद हालातों को लेकर 'पहले की तरह झूठ और एक खास मानसिकता से प्रेरित' बताया। पिछले वर्ष जून में भी यूएन की रिपोर्ट आई थी। इस रिपोर्ट को ऑफिस ऑफ द हाई कमिशन फॉर ह्यूमन राइट्स (ओएचसीएचआर) की तरफ से रिलीज किया गया था।
पिछले वर्ष भी आई थी ऐसी रिपोर्ट
रिपोर्ट के बाद हाल ही में एक और रिपोर्ट आई है जो पहले की रिपोर्ट का अगला हिस्सा है। इस नई रिपोर्ट में मई 2018 से अप्रैल 2019 के दौरान घाटी के हालातों का ब्यौरा है। इस रिपोर्ट में ' भारत प्राधिकृत कश्मीर में गंभीर मानवाधिकार हनन,' की बात कही गई है। रिपोर्ट में पीओके में भी मानवाधिकारों के उल्लंघन का जिक्र है। 43 पेज की रिपोर्ट पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा है, 'यह रिपोर्ट पूरी तरह से भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के खिलाफ है। रिपोर्ट में सीमा पार से जारी आतंकवाद को नजरअंदाज करके अप्रत्यक्ष तौर पर आतंकवाद को कानूनी ठहराने की कोशिश की गई है।' रवीश कुमार ने कहा, 'रिपोर्ट में जो भी अपडेट किए गए हैं उनके जरिए दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और एक ऐसे देश के बीच कृत्रिम समानता बनाने की कोशिश की गई है जो खुलेआम आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है।' कुमार के मुताबिक यह अपडेटेड रिपोर्ट चिंता का विषय है जिससे यह जाहिर होता है कि यूएन सिक्योरिटी काउंसिल के मानकों के तहत आतंकवाद कानूनी है। रवीश कुमार ने बताया कि भारत ने रिपोर्ट को लेकर कड़ा विरोध दर्ज कराया है।