UNGA में पाकिस्तान ने की नीच हरकत तो बुरी तरह धोने की है तैयारी, जानिए क्या कर सकता है भारत ?
नई दिल्ली- यूएन जनरल असेंबली में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान जम्मू-कश्मीर का मुद्दा उठाने से बाज नहीं आएंगे, इसमें किसी को संदेह नहीं हो सकता। वह इस बार कश्मीर मुद्दे पर किसी भी हद तक जाएंगे, पाकिस्तान से मिल रहे संकेतों से इसमें भी कोई शक नहीं है। इसलिए भारत ने भी पाकिस्तान को दुनिया भर के देशों की मौजूदगी में ऐसे सबक सिखाने की तैयारी कर ली है, जिसे पाकिस्तान के लिए भुला पाना मुश्किल हो जाएगा। एक बड़े और जिम्मेदार देश होने के नाते विदेश मंत्रालय से लगातार जो संकेत मिल रहे हैं, उनमें भारत की ओर से ठोक बजाकर तैयार की गई संभावित पुख्ता रणनीति को समझा जा सकता है। हाल के दिनों में न्यूयॉर्क से लेकर दिल्ली तक सरकार की ओर से जो कुछ कहा गया है, उससे साफ जाहिर है कि इस बार अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी पाकिस्तान की धुलाई करने के सारे इंतजाम किए जा चुके हैं। सारी बात इस बात पर निर्भर करती है कि घरेलू दबाव में इमरान का वहां किस हद तक नीचे गिरते हैं।
पाकिस्तान नीचे गिरेगा तो भारत ऊंचा उठेगा
अगले हफ्ते यूएन जनरल असेंबली को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तानी पीएम इमरान खान दोनों संबोधित करने वाले हैं। इमरान 27 सितंबर को अपने भाषण में कश्मीर का मुद्दा उठाने वाले हैं। पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी पहले ही कह चुके हैं कि पाकिस्तानी पीएम अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने जोर-शोर से कश्मीर मसला उठाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उसी दिन इमरान से पहले ही जनरल असेंबली को संबोधित करने वाले हैं। इमरान की संभावित हरकत को लेकर भारत की रणनीति के संकेत यूएन में भारत के स्थाई प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने दिए हैं। जब न्यूयॉर्क में उनसे पूछा गया कि अगर जनरल असेंबली में कश्मीर मुद्दा उठा तो भारत की क्या प्रतिक्रिया होगी। उन्होंने बिना नाम लिए जवाब दिया, "मैं आपको इस तरह से बताता हूं। यह सभी देशों पर निर्भर है कि वह ग्लोबल प्लेटफॉर्म का किस तरह से इस्तेमाल करना तय करता है। कुछ ऐसे हो सकते हैं, जो बहुत नीचे तक गिर सकते हैं। हमारा उनको जवाब होगा कि हम बहुत ऊंचा जाएंगे। वे नीचा गिर सकते हैं, हम ऊंचा उठेंगे।"
इन मुद्दों पर बात कर सकते हैं प्रधानमंत्री
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन जब भारत के ऊंचा उठने की बात कर रहे थे तो उनका इशारा पीएम मोदी के भाषण में ग्लोबल इश्यू को उठाने को लेकर था। उन्होंने साफ किया कि न्यूयॉर्क में प्रधानमंत्री मोदी की बहुपक्षीय और द्विपक्षीय बैठकें ही उदाहरण हैं कि भारत कैसे इस मंच का उपयोग ऊंचा उठने के लिए करने वाला है। इस मुद्दे पर भारत और अमेरिका में काम कर रहे भारतीयों के संकेतों को समझें तो प्रधानमंत्री मोदी अपने भाषण के दौरान भारत को एक ऐसे ग्लोबल लीडर के तौर पर पेश कर सकते हैं, जो पूरे विश्व को लेकर चलता है और पूरी मानवता की चिंता करता है। भारत के ऊंचा उठने के अकबरुद्दीन की बातों में भी इसी बात की झलक मिलती है। इसके तहत प्रधानमंत्री मानवता के लिए आतंकवाद के बढ़ते खतरे की ओर दुनिया का ध्यान खींचने की कोशिश कर सकते हैं। इसके साथ ही उनके एजेंडे में क्लाइमेट चेंज और यूएन के सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स (एसडीजी) जैसे विषय हो सकते हैं। अकबरुद्दीन ने पाकिस्तान की ओर इशारा करते हुए कहा कि, "वो जो भी करना चाहते हैं वह उनका फैसला है। हमनें अतीत में उन्हें आतंकवाद की मुख्यधारा में देखा है। और अब आप मुझसे कह रहे हैं कि वे मुख्यधारा की हेट स्पीच देना चाहते हैं। अगर वे ऐसा करना चाहते हैं तो यह उनका फैसला है। जहर वाला पेन बहुत लंबे वक्त तक काम नहीं आता।"
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पीएम के बाद बोलेंगे इमरान तो कैसे जवाब देगा हिंदुस्तान?
