बारिश के चलते मां-बेटे नहीं जा पाए भीख मांगने, भूख से महिला की हुई मौत
पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले के एक गांव में एक वृद्ध महिला की कई दिनों तक खाना न मिलने से मौत हो गई। 68 वर्षीय बिमला पांडे की पिछले महीने 9 अगस्त को भुखमरी से मौत हो गई।
नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले के एक गांव में एक वृद्ध महिला की कई दिनों तक खाना न मिलने से मौत हो गई। 68 वर्षीय बिमला पांडे की पिछले महीने 9 अगस्त को भुखमरी से मौत हो गई। स्थानीय प्रशासन ने उनकी मौत का कारण डिसेंट्री बताया, लेकिन भोजन और काम के अधिकार कैंपेन की रिपोर्ट में कारण भुखमरी बताया गया है। बिमला कच्चे घर में अपने 43 वर्षीय बेटे के साथ रह रही थीं। बारिश के चलते दोनों कई दिनों तक भीख मांगने नहीं जा सके और भूख के कारण बिमला की मौत हो गई।
इस कारण नहीं ले पाईं सरकारी योजनाओं का लाभ
पश्चिम बंगाल में एक महिला की भूख के कारण हुई मौत चिंताजनक है। इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक भोजन और काम के अधिकार कैंपेन की रिपोर्ट में सामने आया है कि पुरुलिया जिले के एक गांव में 68 वर्षीय बिमला पांडे की मौत भूख से हुई है। इस कैंपेन से जुड़ीं अनुराधा तलवार ने बताया कि फूड सिक्योरिटी एक्ट के तहत समाज के कई तबकों को लाभ नहीं मिल रहा है। 'बिमला ब्राह्मण थी, ऊंची जाति की थीं, इसलिए कई सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं उठा पाती थीं।। वो पश्चिम बंगाल विधवा पेंशन योजना का लाभ नहीं ले पाईं, जो आदिवासी महिलाओं के लिए है। वृद्धा पेंशन योजना एससी/एसटी को तरजीह देती है।'
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स्थानीय प्रशासन ने दूसरा बताया मौत का कारण
जहां तलवर ने बिमला की मौत का कारण भूख बताया गया है, वहीं पंचायत सचिव मधुसुदन दत्ता इससे इत्तिफाक नहीं रखते। उनका कहना है कि बिमला की मौत डिसेंट्री से हुई है। दत्ता ने कहा कि बिमला के पास राशन कार्ड था और उन्हें रोजाना चावल मिलता था। हालांकि दत्ता के दावे को कमेटी ने झूठा साबित कर दिया। इस मामले पर गठित कमेटी जब बिमला के गांव पहुंची और उनके परिवार से मिली तो पता चला कि बिमला और उनका बेटा अबीर रोज राज को भूखे सोते हैं।
बारिश के चलते कई दिनों तक भीख मांगने नहीं जा पाए
'अबीर के पास कोई निश्चित नौकरी या आय नहीं है। वो कभी भीख मांगता है तो कभी स्थानीय चाय की दुकान में मजदूरी करता है, जो हर दिन उनके लिए भोजन कमाने के लिए पर्याप्त नहीं होता। बिमला की मौत से कुछ दिन पहले परिवार को कई दिनों तक भूखा रहना पड़ा था क्योंकि भारी बारिश के चलते वो भीख मांगने नहीं जा पाए थे। इस परिवार के पास राशन कार्ड भी नहीं है। अबीर के पास नौकरी कार्ड नहीं है और उनकी मां को कोई विधवा या वृद्धावस्था पेंशन नहीं मिली है। परिवार पूरी तरह से किसी भी सरकारी लाभ से वंचित था।'
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वृद्धा की मौत के बाद बेटे की बीडीओ ने की मदद
कमेटी की एक सदस्य सौमी जाना ने बताया कि परिवार के पास कोई बर्तन भी नहीं थे और न ही सोने को कोई चटाई थी। 'अबीर ने बताया कि वो पंचायत के पास काम के लिए जाता था, लेकिन वो उसकी कोई मदद नहीं करते थे। यहां तक की पंचायत को भी नहीं मालूम की जॉब कार्ड क्या होता है और नरेगा के तहत कैसे काम मिलता है।' बिमला की मृत्यु के बाद बीडिओ की टीम ने उनके घर जाकर उनके बेटे अबीर को एक कढ़ाई, एक हांडी, जो प्लेट और एक टारपॉलिन शीट दी।
सुप्रीम कोर्ट में चल रहे केस में जोड़ा जाएगा मामला
अबीर को 7 किलो चावल, 2 किलो आलू, दाल और मां के अंतिम संस्कार के लिए 2,000 रुपये भी दिए गए। रिपोर्ट में कहा गया कि, 'हम इस मौत की वजह भुखमरी को मानते हैं, जहां पीड़ित खाद्य सुरक्षा और अन्य सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में पड़ी दरारों का शिकार हो गया।' अनुराधा तलवार ने बताया कि ये मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहे एक केस में जोड़ा जाएगा। इस केस में सुप्रीम कोर्ट देशभर में भूख से हुई 56 मौतों पर सुनवाई कर रहा है। (सभी तस्वीरें प्रतिकात्मक)
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