एक हफ्ते पहले ही पूरे देश में छा जाएगा मानसून, IMD ने दी तारीखों को लेकर बड़ी जानकारी
मानसून देश में कब दस्तक देगा और कब आपको झमाझम बारिश देखने को मिलेगी, जानिए मौसम विभाग की भविष्यवाणी...
नई दिल्ली। भारतीय मौसम विभाग ने देश में मानसून की स्थिति को लेकर भविष्यवाणी कर दी है और इसके साथ ही पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत में बारिश की गतिविधियां भी शुरू हो गई हैं। मौसम विभाग के मुताबिक इस साल देश में मानसून सामान्य रहेगा। इसके अलावा मौसम विभाग ने बारिश के पैटर्न और उसमें बदलाव की प्रक्रिया के कारण मानसून के आने और जाने में होती रही देरी को ध्यान में रखते हुए अलग-अलग क्षेत्रों में 'मानसून की शुरुआत और वापसी' की तारीखों को संशोधित किया है। हालांकि मौसम विभाग ने यह स्पष्ट किया है कि भारत में मानसून के पहुंचने के मुख्य समय यानी केरल में इसके दस्तक देने के समय में कोई बदलाव नहीं होगा।
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मानसून की शुरुआत और वापसी की तारीखों में बदलाव
मौसम विभाग के वैज्ञानिकों ने बताया कि राष्ट्रीय मौसम पूर्वानुमान के नेटवर्क में 3,500 रेन गेज स्टेशन हैं, जिनके जरिए 1961 से 2019 के बीच के बारिश के आंकड़ों का अध्ययन करते हुए मानसून की शुरुआत और वापसी की तारीखों को संशोधित किया गया है। उदाहरण के तौर पर, जालंधर जैसे शहरों में मानसून की शुरुआत की तारीख 13 जुलाई थी, लेकिन आंकड़ों के विश्लेषण के आधार पर अब यहां मानसून पहुंचने की तारीख बदलकर 28 जून की गई है। इससे इस बात के भी संकेत मिलते हैं कि इस साल देश के एक बड़े हिस्से में मानसून समय से पहले पहुंच जाएगा।
कितने दिन पहले दस्तक देगा मानसून
मौसम विभाग ने बताया, 'हमारे विश्लेषण के मुताबिक, मध्य और पूर्वी भारत के कुछ इलाकों में, मानसून के पहुंचने में 3 से 7 दिन की देरी होगी, लेकिन ठीक उसी समय मानसून राजस्थान के क्षेत्रों में पहले की अपेक्षा जल्दी सक्रिय हो जाएगा। इससे भी जरूरी बात यह है कि इस साल मानसून पूरे देश में एक हफ्ते पहले सक्रिय हो रहा है। मानसूनी बारिश सामान्य रूप से 14 जुलाई तक देश के पूरे हिस्से को कवर कर लेती है। लेकिन, इस बार यह सात दिन पहले ही पूरे देश को कवर कर रही है।
भोपाल में कब बरसेंगे बादल
इसी तरह भोपाल में मानसूनी बारिश की शुरुआत के समय को बदलकर 15 जून से 22 जून किया गया है। यहां यह बताना जरूरी है कि मध्य भारत में मानसून की शुरुआत में देखी जा रही देरी, बारिश के उस ठहराव के भी संकेत देती है, जो आमतौर पर मॉनसूनी बारिश में उस वक्त देखी जाती है, जब यह महाराष्ट्र के रत्नागिरी तक यानी पश्चिमी किनारे को कवर करती है और फिर पूर्वी महाराष्ट्र तक पहुंचती है। मौसम विभाग का कहना है कि मानसून की शुरुआत और वापसी की तारीखों में संशोधन से कृषि क्षेत्र, पावर सेक्टर, वॉटर रिसॉर्स मैनजमेंट और बारिश से पहले की तैयारियों में मदद मिलेगी।
क्यों बदली गईं ये तारीखें
मौसम विभाग ने अपनी रिपोर्ट में बताया, 'हमने अपने विश्लेषण में देखा है कि सबसे पहले निचले दबाव की मौसम प्रणाली में देरी होती है जो मध्य और पूर्वी भारत क्षेत्र में बारिश लाती है। इसकी सबसे बड़ी वजह बंगाल की खाड़ी की हवाओं में होने वाला परिवर्तन है। बारिश के पैटर्न में भी बहुत सारे बदलाव हैं, इसलिए इस बात को ध्यान में रखते हुए मानसून की शुरुआत और वापसी की तारीखों को संशोधित करना आवश्यक था।'
क्या है मानसून की वापसी की तारीख
मौसम विभाग के मुताबिक, 'देश में मानसून शुरू होने के बाद इसकी वापसी में अक्सर देरी नोट की गई है। आमतौर पर 1 सितंबर से देश में मानसून की वापसी पश्चिमी राजस्थान से शुरू होती है और 15 अक्टूबर तक मानसून देश से विदा ले चुका होता है। पिछले साल देश में मानसून की सबसे बड़ी देरी दर्ज की गई, क्योंकि मानसून की वापसी 9 अक्टूबर से पश्चिमि राजस्थान से शुरू हुई थी। इससे पहले मानसून की वापसी में सबसे बड़ी देरी 1961 में दर्ज की गई थी।'