मॉस्को में राजनाथ सिंह से बोले चीनी रक्षा मंत्री जनरल वेई-लद्दाख में विवाद के लिए भारत जिम्मेदार
मॉस्को। शुक्रवार को भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने चीनी समकक्ष जनरल वेई फेंगे से मुलाकात की। दोनों के बीच इस मीटिंग पर सबकी नजरें टिकी हुई थीं। पांच मई से पूर्वी लद्दाख में जारी टकराव को चार माह पूरे हो चुके हैं। राजनाथ और वेई की मीटिंग पहली बड़ी मीटिंग थी जो इस टकराव के दौरान हुई है। ऐसे में हर कोई सोच रहा था कि शायद कोई सकारात्मक नतीजा या खबर मिले लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उल्टे चीन ने भारत को ही पूरे विवाद को जिम्मेदार ठहरा दिया। यहां यह बात गौर करने वाली है कि जनरल वेई के अनुरोध पर ही मीटिंग हुई थी।
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इस बार आक्रामक थे राजनाथ के तेवर
जनरल वेई के अनुरोध के बाद दोनों की मीटिंग शंघाई-कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (एससीओ) से इतर हुई। मीटिंग ढाई घंटे से ज्यादा चली और जो तस्वीरें आईं उसके आधार पर विशेषज्ञों ने कयास लगाए हैं कि राजनाथ इस बार काफी आक्रामक भूमिका में थे। चीन के रक्षा मंत्री जनरल वेई ने अपनी मीटिंग के दौरान राजनाथ से कहा, 'लद्दाख में हाल में जो भी घटनाक्रम हुए हैं उसकी पूरी जिम्मेदारी भारत की है।' चीन के रक्षा मंत्रालय की तरफ से यह जानकारी दी गई है। मंत्रालय की तरफ से बताया गया है कि जनरल वेई ने राजनाथ से कहा है कि दोनों देशों और दोनों सेनाओं के बीच रिश्ते सीमा विवाद की वजह से खासे प्रभावित हुए हैं। उनका कहना था कि भारत और चीन के बीच वर्तमान विवाद की वजह और सच एकदम स्पष्ट है और इसके लिए पूरी तरह से भारत ही जिम्मेदार है। दोनों रक्षा मंत्रियों ने ज्वॉइन्ट मीटिंग की जिसमें एक हाई-लेवल डेलीगेशन भी शामिल था। राजनाथ और जनरल वेई एससीओ से अलग, कॉमनवेल्थ ऑफ इंडीपेंडेंट स्टेट्स (सीआईएस) और कलेक्टिव सिक्योरिटी ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन (सीएसटीओ) सम्मेलन में भी शिरकत करेंगे।
चीन बोला-अपनी रक्षा करने में समर्थ
भारत और चीन के बीच जो टकराव जारी है वह 15 जून को हिंसक हो गया था। पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) और भारतीय सेना के बीच हुई हिंसा में भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए थे। वहीं पीएलए के भी जवान इसमें मारे गए थे। लेकिन चीन आज तक इस बात को स्वीकारने से इनकार कर देता है। चीन के रक्षा मंत्रालय ने कहा, 'चीन अपनी सीमा को कभी नहीं खो सकता है और चीन की मिलिट्री राष्ट्रीय संप्रभुता और अखंडता की रक्षा करने के लिए दृढ़ संकल्पित और समर्थ है।' मंत्रालय के मुताबिक दोनों पक्षों कोउस बिंदुओ को लागू करना होगा जिन पर राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच आम सहमति बनी थी।