भारत ने चीन के कब्जे में गए लद्दाख के रेकिन पास पर फिर किया कब्जा, 62 से था चीनी सेना के पास
नई
दिल्ली।
पूर्वी
लद्दाख
में
इस
समय
हालात
तनावपूर्ण
बने
हुए
हैं।
पैंगोंग
झील
के
दक्षिणी
हिस्से
में
29
और
30
अगस्त
को
चुशुल
में
भारत
और
चीन
के
सैनिकों
की
झड़प
हुई
है।
सूत्रों
की
तरफ
से
बताया
गया
है
कि
पीपुल्स
लिब्रेशन
आर्मी
(पीएलए)
के
जवानों
ने
शनिवार
की
रात
पैंगोंग
झील
के
दक्षिणी
किनारे
पर
स्थित
ऊंची
चोटियों
पर
कब्जा
करने
की
कोशिशें
की
थीं।
लेकिन
भारतीय
सेना
ने
इस
प्रयास
को
विफल
कर
दिया।
सेना
की
तरफ
से
सोमवार
को
बयान
जारी
कर
इस
बात
की
जानकारी
दी
गई
है
कि
चीन
ने
एक
बार
फिर
भड़काऊ
गतिविधियां
लाइन
ऑफ
एक्चुअल
कंट्रोल
(एलएसी)
पर
की
हैं।
यह भी पढ़ें-चुशुल में सेना की 7 विकास बटालियन ने तोड़ी चीन की कमर
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4 किलोमीटर अंदर तक दाखिल हुए भारतीय सैनिक
बताया जा रहा है कि भारत ने फिर से उस रेकिन पर कब्जा कर लिया है जो सन् 1962 की जंग में उसके हाथ से चला गया था। भारतीय सुरक्षाबल रेकिन के करीब 4 किलोमीटर अंदर तक दाखिल हो गए हैं। रेकिन, रेजांग ला पास के करीब है और यह 17493 फीट की ऊंचाई पर है। यहां से स्पानग्गुर झील और S301 नजर आता है। चीन की तरफ से भी आधिकारिक बयान जारी किया गया है उसमें भी इस बात की भी पुष्टि की गई है। पीएलए के वेस्टनर्प थियेटर कमांड की तरफ से जो बयान आया है उसमें कहा गया है कि भारत की सेना ने गैर-कानूनी तौर पर एलएसी पार की और रेकिन माउंटेन पास को अपने नियंत्रण में ले लिया। वेस्टर्न थियेटर कमांड के प्रवक्ता कर्नल झांग शुली की तरफ से जारी किया गया है।
15,000 फीट पर टेंशन
कर्नल शुली ने कहा है कि भारत ने बॉर्डर पर तनाव बढ़ा दिया है। चीन का कहना है कि वह रेकिन पास पर भारत के नियंत्रण का विरोध करता है। चीन ने भारत से अपील की है कि वह अपनी सेना को यहां से तुरंत हटाने का आदेश जारी करे। साथ ही कहा है कि भारत अपने फ्रंटलाइन ट्रूप्स को नियंत्रण में रखे। चीन ने इसके साथ ही भारत को नसीहत दी है कि वह उन समझौतों का पालन करे जिन पर शांति और स्थिरता की रजामंदी बनी थी। चुशुल सेक्टर में पैंगोंग त्सो और स्पांग्गुरर गैप के बीच इस समय तनाव की स्थिति है। यहां पर बताया जा रहा है कि पीएलए के जवानों की भारतीय जवानों के साथ हिंसा हुई है। यह जगह 15,000 फीट पर है।
7 विकास ने दिया चीनी सेना को जवाब
सेना की तरफ से हालांकि किसी भी तरह की हिंसा से इनकार कर दिया गया है। इंग्लिश अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि थाकुंग और आसपास स्थित पोस्ट्स पर भारत की सेना ने तुरंत एक्शन लिया। यहां पर पीएलए की कोशिश स्थिति को बदलने की थी। सेना की तरफ से उस स्पेशल फ्रंटियर फोर्स (एसएफएफ) ने चीन को जवाब दिया है जिसमें तिब्बत के निर्वासित नागरिकों को शामिल किया गया है। इसे 7 विकास के नाम से जाना जाता है। अगर सेना 29 और 30 अगस्त को एक्शन में नहीं आती तो फिर चीनी सेना यहां पर पैंगोंग के उत्तरी किनारे, गोगरा पोस्ट और देपसांग की तरह कब्जा कर लेती।
PLA की कोशिश को किया नाकाम
पीएलए की कोशिश पैंगोंग के दक्षिणी हिस्से में भी नया मोर्चा खोलने की थी लेकिन सेना इस बार पहले से ही हाई अलर्ट थी। इसलिए पीएलए की योजना सफल नहीं हो सकी। शनिवार को पीएलए के करीब 200 जवानों की गतिविधियों को नोटिस किया गया था। 100 चीनी जवानों के पास कैंप लगाने के उपकरण मौजूद थे। सेना को जैसे ही इनके बारे में पता लगा, उसने एक्शन लेना शुरू कर दिया। पीएलए के आरोपों पर भारत ने जवाब दिया है। भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि पीएलए जवानों ने सैन्य गतिविधियों का उल्लंघन किया है।