ये बात तय है कि जम्मू-कश्मीर में जो भी संवैधानिक बदलाव किया गया है, वह भारत का आंतरिक मामला है और इसके बारे में प्रधानममंत्री मोदी को यूएनजीए में कुछ बोलने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन, सवाल उठता है कि जब इमरान कश्मीर मुद्दे पर दुनिया भर के देशों की मौजूदगी में छाती पीटना शुरू करेंगे तो क्या भारत चुप रह जाएगा? इतिहास गवाह है कि ऐसा कभी नहीं हो सकता। लेकिन, सरकार पहले से अपने पत्ते नहीं खोलना चाहती। अगर अकबरुद्दीन की बातों को समझें तो वह काफी कुछ संकेतों में बता चुके हैं। उन्होंने राइट टू रिप्लाई के बारे में सवाल पूछे जाने पर कहा, "यह खराब टैक्टिक्स है कि आप सभी को बताते चलें कि आपके जवाब का तरीका क्या रहने वाला है। आप मुझे चाहे जो भी कहें, लेकिन मैं बैड टैक्टिसियन नहीं हूं।"
'राइट टू रिप्लाई' में पाकिस्तान को धोने की तैयारी?
माना जा रहा है कि भले ही सरकार खुलकर अभी कुछ नहीं बता रही है, लेकिन पाकिस्तान को इस बार अंतरराष्ट्रीय बिरादरी की मौजूदगी में धोने की भारत ने पुख्ता तैयारी जरूर कर रखी है। दरअसल, संयुक्त राष्ट्र के नियमों में यह व्यवस्था है कि अगर कोई सदस्य देश सभा में किसी दूसरे देश पर किसी तरह से जुबानी हमला करता है तो उस देश को माकूल जवाब देने के लिए दूसरे देश के पास पूरा अख्तियार है। इसे राइट टू रिप्लाई कहते हैं और हाल के वर्षों में भारत की ओर से इसका सफलता के साथ इस्तेमाल भी किया जा चुका है। 2016 में तत्कालीन पाकिस्तानी पीएम नवाज शरीफ के भाषण के बाद भारत के जूनियर डिप्लोमैट फर्स्ट सेक्रेटरी इनम गंभीर के जवाब ने पूरी दुनिया के सामने पाकिस्तान को बेनकाब कर दिया था। उन्होंने पाकिस्तान को 'टेररिस्तान' साबित कर दिखाया था। नवाज के कश्मीर मुद्दा उठाने के जवाब में गंभीर ने कहा था कि जो धरती कभी तक्षशिला जैसे शिक्षा का केंद्र रहा है, अब आतंक का मेजबान बनकर रह गया है। इसी तरह जब पाकिस्तान की यूएन में तत्कालीन स्थाई प्रतिनिधि मलीहा लोधी ने कश्मीर का मसला उठाया तो गंभीर ने उनकी बातों को 'नक्कारखाने में तूती' के समान बता दिया था। उन्हें जवाब देने के लिए 10 मिनट मिले थे और 45 सेकेंड में ही उन्होंने पाकिस्तान को चुप करा दिया था।
पाकिस्तान को घेरने वाले मुद्दे
जबसे जम्मू-कश्मीर से केंद्र सरकार ने धारा-370 को हटाया है, गृहमंत्री अमित शाह से लेकर विदेश मंत्री एस जयशंकर तक यह बता चुके हैं कि भारत का कश्मीर मिशन तबतक अधूरा है, जबतक पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) भारत में औपचारिक तौर पर शामिल नहीं कर लिया जाता। अमित शाह ने तो संसद में कहा है कि पीओके और अक्साई चीन पर हमारा अधिकार है। ऐसे में अगर इमरान ने कश्मीर का राग अलापने की गलती की तो हो सकता है कि भारत दुनिया को बता दे कि पीओके पर उसका अवैध कब्जा है, वहां के मूल निवासी भारतीय नागरिक हैं और उन्हें सुरक्षित पाकिस्तान के कब्जे से छुड़ाने के लिए भारत कोई भी कदम उठाने के लिए स्वतंत्र है। यही नहीं भारत कश्मीर में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के चलते अबतक हुए नुकसान का काला चिट्ठा भी खोलकर रख सकता है।
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