आयकर विभाग ने तमिलनाडु में छापेमारी में 1,000 करोड़ की अघोषित कैश का पता लगाया
नई दिल्ली। आयकर विभाग ने शनिवार को चेन्नई स्थित एक समूह द्वारा संचालित आईटी इंफ्रा सेक्टर में छापेमारी की और वहां से 1000 करोड़ रुपए की अघोषित नकदी का पता लगाया है। छापेमारी चेन्नई और मदुरै के पांच स्थानों पर अंजाम दिया गया था। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड द्वारा जारी एक बयान के अनुसार गत 6 नवंबर की गई छापेमारी में सिंगापुर में पंजीकृत फर्म में निवेश से संबंधित साक्ष्यों का भी खुलासा हुआ।
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रिपोर्ट के मुताबकि चेन्नई बेस्ड आईटी इन्फ्रा की शेयरहोल्डिंग दो कंपनियों द्वारा की जाती है, जिसमें से समूह की एक कंपनी में छापेमारी की गई, जबकि दूसरी कंपनी एक प्रमुख इंफ्रास्ट्रक्चर डवलेपमेंट एंड फाइनेंसिंग ग्रुप की सहायक कंपनी है। जारी बयान के अनुसार यह पाया गया है कि छापेमारी समूह से संबंधित कंपनी ने मामूली रकम के निवेश से ही कंपनी का 72 फीसदी का हिस्सेदार है, जबकि 28 फीसदी हिस्सेदारी रखने वाली दूसरी कंपनी ने उसमें लगभग पूरा पैसा लगाया है।
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सीबीडीटी ने बताया कि इससे लगभग 7 करोड़ सिंगापुर डॉलर का लाभ हुआ है, जो लगभग 200 करोड़ है वह छापेमारी समूह से संबंधित फर्म के हाथों में गया है, जिसे कंपनी द्वारा न ही उसके आईटी रिटर्न और न ही एफए अनुसूची में दर्शाया गया है। इस तरह 200 करोड़ के बराबर शेयर सदस्यता के रूप में प्राप्त विदेशी आय का छुपाया गया है, जो भारत में टैक्सेबल है। समूह के खिलाफ विदेशी संपत्ति/लाभकारी हित का खुलासा आयकर रिटर्न की एफए अनुसूची में नहीं करने के लिएकाला धन अधिनियम, 2015 के लिए कार्यवाही शुरू की जाएगी।
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कहा गया है कि निवेश का वर्तमान मूल्य 354 करोड़ से अधिक है। छापेमारी के दौरान अधिकारियों ने बताया कि यह भी पाया गया है कि समूह ने हाल ही में पांच शेल कंपनियों का अधिग्रहण किया था, जिनका इस्तेमाल मुख्य समूह की कंपनी से 337 करोड़ की उगाही लिए किया गया था। पाया गया कि उगाही गई धन को विदेश में स्थानांतरित किया गया था और मुख्य असेसी के बेटे के नाम पर शेयरों की खरीद के लिए उसका उपयोग किया गया था। निदेशकों में से एक ने स्वीकार किया है कि उन्होंने इन कंपनियों के माध्यम से धन को डायवर्ट किया है।
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