क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

आईएमएफ़ ने घटाया भारत की ग्रोथ का अनुमान, कितने ख़राब हैं हालात?

उम्मीद से कम उत्पादन और धीमी मांग के कारण अंतराराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भारत की विकास दर का अनुमान घटाया है. क्या है भारतीय अर्थव्यवस्था का मौजूदा हाल?

By BBC News हिन्दी
Google Oneindia News
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष
Reuters
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ़ ने भारत की आर्थिक विकास दर के अनुमान को साल 2022-23 के लिए 7.4 फीसदी से घटाकर 6.8 फीसदी कर दिया है. आईएमएफ़ ने दूसरी बार अपने अनुमान में कटौती की है.

आइएमएफ़ के मुताबिक भारत समेत दुनियाभर की अगले साल विकास दर कम रहेगी. रूस-यूक्रेन जंग, दुनियाभर के बिगड़ते आर्थिक हालात, पिछले एक दशक में महंगाई दर का सबसे अधिक होना और महामारी इन हालात के लिए ज़िम्मेदार हैं.

भारत की सख़्त मॉनिटरी पॉलिसी और वैश्विक कारणों से भारत की आर्थिक विकास दर कम रह सकती है. हालांकि आरबीआई के अनुमान की तुलना में आईएमएफ की अनुमान दर ज़्यादा है. रिज़र्व बैंक ने मौजूदा वित्त वर्ष में जीडीपी के 7.2 फीसदी की दर से बढ़ने का अनुमान जताया है. और 2023-24 में 6.1 फीसदी.

आईएमएफ़ ने कहा कि अमेरिका, यूरोपीय संघ और चीन की अर्थव्यवस्थाओं की हालात ख़राब होती जा रही है और "सबसे बुरा दौर आना अभी बाकी है." हालांकि भारत के प्रदर्शन को उन्होंने अच्छा बताया है.

आईएमएफ़ का ताज़ा अनुमान

जेएनयू के प्रोफ़ेसर अरुण कुमार का मानना है कि आईएमएफ़ के आंकड़े सटीक नहीं होते.

वो कहते हैं, "हालात के ख़राब होने की जानकारी आइएमएफ़ धीरे-धीरे बताता है. इसकी वजह ये है कि अगर वो कह देंगे की मंदी आ गई है तो दुनिया के फ़ाइनैनशियल मार्केट पर इसका बुरा असर पड़ेगा."

वो कहते हैं, "अमेरिका में परेशानी बढ़ती जा रही है, यूरोज़ोन में भी कई लोगों का मानना है कि वो मंदी की चपेत में आ गए हैं. जैसा कि पॉल क्रूगमेन ने 2008 में कहा था कि आईएमएफ़ कर्व के पीछे चल रहा है, यानी गिरावट ज़्यादा है और वो कम बता रहे हैं."


प्रोफ़ेसर अरुण कुमार के सरकार को सुझाव

  • एक्साइज़ ड्यूटी, वैट कम करें
  • माइक्रो यूनिट को सपोर्ट करें
  • गांवों में रोज़गार स्कीम को बेहतर बनाएं
  • कई लोगों को 100 दिन का काम नहीं मिल रहा, उन्हें पर्याप्त काम मिले
  • इन लोगों को काम के लिए अधिक पैसे मिलने चाहिए
  • शहरी क्षेत्रों में भी रोज़गार की स्कीम लाई जाए

ब्रिटेन से बड़ी हुई भारत की अर्थव्यवस्था, लेकिन क्या ये ख़ुश होने की बात है?

भारत की क्या स्थिति है

हालांकि आईएमएफ़ ने ये भी कहा है कि भारत का प्रदर्शन ठीक है. आईएमएफ़ के चीफ़ इकॉनॉमिस्ट पीयर-ऑलिवर गोरिन्चास ने मंगलवार को कहा, "भारत ने 2022 में अच्छा प्रदर्शन किया है और 2023 में अच्छी रफ़्तार से विकास करता रहेगा."

प्रोफ़ेसर कुमार इससे इत्तेफ़ाक नहीं रखते.

उनका मानना है कि भारत में जो आंकड़े जुटाए गए हैं, उनमें खामियां हैं, और क्योंकि आईएमएफ़ खुद से डेटा इकट्ठा नहीं करता और सरकारों के दिए गए आंकड़ों पर निर्भर है, तो उनकी राय भी उन्हीं डेटा पर निर्भर है.

प्रोफ़ेसर कुमार कहते हैं, "भारत में आंकड़े तिमाही के आते हैं, इसमें कृषि के सिवा दूसरे असंगठित क्षेत्र के आंकड़े शामिल नहीं होते, वहां गिरावट हो रही है. उन्हें जोड़ दे तो हमारी रेट ऑफ़ ग्रोथ ज़ीरो या निगेटिव हो गई है."

कुल मिलकर उनका मानना है हालात जितना आईएमएफ़ बता रहा है उससे ज़्यादा ख़राब है.

वरिष्ठ बिज़नेस पत्रकार पूजा मेहरा का भी मानना है कि आईएमएफ़ के अनुमान से बहुत खुश नहीं होना चाहिए. वो कहती हैं, "भारत में मंदी नहीं आएगी, इससे हमें बहुत खुश नहीं होना चाहिए. हमारा उद्देश्य मंदी से बचना नहीं है, हमारा मकसद है कि तेज़ी से विकास हो ताकि गरीबों को गरीबी रेखा से ऊपर लाया जा सके."

बढ़ती महंगाई, क्या हैं वजह और क्या होगा असर

आईएमएफ़
Reuters
आईएमएफ़

क्या महंगाई बढ़ेगी?

