पुलवामा में हिजबुल आतंकी रियाज नाइकू के एनकाउंटर के पीछे NSA डोवाल का ऑपरेशन जैकबूट
नई दिल्ली। बुधवार को साउथ कश्मीर के पुलवामा से पाकिस्तान में बैठे हिजबुल मुजाहिद्दीन के आका सैयद सलाउद्दीन के लिए बुरी खबर आई। कश्मीर में उसके संगठन की आतंकी गतिविधियों को चलाने वाला आतंकी रियाज नाइकू आखिरकार एनकाउंटर में ढेर हो गया। नाइकू का मारा जाना सेना और बाकी सुरक्षाबलों के लिए बड़ी कामयाबी है। नाइकू पिछले तीन सालों से सेना के लिए सिरदर्द बन गया था। उसे जब कभी भी घेरा जाता, वह हर बार पत्थरबाजी की आड़ लेकर भाग जाता। उसे कैसे खत्म किया जाए इसका एक ब्लूप्रिंट तैयार किया राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोवाल ने तैयार किया था।
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डोवाल ने की ऑपरेशन जैकबूट की तैयारी
रियाज नाइकू कश्मीर में भारत और सुरक्षाबलों के विरोध में पिछले आठ सालों से एक माहौल तैयार कर लिया था। हिजबुल उसकी मदद से घाटी में शांति व्यवस्था को बिगाड़ कर को उसे अस्थिर करने में लगी हुआ था। ऐसे में उसका खत्म होना बहुत जरूरी था। एनएसए अजित डोवाल ने 'ऑपरेशन जैकबूट' इस कोडनेम के साथ एक ऑपरेशन को लॉन्च किया और इस ऑपरेशन का मकसद रियाज समेत घाटी के बाकी वॉन्टेड आतंकियों को ढेर करना था। बुधवार को A+++ कैटेगरी के आतंकी को मारने के लिए चलाए गए इस ऑपरेशन पर खुद एनएसए डोवाल नजर रख रहे थे। नाइकू ऑपरेशन जैकबूट का हाई-वैल्यू टारगेट था।
दक्षिण कश्मीर को आतंकियों से आजाद कराना
ऑपरेशन जैकबूट को दक्षिण कश्मीर के पुलवामा, कुलगाम, अनंतनाग और शोपियां के इलाकों को आतंकियों से आजाद करने के लिए चलाया गया था। आतंकियों ने इन इलाकों को आजाद घोषित कर दिया था। सुरक्षाबलों के लिए स्थानीय आतंकी चिंता का विषय बनते जा रहे थे और इनकी संख्या में इजाफा होता जा रहा था। रियाज नाइकू को बिन कासिम के नाम से भी जानत थे। उसे हिजबुल मुजाहिद्दीन के एक और आतंकी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद, संगठन में काफी तरजीह दी जाने लगी थी। जुलाई 2016 में सुरक्षाबलों ने संगठन के इस पोस्टर ब्वॉय को ढेर किया था। बुरहान वानी को जब मारा गया था तो उस समय घाटी का माहौल काफी तनावपूर्ण हो गया था।
पढ़े लिखे युवा जुड़ रहे आतंकवाद से
नाइकू, वानी ग्रुप का एक ही एक मेंबर था और काफी पढ़ा लिखा भी था। 35 साल का नाइकू मैथ का मास्टर था। अब तक इस संगठन के सभी आतंकी सब्जार भट, वसीम मल्ला, नसीर पंडित, इश्फाक हमीद, तारिक पंडित, अफाकउल्ला, आदिल खांदे, सद्दाम पैडर, वसीम शाह और अनीस जैसे नाम शामिल थे। इनमें से अब सभी का खात्मा हो चुका है। तारिक पंडित ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। कश्मीर के युवा घाटी में आतंकी संगठनों के लिए पोस्टरर ब्वॉय बनते जा रहे हैं। वानी गैंग के ज्यादातर सदस्य पढ़े-लिखे थे मगर इसके बाद भी वह आतंकवाद से जुड़ गए थे।
साल 2010 में जुड़ा आतंकवाद से
अप्रैल 1985 में अवंतिपोरा तहसील के बेगपोरा गांव में जन्मा नाइकू साल 2010 में आतंकवाद से जुड़ गया था। उस समय घाटी में बड़े स्तर पर प्रदर्शन हो रहे थे और 17 साल के एक लड़के की मौत हो गई थी। नाइकू छह जून 2012 को जेल से छुटा और हिजबुल मुजाहिदद्दीन से जुड़ गया था। इसके बाद से ही वह लगातार में लगातार सुरक्षाबलों के लिए खतरा बन गया था। कई बार वह सेना को चकमा देकर भाग जाता और इसमें कुछ स्थानीय लोग भी उसकी मदद करते थे।