भारत को पिछले साल प्राकृतिक आपदाओं में हुआ करीब 65 हजार करोड़ रुपए का नुकसान, WMO की रिपोर्ट में आया सामने
नई दिल्ली, अक्टूबर 26। साल 2020 पूरी दुनिया के लिए ना सिर्फ कोरोना महामारी के कारण बहुत बुरा रहा बल्कि पिछले साल कई देशों में प्राकृतिक आपदाएं भी आईं। भारत में तो पिछले साल कोरोना महामारी के दौरान भूकंप, बाढ़, तूफान और सूखे जैसी प्राकृतिक समस्याएं देखने को मिली। इन आपदाओं से निपटने के लिए भारत को पिछले साल करीब 87 अरब डॉलर (करीब 6 लाख 53 हजार करोड़ रुपए) का नुकसान हुआ है। ये जानकारी मंगलवार को जारी की गई विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) की "स्टेट ऑफ द क्लाइमेट इन एशिया" रिपोर्ट में सामने आई है।

UN में इस समस्या पर चर्चा संभव
इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत में चक्रवाती तूफान, बाढ़, सूखा और भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं में 87 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है। कोरोना संकट के दौरान इन आपदाओं ने देश की अर्थव्यवस्था को बहुत अधिक नुकसान पहुंचाया है। मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र में जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर आयोजित शिखर सम्मेलन के शुरू होने से कुछ दिन पहले ये रिपोर्ट जारी हुई है। अब इस सम्मेलन में इसको लेकर भी चर्चा संभव है।

चीन को सबसे अधिक 238 अरब डॉलर का नुकसान
इस रिपोर्ट में पहला स्थान चीन का है। प्राकृतिक आपदाओं की मार चीन ने भी खूब झेली है। चीन को पिछले साल प्राकृतिक आपदाओं के दौरान सबसे अधिक 238 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है। भारत का स्थान दूसरे नंबर पर है, जबकि जापान तीसरे स्थान पर है। जापान को 83 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है।

अम्फान के कारण भारत-बांग्लादेश से विस्थापित हुए लोग
इस रिपोर्ट में भारत के अंदर पिछले साल आए सबसे मजबूत चक्रवातों में से एक, चक्रवात अम्फान का जिक्र किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तूफान ने मई 2020 में भारत और बांग्लादेश में सुंदरबन क्षेत्र में तबाही मचाई, जिससे भारत में 2.4 मिलियन और बांग्लादेश में 2.5 मिलियन लोग विस्थापित हुए। रिपोर्ट के मुताबिक, तीव्र चक्रवात, मानसून की बारिश और बाढ़ ने दक्षिण एशिया और पूर्वी एशिया में घनी आबादी वाले क्षेत्रों को प्रभावित किया।

पिछले साल गर्मी ने भी बनाया रिकॉर्ड
इस रिपोर्ट में 31 अक्टूबर से शुरू होने वाले COP26 UN शिखर सम्मेलन से पहले जलवायु परिवर्तन के प्रभाव पर भी प्रकाश डाला गया, जिसमें कहा गया है कि पिछला साल एशिया में रिकॉर्ड गर्मी वाला साल था, जिसका जिसका औसत तापमान 1981-2010 के औसत से 1.39 डिग्री सेल्सियस अधिक था। रिपोर्ट के अनुसार, रूस के वेरखोयांस्क में तापमान 38 डिग्री सेल्सियस के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था, जो कि आर्कटिक सर्कल के उत्तर में कहीं भी दर्ज किया गया सबसे अधिक तापमान है। इसके अलावा दक्षिण और पूर्वी एशियाई ग्रीष्मकालीन मानसून, दोनों पिछले साल असामान्य रूप से एक्टिव थे।
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