Maiden Pharmaceuticals: भारत ने गांबिया में बच्चों की मौत पर WHO से मांगी जांच डिटेल
हरियाणा की दवा कंपनी मेडेन फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड (Maiden Pharmaceuticals Ltd) के 4 कफ सीरप में डायथिलीन ग्लाइकोल और एथिलीन ग्लाइकोल की मात्रा मिलने के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मेडिकल अलर्ट जारी कर दिया। वहीं राज्य नियामक प्राधिकरण ने दवा कंपनी से सर्दी और खांसी के सीरप के नमूने एकत्र किए हैं, जिन्हें जांच के लिए सेंट्रल ड्रल लैब कोलकाता भेजा जा रहा है। वहीं भारत ने डब्ल्यूएचओ से 23 सेंपल और मामले से जुड़ी जांच डिटेल्स साझा करने की मांग की है।
डब्ल्यूएचओ ने भारत निर्मित चार भारत खांसी और कफ सिरप पर अलर्ट जारी किया जो भारत में मेडेन फार्मास्यूटिकल्स द्वारा बनाई गई हैं। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि गाम्बिया में 66 बच्चों की मौत के लिए एक ही खांसी और कोल्ड सीरप जिम्मेदार हो सकती है। मेडेन फार्मास्यूटिकल्स की दवाओं को लेकर हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने कहा है कि केंद्र सरकार के अधिकारी पूरी जानकारी जुटा रहे हैं। सैंपल को कोलकाता स्थित सेंट्रल ड्रग लैब भेजा जाएगा। रिपोर्ट आने के बाद कुछ भी गलत पाया जाता है तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
दूसरी ओर ऑल इंडिया ऑर्गनाइजेशन ऑफ केमिस्ट्स एंड ड्रगिस्ट्स (AIOCD) ने भी कमर कर कस ली है। संगठन की ओर कहा गया है कि भारत के ड्रग्स कंट्रोलर जनरल को ओर से मेडेन फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड की दवाओं को लेकर हर दिशानिर्देश का पूर्णतया पालन किया जाएगा। हालांकि AIOCD ने कहा कि मेडेन फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड भारत में दवाओं की कोई आपूर्ति नहीं करता। वे केवल अपने उत्पादों का निर्यात करते हैं।
WHO
से
भारत
ने
मांगी
डिटेल्स
गांबिया
(Gambia)
में
हरियाणा
की
मेडेन
फार्मास्यूटिकल्स
लिमिटेड
के
सीरप
के
23
नमूनों
की
जांच
की।
जिसमें
से
चार
में
डायथिलीन
ग्लाइकोल
/
एथिलीन
ग्लाइकोल
पाया
गया।
हालांकि
मौतों
को
लेकर
डब्ल्यूएचओ
ने
अभी
तक
विश्लेषण
पूरा
नहीं
किया
गया
है।
भारत
ने
विश्व
स्वास्थ्य
संगठन
ने
चांज
का
डिटेल्स
मांगी
है।
जिस
पर
संगठन
ने
ये
कहा
है
कि
जल्द
ही
वो
भारत
के
साथ
सभी
डिटेल्स
साझा
करेगा।
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क्या
कहते
हैं
एक्सपर्ट
न्यूज
एजेंसी
एएनआई
की
एक
रिपोर्ट
के
अनुसार,
मधुकर
रेनबो
चिल्ड्रेन
हॉस्पिटल
में
पीडियाट्रिक
इंटेंसिव
केयर
और
सीनियर
कंसल्टेंट,
पीडियाट्रिक
पल्मोनोलॉजी
एंड
क्रिटिकल
केयर
के
निदेशक
डॉ
प्रवीण
खिलनानी
ये
मानते
हैं
कि
डायथिलीन
ग्लाइकॉल
अवैध
नहीं
है
लेकिन
एक
निश्चित
मात्रा
से
अधिक
सेवन
करने
पर
इसका
किडनी
और
मस्तिष्क
पर
सीधा
प्रभाव
पड़ता
है।
यह
दवाओं
के
शेल्फ
जीवन
को
बढ़ाता
है
और
अपघटन
को
रोकता
है।
वहीं
दिल्ली
के
सर
गंगाराम
अस्पताल
के
वरिष्ठ
सलाहकार
डॉ
धीरेन
गुप्ता
के
अनुसार,
"डायथिलीन
ग्लाइकोल
का
उपयोग
दवाओं
में
किया
जाता
है।
लेकिन
इस
मात्रा
निश्चित
होती
है।
उन्होंने
कहा
कि
अब
फार्मा
कंपनियों
द्वारा
उत्पादित
उत्पादों
की
गुणवत्ता
पर
ध्यान
केंद्रित
करने
का
समय
आ
गया
है।"