ICMR के रडार पर दो चीनी कंपनियां, भारत को सप्लाई की थी खराब रैपिड टेस्ट किट
नई दिल्ली: भारत में कोरोना वायरस की चपेट में 20 हजार से ज्यादा लोग आ गए हैं। कोरोना के कहर को रोकने और इसके मरीजों को ट्रैस करने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने चीन से रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट किट मंगवाई थी। इस किट का प्रयोग शुरू होते ही कई राज्यों से इसमें खराबी की शिकायत आने लगी। जिसके बाद अब भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने रैपिड टेस्ट किट के प्रयोग पर अस्थायी रोक लगा दी है। साथ ही उन दो चाइनीज कंपनियों की भी जांच शुरू कर दी है, जिन्होंने इस किट की सप्लाई की थी।
जानकारी के मुताबिक दो चीनी कंपनियों ने भारत में सात लाख रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट किट की सप्लाई की थी। इसमें Guangzhou Wondfo Biotech Co. Ltd की ओर से पांच लाख और Zhuhai Livzon Diagnostics Inc की ओर से दो लाख किट भारत भेजी गई थी। इसके बाद भारत ने सभी राज्यों को ये किट उपलब्ध करवाई, साथ ही हॉटस्पॉट वाले इलाकों में जांच करने के लिए कहा। इस किट के प्रयोग के बाद पाया गया कि पॉजिटिव सैंपल्स की कई जगहों पर सत्यता 6 प्रतिशत तो कहीं पर 74 प्रतिशत तक है। ऐसे में राज्यों से शिकायत मिलने के बाद आईसीएमआर ने इस किट के इस्तेमाल पर रोक लगा दी। अब आईसीएमआर इन दोनों कंपनियों और उनसे आई किट की जांच कर रहा है। वहीं मामले में चीनी दूतावास के प्रवक्ता जी. रोंग ने कहा है कि चीन खराब किट के विषय पर भारतीय एजेंसी के साथ संपर्क में हैं और भारत को हर जरूरी मदद मुहैया कराई जाएगी।
कोरोना महामारी के बीच जापान के वैज्ञानिकों ने जारी की कुदरत की एक और 'महा-आफत' की चेतावनी
क्या
है
एंटीबॉडी
रैपिड
टेस्ट
किट?
कोरोना
वायरस
की
चपेट
में
आने
वाले
कई
मरीज
ऐसे
भी
होते
हैं,
जिनमें
उनके
लक्षण
नहीं
दिखते
हैं।
ऐसे
में
उनका
शरीर
कोरोना
के
खिलाफ
एंटीबॉडी
बना
लेता
है
और
कोरोना
को
शरीर
से
खत्म
कर
देता
है।
ऐसे
लोगों
के
स्वास्थ्य
पर
ज्यादा
फर्क
नहीं
पड़ता,
लेकिन
वो
दूसरों
को
संक्रमित
कर
सकते
हैं।
ऐसे
लोगों
का
पता
लगाने
के
लिए
रैपिड
एंटीबॉडी
किट
का
प्रयोग
किया
जाता
है।
जिसमें
संदिग्ध
मरीज
के
खून
का
सैंपल
लिया
जाता
है।
खून
को
किट
में
डालने
पर
रिपोर्ट
आ
जाती
है।
अगर
मरीज
की
रिपोर्ट
पॉजिटिव
आती
है
तो
उसे
आइसोलेट
किया
जाता
है।