भारत में 82% पुरुषों और 92% महिलाओं की सैलरी 10,000 से भी कम: Report
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नई दिल्ली। देश में बेरोजगारी ने पिछले 20 साल का सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। देश के युवाओं को नौकरी देना पॉलिसी मेकर के लिए सबसे बड़ी चिंता बनती जा रही है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकनॉमी (CMIE) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश में तीन करोड़ से ज्यादा युवा नौकरी की तलाश में है। ऑल इंडिया मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन स्मॉल एंड मीडियम (एआईएमए), फिक्की और सीआईआई सबने माना है कि नौकरियों में बहुत कमी आई है और लगभग मंदी का दौर है। लेकिन इस बीच 'स्टेट वर्किंग इंडिया 2018' ने जो रिपोर्ट पेश की है, उससे साफ दिख रहा है कि देश में बरोजगारी की स्थिति कितनी बुरी होता जी रही है।
रोजगार में सिर्फ 1 फीसदी बढ़ोतरी
रिपोर्ट के मुताबिक, देश की जीडीपी वृद्धि दर बढ़ने के बावजूद विकास और रोजगार उत्पादन के बीच का रिश्ता समय के साथ कमजोर हो गया है। 1970 और 1980 के दशक में जब देश की जीडीपी वृद्धि दर लगभग 3 से 4 फीसदी थी, तब रोजगार वृद्धि सालाना 2 प्रतिशत थी। 1990 और विशेष रूप से 2000 के दशक में जीडीपी में 7 फीसदी तक वृद्धि हुई है। इसके बावजूद भी रोजगार में सिर्फ 1 फीसदी या उससे भी कम वृद्धि हो पाई है। फिलहाल, अगर जीडीपी और रोजगार वृद्धि के बीच के अनुपात को देखा जाए तो यह जीरो दशमलव एक से भी कम है।
82% पुरुष और 92% महिलाओं की सैलरी 10,000 रुपये
रिपोर्ट के आंकड़ें जो सबसे ज्यादा हैरान करते हैं, वह यह है कि 82 फीसदी पुरुष और 92 फीसदी महिलाओं की सैलरी प्रतिमाह 10,000 रुपये या उससे भी कम है। हालांकि, यह बात अलग है कि सेवंथ सेंट्रल पे कमिशन के मुताबिक, प्रतिमाह सैलरी कम से कम 18,000 रुपये है। इससे साबित होता है कि भारतीयों के एक बहुत बड़े हिस्से को मजदूरी नहीं दी जा रही है और सरकारी नौकरियों के लिए लोगों में कितनी बड़ी भूख है।
उत्तर भारत में सबसे ज्यादा बेरोजगारी
यह रिपोर्ट एक और सच्चाई को उजागर करती है, वह शिक्षित युवाओं के बीच खुली बेरोजगारी की बढ़ती दर है। रिपोर्ट के मुताबिक, देश में बेरोजगारी से ज्यादा समस्या कम मजदूरी मिलना है। अर्थव्यवस्था की एक नई विशेषता खुली बेरोजगारी की उच्च दर है, जो कुल मिलाकर 5 प्रतिशत से अधिक है। रिपोर्ट के मुताबिक, वैसे तो पूरे देश में बेरोजगारी की भयानक स्थिति है, लेकिन उत्तर भारत में सबसे ज्यादा शिक्षित युवा बेरोजगार है।