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क्यों इमरान खान की सरकार में पाकिस्तान के साथ बातचीत असंभव दिख रही?

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नई दिल्ली। पिछले साल अगस्त में पाकिस्तान की सत्ता संभालने के बाद से लगातार इमरान खान 'डायलॉग टेबल' पर नहीं आने के लिए भारत को दोषी ठहराते आए हैं। दोनों देशों के बीच वार्ता में बाधा डालने के लिए भारत पर पाकिस्तान आरोप लगाता आया है। हाल ही में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने तुर्की का दौरा किया था, जहां उन्होंने विवाद सुलझाने में पहल नहीं करने के लिए भारत पर दोष मढ़ा था। इस बीच भारत ने पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान को उनका जवाब दिया है कि आखिर क्यों दिल्ली बातचीत के लिए तैयार नहीं है। इस्लामाबाद ने दावा है कि उनकी सरकार ने आतकंवाद के खिलाफ कार्रवाई की है, लेकिन फिर भी भारत बातचीत के लिए तैयार नहीं है। इसी दावे को भारत ने पूरी तरह से खारिज करते हुए कहा कि इमरान खान सरकार न सिर्फ आतंकियों को सह दे रही है, बल्कि आतंकवादी संगठनों को मुख्यधारा में ला रही है।

क्यों इमरान की सरकार में पाक के साथ बातचीत असंभव दिख रही?

1. भारत ने पाकिस्तान की हरकतों की जवाब देते हुए कहा कि इमरान खान के गृहमंत्री शहरयार खान अफरीदी जैसे नेता जमात-उद-दावा का आतंकवादी और मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड हाफिज सईद के लोगों से मुलाकात करते हैं। भारत ने कहा, 'हाफिज सईद के लोगों से मुलाकात कर अफरीदी उनके संगठन का समर्थन की बात करते हैं। अफरीदी तो यहां तक कह रहे हैं कि जब तक पीटीआई सत्ता में है, तब तक हाफिज का कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता।'

2. यूएन ने जिस आतंकवादी की तथाकथित चैरीटी को बैन किया है और जिस खूंखार आतंकवादी पर प्रतिबंध लगाया है, उसके जमात-उद-दावा के रेस्क्यू ऑपरेशन का अनावरण करने के लिए लोकल पीटीआई नेता पीओके (पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर) गए थे। इससे साबित होता है कि हाफिज सईद को पीटीआई किस हद तक सपोर्ट कर रही है।

3. हाफिज सईद का संगठन जमात-उद-दावा और उसका फलाह-ए-इंसानियत (एफआईएफ) एनजीओ को पिछले साल पाकिस्तानी राष्ट्रपति के आदेश के बाद बंद कर दिया गया था और उसकी संपत्ति को जब्त करने का आदेश दिया था। यह सब पाकिस्तान की पिछली हुकूमत की वजह से हुआ था, लेकिन अब जब हाफिज सईद और उसकी खिलाफ लगे प्रतिबंधों का अध्यादेश खत्म हो चुका है, तो इमरान खान की सरकार ने उसके प्रतिबंधों को न तो आगे बढ़ाया और नहीं पाकिस्तान की संसद में इस पर चर्चा हुई। हाफिज सईद ने कोर्ट में अपने ऊपर लगे प्रतिबंधों को चुनौती दी थी।

4. जम्मू कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को बढ़ाने के लिए प्रतिबंधित हिजबुल मुजाहिद्दीन का नेता और युनाइटेड जिहाद काउंसिल (यूजेसी) का सरगना सईद सलाउद्दीन ने पिछले साल अक्टूबर में पाकिस्तानी सेना का सपोर्ट करने के लिए कहा था। इसके लिए पाकिस्तान के मुजफ्फराबाद में बकायदा एक प्रेस कांफ्रेंस रखी गई थी, जिसमें जैश का मोहम्मद असगर, मसूद आमिर और हिज्ब-ए-इस्लामी और लश्कर का कमांडर डॉ मंजूर जैसे आतंकियों ने शिरकत की थी।

5. पिछले सितंबर में पाकिस्तान के धार्मिक मंत्री नूर-उल-हक कादरी को हाफिज सईद के साथ मंच साझा करते हुए देखा गया था, जहां दोनों ने मिलकर भारत के खिलाफ जहर उगला था। कादरी ने कहा था वे तो दिफा-ए-पाकिस्तानी काउंसिल के कांफ्रेंस में शामिल होने गए थे, वह भी पीएम इमरान खान कहने पर।

अब भारत कैसे आतंकवाद के प्रति इमरान खान के इस उदार रवैये के साथ शांति वार्ता के टेबल पर चर्चा करे? भारत बहुत पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ किसी ठोस कार्रवाई को अंजाम नहीं देता है, तब तक बातचीत की कोई गुंजाइश नहीं है।

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English summary
How Imran Khan government helps terrorism to find feet in mainstream
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