कमजोर, भूखा और कुपोषित है भारत: GHI की रैंकिंग में 97वां स्थान
नई दिल्ली। एक तरफ हम आगे बढ़ने की बात कर रहे हैं, नई नई तकनीकियों की मदद से देश को डिजिटल करने की बात कर रहे हैं लेकिन दूसरी ओर भारत की एक दुखद तस्वीर सामने आई है जो कि बेहद दर्दनाक और चिंताजनक है।
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ग्लोबल हंगर इंडेक्स (जीएचआई) की रैंकिंग में भारत को 97 वीं पोजिशन मिली है जो कि किसी भी मायने में अच्छी नहीं है। जबकि 118 देशों की रैंकिंग में नेपाल (72वें), म्यांमार (75वें), श्रीलंका (84वें) और बांग्लादेश (90वें) जैसे देश भारत से आगे है। इसका मतलब ये हुआ कि भारत आज भी भारी भूखमरी और कुपोषण से जूझ रहा है जबकि इस रैकिंग में पाकिस्तान को 107वें स्थान पर है।
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आपको बता दें कि ग्लोबल हंगर इंडेक्स (जीएचआई) की रैंकिंग अमेरिका स्थित इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट की तरफ से जारी की गई है। कुल आबादी में कितने लोग कुपोषण का शिकार हैं और पांच साल से कम उम्र के कितने बच्चे शारीरिक रूप से अविकसित अवस्था में हैं, इन्हीं दो मुद्दों पर ग्लोबल हंगर इंडेक्स तैयार किया जाता है। जिसमें भारत की स्थिति काफी चिंताजनक है।
कहां फेल हुए हम?
साल 2030 तक भारत को भूखमुक्त करने का संकल्प लिया गया है लेकिन क्या मौजूदा हालात के मद्देनजर ये संभव हो पाएगा। इन संवेदनशील मुद्दे पर खास नजर रखने वाले पुरोधा कहते हैं कि भारत इस केस में पहले से सुधार पर है, हालांकि सुधार की गति काफी धीमी है लेकिन इसके बावजूद हम सुधर रहे हैं। हमारे यहां सरकार ने अनाज को सस्ता करने की कोशिश तो की है लेकिन वो सस्ता अनाज गरीबों के पेट तक कैसे पहुंचेगा, वहां वो फेल हो गई है।
अनाज भंडारण क्षमता के अभाव में बेकार होता है अनाज
एक सर्वे के मुताबिक देश का लगभग 20 फीसदी अनाज भंडारण क्षमता के अभाव में बेकार हो जाता है, तो अनाज का एक बड़ा हिस्सा लोगों तक पहुंचने की बजाय कुछ सरकारी गोदामों में, तो कुछ इधर-उधर अव्यवस्थित ढंग से रखने की वजह से सड़ जाता है। ऐसे में जिनके हाथ में देश का भावी भविष्य है, उनका वर्तमान काफी कमजोर, भूखा और कुपोषित है, जिसके लिए जल्द से जल्द कदम उठाने होंगे वरना कोई शक नहीं कि स्थिति बद से बदतर हो सकती है।