जो कभी दूसरी पार्टियों में करते थे वह अब खुद की पार्टी में देख रहे मुलायम
जो मुलायम सिंह यादव दूसरी पार्टियों के साथ करते थे, वह उन्हें पहली बार अपनी पार्टी के भीतर देखने को मिल रहा है, आइए डालते हैं मुलायम सिंह की जोड़ तोड़ की राजनीति पर एक नजर
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के पिछले 25 साल के इतिहास पर नजर डालें तो कई बार पार्टी ने दूसरे दलों के साथ गठबंधन किया है और जोड़-तोड़ की राजनीति करती रही है। लेकिन पहली बार ऐसा है जब इस टूट को पार्टी के भीतर देखा जा रहा है।
जब मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश यादव को 2012 में उम्मीद की साइकिल के नारे के साथ बतौर सीएम प्रोजेक्ट किया तो लोगों ने इसे वंशवाद की राजनीति को बढ़ावा देना करार दिया था।
माना जा रहा था कि अब पार्टी की कमान आने वाले समय में अखिलेश ही संभालेंगे, लेकिन हाल के घटनाक्रम ने मुलायम सिंह को भी मुश्किल में डाल दिया है। आइए डालते हैं मुलायम सिंह के राजनीति इतिहास पर नजर जब उन्होंने दूसरी पार्टियों के साथ जोड़ तोड़ की राजनीति की।
आडवाणी को गिरफ्तार करने का मौका चूके थे
तकरीबन प्रधानमंत्री बनने की दहलीज पर मुलायम सिंह यादव 1990 में लाल कृष्ण आडवाणी को देवरिया उस वक्त गिरफ्तार करने की तैयारी कर रहे थे जब वह रथ यात्रा लेकर निकले थे।
लेकिन मुलायम का यह मौका उनके ही करीबी लालू प्रसाद यादव ने नहीं दिया और उन्होंने आडवाणी को समस्तीपुर में गिरफ्तार करवा लिया था। मुलायम सिंह यादव वोट बैंक के अलावा मुस्लिम वोटों की राजनीति करते आए हैं ऐसे में उनके हाथ से यह मौका उनके ही करीबी ने छीन लिया था।
चंद्रशेखर और मायावती को भी दिया था समर्थन
राष्ट्रीय राजनीति में मुलायम सिंह ने वीपी सिंह के साथ मनमुटाव के चलते खुले तौर पर चंद्रशेखर को समर्थन करके किया था। इसके बाद उन्होंने बसपा के साथ भी गठबंधन किया था, लेकिन गेस्ट हाइस कांड के बाद उन्होंने बसपा से भी हमेशा के लिए किनारा कर लिया था।
नहीं बन पाए पीएम
यूपीए की सरकार में वह पहली बार रक्षा मंत्री बने और उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें प्रधानमंत्री पद से दूर रखा गया, उन्होंने कहा कि देश के सबसे बड़े प्रदेश का मुख्यमंत्री होने के बाद भी उन्हें सीएम नहीं बनाया गया।
अपनों ने ही दिया था धोखा
आडवाणी ने अपनी आत्मगथा में लिखा है कि कैसे 1999 में जब वैकल्पिक सरकार बननी थी तो मुलायम को समर्थन करने वाली सोशलिस्ट थर्ड फ्रंट ने उनके पीएम बनने के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। जिसके बाद सपा ने उस वक्त सबको चौका दिया जब मुलायम ने एपीजे अब्दुल कलाम को राष्ट्रपति बनाने के लिए भाजपा का साथ दिया।
भाजपा को भी दे चुके हैं झटका
2003 में भाजपा और बसपा की सरकार यूपी में गिरने के बाद जिस तरह से मुलायम ने अल्पमत की सरकार बनाई उसने भाजपा को चौंका दिया था।
ममता को भी दिया था उल्टा दांव
यही नहीं 2012 में मुलायम ने ममता बनर्जी के साथ करीबी बढ़ाई और राष्ट्रपति पद के लिए समर्थन देने का साझा बयान दिया, लेकिन उन्होंने आखिर समय पर उन्होंने ममता बनर्जी को धोखा देते हुए प्रणव मुखर्जी को अपना समर्थन देने का ऐलान कर दिया।
बिहार में खत्म किया था महागठबंधन
हाल ही में बिहार के चुनाव में भी महागठबंधन में शामिल होने का मुलायम सिंह ने ऐलान किया था, जिसमें राजद, जदयू और कांग्रेस एक साथ आए थे, लेकिन इस बार भी मुलायम सिंह ने आखिरी समय पर अपना हाथ पीछे कर लिया। कुछ यही इस साल बंगाल के चुनाव में भी हुआ जब उन्होंने लेफ्ट पार्टियों को अपना समर्थन देने की बात कही लेकिन चुनाव के समय वह पीछे हट गए।