आईएमएफ़ ने रिज़र्व बैंक के उठाए कदमों को महंगाई पर कंट्रोल करने के लिए सही बताया है. लेकिन क्या इससे बहुत फ़र्क पड़ेगा?

प्रोफ़ेसर कुमार कहते हैं, "आज की जो स्थिति है उसे देखते हुए दुनिया के कई केंद्रीय बैंक ब्याज दरें बढ़ा रहे हैं. इस उम्मीद में बढ़ा रहे हैं कि महंगाई कम हो जाएगी. लेकिन महंगाई यूक्रेन युद्ध और चीन की कोविड पॉलिसी से जो सप्लाई में कमी आई है, उसके कारण है, तो सप्लाई की कमी तो खत्म नही होगी."

उनका मानना है कि ब्याज दरों को बढ़ाने से बहुत ज़्यादा फ़ायदा नहीं होगा. प्रोफ़ेसर कुमार का मानना है कि भारत में छोटे उद्योग बंद हो गए हैं. इसलिए यहां परेशानी और भी बढ़ी है. इसके कारण बेरोज़गारी बढ़ी है और लोगों की ख़रीदने की क्षमता कम हो गई है.

ब्रिटेन से बड़ी हुई भारत की अर्थव्यवस्था, लेकिन क्या ये ख़ुश होने की बात है?

दुनिया में तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक प्लस के तेल उत्पादन कम करने के फ़ैसले से आने वाले दिनों में महंगाई और बढ़ सकती है.

प्रोफ़ेसर मेहरा कहती हैं, "अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में तेल की कीमतें बढ़ेंगी, ये भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण बात है, क्योंकि भारत बहुत हद तक बाहर से आने वाले तेल पर निर्भर है. अभी धीरे-धीरे अर्थव्यवस्था रिकवरी की ओर जा रही थी, लेकिन अब तेज़ी से रिकवरी की ओर जा रही है तो इसका असर दिखने लगेगा. रुपये की कीमतें गिर रही है, और ज़्यादा गिरे, तो फ़र्क पड़ेगा."

लेकिन उनका कहना है कि अभी हम उस हालात तक नहीं पहुंचे कि हमें बहुत घबराना चाहिए.

इसके अलावा जब गेहूं की फसल का समय था उस समय गर्मी तेज़ हो गई, और अब चावल की अच्छी फसल की उम्मीद थी तो पिछले एक महीने से बारिश ने हालात ख़राब कर दिए हैं.

प्रोफ़ेसर कुमार की माने तो इसका सीधा असर पब्लिक डिस्ट्रीव्यूशन सिस्टम पर पड़ेगा क्योंकि गेंहू और चावल के भंडार कम होते जा रहे है.

वो कहते हैं, "अभी राज्यों में चुनाव हैं, चुनाव के बाद सरकार मुफ्त का अनाज देना बंद कर सकती है."

गिरता रुपया, बढ़ती महंगाई - क्या है भारतीय अर्थव्यवस्था का हाल?

सरकार को क्या कदम उठाने होंगे?

प्रोफ़ेसर कुमार कहते हैं कि ब्याज दरों को बढ़ाने से बहुत फ़ायदा नहीं होगा, बल्कि अर्थव्यवस्था कमज़ोर हो जाएगी, निवेश कम हो जाएगा और मंदी और तेज़ हो जाएगी.

उनका मानना है कि सबसे पहले असंगठित क्षेत्र को अच्छे से मापने की ज़रूरत है और सिर्फ़ मॉनिटरी पॉलिसी से बात नहीं बनेगी, फ़िस्कल पॉलिसी पर ध्यान देना होगा.

वो कहते हैं, "गरीब के हाथ में पैसा आएगा तो हालात सुधरेंगे."

प्रोफ़ेसर मेहरा के मुताबिक महंगाई पर कंट्रोल करने के लिए आरबीआई ने बहुत देर से कदम उठाए.

"वो इस बात के पीछे छिपने की कोशिश करते हैं हालात दूसरे देशों से बेहतर हैं और ये हालात यूक्रेन युद्ध के कारण पैदा हुए हैं. लेकिन 2019 से ही ऐसे हालात बन रहे थे."

वो भी मानती हैं कि लोगों को सब्सिडी और टैक्स में रिलीफ़ देना सरकार के हाथ में है, लेकिन सरकार की पेट्रोल पर लगने वाले कर और दूसरे करों पर निर्भरता इतनी ज़्यादा है कि वो शायद इनमें कटौती न कर पाएं.

वो कहती है, "जिस तरह से अभी तक सरकार इस मामले में चल रही है, मुझे नहीं लगता कि हमें बहुत ज्यादा बदलाव की उम्मीद करनी चाहिए."

https://twitter.com/FinMinIndia/status/1580211728113340417

सरकार का क्या है प्लान

आइएमएफ़ की रिपोर्ट के आने के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि विकास नरेंद्र मोदी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक होगा और भारतीय अर्थव्यवस्था की कोविड -19 महामारी से बाहर आने की गति को बनाए रखने पर ध्यान दिया जाएगा.

उन्होंने वॉशिंगटन में एक समारोह में कहा, "मुझे पता है कि दुनिया भर में विकास के अनुमानों को कम किया गया है. हमें उम्मीद है कि इस वित्तीय वर्ष में भारत की विकास दर लगभग सात प्रतिशत होगी. इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि मुझे आगे एक दशक में अच्छे प्रदर्शन का भरोसा है."

ये भी पढ़े:

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
IMF cuts India's growth forecast
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X