विश्वकप में भारत-पाक मैच विवाद : तेंदुलकर ने विद द स्पिन खेला, तो शोएब अख्तर ने दिखायी खेल भावना
नई दिल्ली। देश के सामने पुलवामा हमले के बाद सवाल ये है कि भारतीय क्रिकेट टीम को विश्वकप में पाकिस्तान के साथ खेलना चाहिए या नहीं। यह सवाल ऐसी गेंद है जो किसी के लिए शॉट पिच है, तो किसी के लिए गुड लेंथ, किसी के लिए यह गेंद बल्ले का किनारा लेकर निकल जाने वाली आऊट स्विंग है तो किसी के लिए विकेट उड़ा देने वाली इन स्विंग। इसी तरह किसी के लिए यह यॉर्कर है, तो किसी के लिए फुलटॉस गेंद। किसी के लिए गुगली है तो किसी के लिए ऑफ या लेग स्पिन।
दर्शकों की मांग पर छक्के लगाने की कोशिश करने वाले खिलाड़ी अक्सर आउट हो जाते हैं। फिर वही दर्शक उनकी हील-हुज्जत भी करने लग जाते हैं। अच्छे खिलाड़ी वही होते हैं जो दबाव के बीच भी स्वाभाविक खेल दिखाते हैं। अच्छे खिलाड़ी का स्वाभाविक खेल हमेशा परिस्थिति को भांपते हुए ऐसा शॉट खेलना होता है जो विरोधी खिलाड़ियों को चौंकाने या छकाने वाला हो। गेंदबाजी हो या बल्लेबाजी दोनों पर यह बात लागू होती है।
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इसीलिए तो मास्टर ब्लास्टर कहे जाते हैं सचिन तेंदुलकर
सचिन तेंदुलकर ने विश्वकप में पाकिस्तान के साथ मैच खेलने के सवाल को तेज गति वाली ऑफ स्पिन मानते हुए विद द स्पिन हवा में उड़ा दिया है..और गेंद हवा में नो मैन लैंड्स एरिया में उड़ती हुई जा रही है। या तो छह रन के लिए या फिर चौका होना तय है। बहुत अच्छी तरह से परखकर, क्षेत्ररक्षण का जायजा लेते हुए सम्भल कर खेला गया कलात्मक स्ट्रोक। इसीलिए तो मास्टर ब्लास्टर कहे जाते हैं सचिन तेंदुलकर।
खिलाड़ी का टैलेंट या उसकी देशभक्ति परखने के लिए यह गेंद डाली गयी थी- पाकिस्तान के साथ भारत को विश्वकप में खेलना चाहिए या नहीं। सचिन ने जायजा लिया कि इस गेंद को किस तरह से खेलने में टीम का फायदा है। उन्होंने स्पिन के साथ ही स्पिन जड़ दिया। पाकिस्तान को नुकसान पहुंचाना है, तो उसके साथ नहीं खेलकर उसे दो अंकों का बोनस क्यों दिया जाए। यह सोच उन्होंने उसी सोच के साथ जोड़ दी जो पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने के इरादे से भारत के हित में दिखायी गयी थी।
गावस्कर बोले- पाकिस्तान का बहिष्कार करने से अच्छा है उसे हराना
सचिन ने अगर गेंद की स्पिन को नहीं समझा होता तो गेंद हवा में जरूर जाती, मगर आऊट होने का ख़तरा था। कारण ये है कि भारत तो पाकिस्तान का बहिष्कार कर लेता, मगर उसे अपने अंक भी गंवाने पड़ते और पाकिस्तान को दो अंक भी देने पड़ते। जुर्माना देना होता, वह अलग। इस एक्शन में टीम के रूप में भारत का भला कतई नहीं हो सकता था। इसलिए भारत की भलाई दिखलाते हुए सचिन ने गेंद को ऐसी राह पकड़ायी है कि चौका या छक्का तय है क्योंकि उन्होंने अपने शॉट को कैच करने की सम्भावना भी नहीं छोड़ी है। गेंद नो मैन्स एरिया में खेली गयी है।
खेला तो सुनील गावस्कर ने भी। कहा कि पाकिस्तान का बहिष्कार करने से अच्छा है उसे हराना। बिल्कुल सुरक्षित शॉट सुनील गावस्कर ने खेला। गेंद आयी और उसे सुरक्षात्मक तरीके से वहीं ज़मीन पर दबाकर रखने का प्रयास गावस्कर ने दिखाया। नजदीकी फिल्डरों की चुस्ती ही उन्हें कैच आऊट कर सकती थी। अब सुनील गावस्कर के हाथ में तो है नहीं कि वह पाकिस्तान को हरा दें। मगर, बहिष्कार करना अपने हाथ में है।
अख्तर ने कहा- भारत को आईसीसी वर्ल्ड कप के बहिष्कार का पूरा हक है
जब जीत दिखती नहीं है तो अचानक भावना हार-जीत से ऊपर उठ जाती है। देशभक्ति जाग जाती है। ऐसी स्थिति में कथित देशभक्तों के सामने गावस्कर जैसे खिलाड़ी के आऊट होने का ख़तरा दिखने लगता है। फिर भी गावस्कर ने सुरक्षात्मक शॉट खेला। दिलेरी तो पाकिस्तान के रावलपिंडी एक्सप्रेस शोएब अख्तर ने दिखलायी। गेंद में वही पेस और पूरा रन अप भी। ज़बरदस्त ड्राइव पर उतनी ही तेजी से लौटती गेंद पर हाथ अड़ा दिया। शोएब ने कहा कि पुलवामा हमले के बाद भारत को आईसीसी वर्ल्ड कप के बहिष्कार का पूरा हक है। जाहिर है शोएब को पुलवामा पर बोलने से चोट भी लगी है और उन्होंने इस मसले को कैच भी किया। मगर, शोएब अख्तर ने खेल भावना दिखलाते हुए अपने ही दर्शकों के बीच ये कहने का साहस दिखलाया कि गेंद को हाथ में रखते हुए जब वे कलाबाजी खा रहे थे तो उनके हाथ से गेंद छूट गयी थी जिसे अम्पायर देख नहीं पाए। भारत आऊट आऊट नहीं, नॉट आऊट है।
भारत को पाकिस्तान के साथ मैच खेलना चाहिए या नहीं, इस पर बोलने वाले सौरभ गांगुली, हरभजन और दूसरे खिलाड़ी भी हैं। वहीं पाकिस्तान में भी शाहिद अफरीदी, जावेद मियांदादा जैसे खिलाड़ी भी प्रतिक्रिया दे रह हैं यानी अपने-अपने तरीके से इस गेंद को खेल रहे हैं। मगर, ये वो शॉट नहीं हैं जिस पर चर्चा हो। खेल तो सचिन तेंदुलकर या शोएब अख्तर ने ही दिखाया है। ये दोनों इसीलिए महान खिलाड़ी हैं।
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