आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत बोले पाक एक इस्लामिक देश, आतंक के साथ वार्ता संभव नहीं
पुणे। इंडियन आर्मी चीफ शुक्रवार को पुणे में थे और यहां पर उन्होंने पाकिस्तान के साथ शांति प्रयासों पर एक अहम बयान दिया है। जनरल रावत ने कहा है कि पाकिस्तान एक इस्लामिक देश है और बात करने के लिए पहले उसे एक धर्मनिरपेक्ष देश बनना होगा। जनरल रावत नेशनल डिफेंस एकेडमी (एनडीए) की पासिंग आउट परेड में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। यहीं पर उन्होंने यह बयान दिया। जनरल रावत इससे पहले गिलगित-बाल्टीस्तान को लेकर भी बड़ा बयान दे चुके हैं।
भारत की तरह सेक्युलर देश बने पाकिस्तान
आर्मी चीफ जनरल रावत पाकिस्तान के पीएम इमरान खान के उस बयान पर अपनी प्रतिक्रिया दी जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर भारत एक कदम आगे बढ़ाता है तो पाकिस्तान दो कदम आगे बढ़ेगा। जनरल रावत ने कहा, 'पाकिस्तान एक इस्लामिक देश है। अगर उन्हें भारत के साथ रहना है तो खुद को एक धर्मनिरपेक्ष देश के तौर पर विकसित होना होगा। हम एक धर्मनिरपेक्ष देश हैं। अगर वह भी हमारी तरह सेक्युलर बनते हैं तो फिर उनके लिए एक मौका है।' सेना प्रमुख ने आगे कहा, 'पाक कह रहा है कि आप एक कदम आगे बढ़ाइए, हम दो कदम आगे बढ़ेंगे। उनकी बातों में ही विरोधाभास है।' जनरल रावत ने कहा कि पाक की ओर से पहला कदम सकारात्मक तरीके से उठना चाहिए।
जनरल रावत ने लगाई पाक को फटकार
जनरल रावत ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की बात दोहराते हुए कहा, 'हमारे देश की नीति एकदम स्पष्ट है, आतंक और वार्ता एक साथ नहीं हो सकती है।' इससे पहले गुरुवार को सेना प्रमुख जनरल रावत ने पीओके और गिलगित-बाल्टीस्तान की डेमोग्राफी बदलने पर पाक को फटकार लगाई थी। जनरल रावत ने कहा था कि पाकिस्तान पीओके के लोगाों को अपने में मिलाना चाहता है। जनरल रावत का यह बयान उस समय आया जब शुक्रवार को पाक की कैबिनेट की ओर से गिलगित-बाल्टीस्तान की स्थिति को बदलने का एक प्रस्ताव पेश किया जाने वाला है।
इमरान ने दी एक अहम प्रस्ताव को मंजूरी
इमरान खान ने एक प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है और इसके बाद इस गिलगित-बाल्टीस्तान की स्थिति एक अंतरिम राज्य के तौर पर बदल जाएगी। गिलगित-बाल्टीस्तान साल 1947 तक भारत का हिस्सा था लेकिन बंटवारे के बाद इस पर पाक ने अपना कब्जा कर लिया था। पाकिस्तान ने इसके बाद इसे दो हिस्सों में बांट दिया-पीओके और गिलगित-बाल्टीस्तान। भारत हालांकि गिलगित-बाल्टीस्तान को पीओके का ही हिस्सा मानता है। इस क्षेत्र में कई बार मानवाधिकारों के हनन को लेकर विरोध प्रदर्शन होते आए हैं।