पाकिस्तान जाएगी 20 भारतीय डॉक्टरों की टीम, जेल में बंद कैदियों का करेगी चेकअप
भारत और पाकिस्तान दोनों देश एक प्रस्ताव पर काम कर रहे हैं। आपसी तनाव को कम करने के मकसद से भारत से 20 डॉक्टरों की एक टीम को पाकिस्तान भेजा जा सकता है। ये डॉक्टर पाकिस्तान की जेलों में बंद मनोरोगियों, महिलाओं और बाल भारतीय कैदियों का चेकआप करेंगे।
नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान दोनों देश एक प्रस्ताव पर काम कर रहे हैं। आपसी तनाव को कम करने के मकसद से भारत से 20 डॉक्टरों की एक टीम को पाकिस्तान भेजा जा सकता है। ये डॉक्टर पाकिस्तान की जेलों में बंद मनोरोगियों, महिलाओं और बाल भारतीय कैदियों का चेकआप करेंगे। इस चेकआप के बाद इन कैदियों को भारत लाने की कोशिशें की जाएंगी। इंग्लिश डेली टाइम्स ऑफ इंडिया की ओर से यह खबर दी गई है।
भारत वापसी के इंतजार में कैदी
मीडिया
रिपोर्ट
में
बताया
गया
है
कि
ये
वे
कैदी
हैं
जो
भारत
वापसी
का
इंतजार
कर
रहे
हैं।
भारत
और
पाक
के
बीच
ऐसे
कैदियों
की
रिहाई
पर
सहमति
बनी
है
और
दोनों
देश
डॉक्टरों
को
वीजा
देने
के
बारे
में
चर्चा
कर
रहे
हैं।
हालांकि
सूत्रों
का
कहना
है
कि
यह
हो
सकता
है
कि
पाकिस्तान
20
डॉक्टरों
नहीं,
बल्कि
कुछ
कम
डॉक्टरों
के
लिए
वीजा
दे।
दोनों
देशों
के
बीच
हाल
में
राजनयिकों
को
धमकाने
और
परेशान
करने
को
लेकर
काफी
तनावपूर्ण
माहौल
है।
रिश्तों
को
सामान्य
बनाने
के
लिए
भारत
ने
कुछ
शर्तें
रखी
हैं.
भारत
ने
पाकिस्तान
के
सामने
भारतीय
राजनयिकों
की
प्रताड़ना
तत्काल
बंद
करने,
इस्लामाबाद
में
भारतीय
उच्चायुक्त
अजय
बिसारिया
को
स्वतंत्र
तरीके
से
आवाजाही
की
इजाजत
देने,
शांतिपूर्ण
तरीके
से
इस्लामाबाद
में
भारतीय
राजनयिकों
के
लिए
आवासीय
परिसर
का
निर्माण
करने
देने
और
भारतीय
राजनयिकों
के
इस्लामाबाद
क्लब
की
सदस्यता
पर
लगी
रोक
हटाने
की
शर्त
शामिल
है।
सुषमा और सोहेल की मीटिंग में हुई चर्चा
भारत सरकार मानसिक रूप से अस्वस्थ कैदियों को यहां के डॉक्टरों की ओर से चेकअप कराने के बाद जल्द से जल्द उन्हें भारत लाने के प्रयास करना चाहती है। दोनों देशों के बीच मानवीय मुद्दों को लेकर समझौता हुआ है और पाकिस्तान की जेल में बंद कैदियों के मुद्दे को मानवीय मुद्दा माना गया है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और पाकिस्तान उच्चायुक्त सोहेल महमूद के बीच अक्टूबर 2017 में हुई मुलाकात में यह समझौता हुआ था। सुषमा ने यह प्रस्ताव रखा था कि दोनों देश वृद्धों, महिलाओं, बच्चों और मानसिक रूप से अस्वस्थ कैदियों से जुड़े मानवीय मुद्दों को जल्द से जल्द सुलझाया जाए। भारत ने सात मार्च को एक बयान जारी किया था जिसमें इस प्रस्ताव पर पाकिस्तान की ओर से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिलने की बात कही गई थी।