पढ़ाई जारी रखने के लिए विवाह छोड़कर भागी, ग्लू का बिजनेस कर भरी फीस
नई दिल्ली। जहां 14 साल की उम्र में लड़कियों को स्कूल के बजाए अपने ससुराल में चूल्हा-चौका करना पड़ता है, वहां शेषकलो पांडे ने अपनी अलग छाप छोड़ी। मां-बाप भी बेटी के जिद के आगे हार गए। शेषकलो ने ठाल लिया था कि वो किसी भी कीमत पर अपनी पढ़ाई बीच में छोड़कर शादी नहीं करेगी। घरवालों ने फीस देने में अक्षमता दिखाई तो शेष ने अपनी काबिलियत के बल पर अपनी फीस के पैसों का भी इंतजाम कर लिया।
14 साल की उम्र में खड़ा कर लिया बिजनेस
नेपाल की राजधानी काठमांडू में रहने वाली शेषकलो पांडे की स्कूल की लड़कियों ने शादी के लिए पढ़ाई छोड़ दी। शेष क्लास में अकेली लड़की थी जो 14 साल के होने के बावजूद स्कूल आ रही थी। उसके लिए क्लास में अलग से कुर्सी लगाई गई थी, लेकिन शेष ने हार नहीं मानी। उनके लिए पढ़ाई उससे उज्जवल भविष्य का एक मात्र रास्ता था और वो उसे पाकर अपने पैरों पर खड़ी होनी चाहती थी, लेकिन उसके लिए स्कूल जाना भी आसान नहीं था। काफी मुश्किलों के बाद वो अपनी पढ़ाई को जारी रख पा रही थी।
ग्लू का बिजनेस कर भरी अपनी फीस
घरवालों ने शेष को स्कूल न चाहे की हिदायत थी। उन्हें स्कूल के फीस के साथ- साथ बेटी की सुरक्षा को लेकर भी डर लग रहा था, लेकिन बेटी के जिद के आगे उन्होंने हार मान ली। अपने स्कूल की फीस जुटाने के लिए शेष ने हैंडिक्राफ्ट का काम शुरू किया। बड़े भाई से रंगीन कागज और ग्लू के पैसे मांगे और फिर अपना भविष्य बनाने के लिए जी-जान से जुट गई। कागज से उसने तरह-तरह से सामान बनाने शुरू किए और फिर उन्हें बेचकर पैसे कमा लिए। बेटी की लगन देखकर पिता ने भी बेटी के लिए एक सेकेंड हैंड साइकिल खरीद दी और कहा कि वो पैसे कमाकर उसके पैसे चुका दे। महज एक हफ्ते के भीतर ही शेष ने साइकिल के पैसे चुका दिए।
बाल विवाह से किया इंकार
शेष ने अपनी लगन से अपनी पढ़ाई जारी रखी और बाल विवाह से इंकार कर अपना भविष्य संवारने में जुट गई। वो स्कूल जाने से पहले 4 बजे उठती है। पहले रंगीन कागजों से हैंडमेड चीज़ें बनाती हैं। फिर सारा काम निपटाकर स्कूल जाती है और फिर स्कूल से लौटकर उन सामानों को बेचने निकल जाती है।आस परोस की महिलाओं ने शेष से मदद मांगी और अपनी बेटियों को कागज के सामना बनाना सिखा देने का आग्रह किया ताकि उन की बेटियों को भी बचपन में ही शादी न करना पड़े और वो भी अपनी पढ़ाई जारी रख सके। आसपास के लोग शेषो की तारीफ करते हैं।