पीएम मोदी, CDS जनरल रावत और देश के 10,000 लोगों की जासूसी कर रहा चीन!
नई
दिल्ली।
अमेरिका
में
जासूसी
के
बड़े
आरोपों
का
सामना
कर
रहा
चीन,
भारत
में
भी
अपने
मंसूबों
को
पूरा
करने
में
लगा
हुआ
है।
इंग्लिश
अखबार
इंडियन
एक्सप्रेस
की
एक
रिपोर्ट
में
बताया
गया
है
कि
चीन
इस
समय
देश
के
10,000
हाई-प्रोफाइल
लोगों
और
संगठनों
पर
नजर
रखे
हैं।
जिन
लोगों
पर
चीन
की
नजरें
हैं
उनमें
प्रधानमंत्री
नरेंद्र
मोदी,
राष्ट्रपति
रामनाथ
कोविंद,
चीफ
ऑफ
डिफेंस
स्टाफ
(सीडीएस)
जनरल
बिपिन
रावत,
चीफ
जस्टिस
ऑफ
इंडिया
जस्टिस
बोबड़े
से
लेकर
विपक्ष
के
भी
कई
नेता
शामिल
हैं।
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15 पूर्व सेना प्रमुखों की भी जासूसी
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में कहा गया है कि वही चीनी कंपनी भारत में भी इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी कंपनी के तहत लोगों की जासूसी में लगी है जिसका नाम ऑस्ट्रेलिया में लिया गया है। चीनी कंपनी झेनहुआ डाटा इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी कंपनी की तरफ से पीएम, राष्ट्रपति, और सीडीएस के अलावा कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्षा सोनिया गांधी और उनके परिवार, मुख्यमंत्री जैस ममता बनर्जी, अशोक गहलोत और अमरिंदर सिंह, उद्धव ठाकरे, नवीन पटनायक और शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, रवि शंकर प्रसाद, निर्मला सीतारमण, स्मृति ईरानी और पीयूष गोयल के अलावा सेना, वायुसेना और नौसेना के 15 रिटायर्ड प्रमुखों के अलावा उद्यमी निपुन मेहरा (भारत पे के फाउंडर), ऑथ ब्रिज के अजय त्रेहन से लेकर टॉप इंडस्ट्रियलिस्ट जैसे रतन टाटा और गौतम अडानी पर नजर रखी जा रही है। इसके अलावा कम्युनिस्ट पार्टी के भी कुछ सदस्यों पर चीन की नजर है।
चीन की मिलिट्री के साथ करती है काम
यह जानकारी ऐसे समय में सामने आई है जब पूर्वी लद्दाख में मई माह से चीन के साथ टकराव जारी है। झेनहुआ के बारे में कहा जाता है कि वह चीन की इंटेलीजेंस एजेंसी, मिलिट्री और सुरक्षा एजेंसियों के साथ काम करती है। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक कंपनी ओवरसीज की इनफॉर्मेशन डाटाबेस (ओकेआईडीबी) सिस्टम के तहत इन सभी लोगों की जासूसी कर रही है। यह एक प्रकार का डाटाबेस है जिसके तहत कंपनी एडवांस्ड लैंग्वेज, टारगेटिंग और क्लासीफिकेशन जैसे टूल का प्रयोग डाटा को सहेजने का काम कर रही है। इस डाटाबेस में अमेरिका, यूके, जापान, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जर्मनी और यूएसई जैसे देशों की एंट्रीज हैं। झेनहुआ, चीन के गुआनदोंग प्रांत के शेनजान सिटी में बेस्ड है जोकि दक्षिणी-पूर्व चीन में है।
वियतनाम में प्रोफेसर के जरिए साजिश
झेनहुआ वियतनाम में एक प्रोफेसर क्रिस्टोफर बाल्डिंग के जरिए काम को अंजाम दे रही है। प्रोफेसर क्रिस्टोफर, शेनजान में पढ़ा चुके हैं। जिस सोर्स के जरिए इंडियन एक्सप्रेस ने जानकारी जुटाई है उसने ऑस्ट्रेलिया के अखबार, द ऑस्ट्रेलियन फाइनेंशियल रिव्यू, इटली के इल फोगिलो और ब्रिटेन के द डेली टेलीग्राफ को भी इसी तरह की जानकारियां साझा की हैं। सूत्रों की तरफ से कहा गया है कि झेनहुआ डाटा का मकसद ऐसी प्रक्रिया के तहत निगरानी करना है जिसे 'हाइब्रिड वॉरफेयर' नाम दिया गया है। इसके तहत एक नॉन-मिलिट्र टूल का प्रयोग कर नुकसान पहुंचाया जाता है। प्रपोगेंडा इसी टूल का एक अहम हिस्सा है।
साल 2018 की रजिस्टर्ड है कंपनी
रिकॉर्ड्स के मुताबिक झेनहुआ, अप्रैल 2018 में रजिस्टर्ड कंपनी है और देशभर में इसके 20 प्रॉसेसिंग सेंटर्स हैं। कंपनी के क्लाइंट्स में चीनी सरकार और मिलिट्री खासतौर पर शामिल हैं। नौ सितंबर को कंपनी ने अपनी वेबसाइट बंद कर दी है और अब इसे एक्सेस नहीं किया जा सकता है। जब कुछ मीडियाकर्मियों ने शेनजान स्थित झेनहुआ डाटा के हेडक्वार्टर का दौरा किया और कुछ सवालों की लिस्ट सौंपी, तो उन्हें बताया कि सवाल ट्रेड सीक्रेट्स से जुड़े हैं। ऐसे में इनका जवाब नहीं दिया जा सकता है। वहीं चीनी दूतावास का कहना है कि चीन कभी अपनी कंपनियों या फिर किसी व्यक्ति को दूसरे देशों का डाटा इकट्ठा करने की मंजूरी नहीं देता है।